रांची: राजधानी का स्वर्णरेखा नदी आज अपने बुरे दौर से गुजर रहा है. कभी इस नदी के पानी को लोग पीने और अन्य घरेलू काम में उपयोग करते थे. लेकिन आज इस नदी की स्थिति यह है कि इसके आसपास खड़ा रहना भी मुश्किल हो रहा है. नदी का उद्गम स्थल रांची के पिस्का नगड़ी के पास से शुरू होता है जो नामकुम, मूरी होते हुए जमशेदपुर की तरफ बहतकर चली जाती है. लेकिन रांची से निकलने वाली स्वर्णरेखा नदी को राजधानीवासी ही गंदा करने में तुले (pollution in swarnarekha river) हुए हैं.
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राजधानी का इंडस्ट्रियल एरिया तुपुदाना के पास नदी की स्थिति इतनी बदतर है कि यहां पर पानी पूरी तरह से गंदा हो चुका है. ईटीवी भारत ने जब यहां के लोगों से बात की तो उन्होंने बताया कि यह नदी 90 के दशक में लोगों के लिए वरदान माना जाता था. लोग इस नदी के पानी में नहाते थे यहां तक कि इस पानी को पीने के लिए भी इस्तेमाल में लाते थे. लेकिन आज जिला प्रशासन और स्थानीय लोगों की उदासीन रवैया (indifferent towards cleanliness of Swarnrekha river) की वजह से नदी का पानी गंदा और जहरीला होता जा रहा है.
तुपुदाना क्षेत्र में कई ऐसे उद्योग संचालित हो रहे हैं जहां से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थ का समुचित निस्तारण किए बगैर सीधे नदी में बहा दिया जाता है. नदी के बगल में चल रही राइस मिल और बियर फैक्ट्री का गंदा पानी भी नदी में ही बहाया जाता है. इतना ही नहीं आसपास रहने वाले लोग भी अपने घरों का कूड़ा नदी में ही फेंक देते हैं जिस वजह से नदी के पानी से दुर्गंध निकल रही है. वहीं थोड़ी दूर आगे बढ़ते ही नदी के पास श्मशान घाट बना हुआ है जहां पर शवों का जलाया जाता है और उसके अवशेष को नदी में ही बहा दिया जाता है.
इसको लेकर जब तुपुदाना क्षेत्र के वार्ड पार्षद निरंजन से ईटीवी भारत की टीम ने बात की तो उन्होंने बताया कि कई बार उद्योग मालिकों के ऊपर निगम में शिकायत कर उनका फाइन कटवाया है. लेकिन सभी उद्योग मालिक रसूख वाले हैं, फाइन देने के बाद भी स्थिति ज्यों की त्यों बनी हुई है. उन्होंने बताया कि इसकी शिकायत कई बार निगम और जिला प्रशासन से की गई है. लेकिन जिला प्रशासन और निगम के लोग भी इसको लेकर गंभीर नहीं हैं. नदी में बढ़ रही गंदगी की वजह से आसपास रह रहे लोगों को हो रही परेशानी को देखते हुए वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाया गया लेकिन वह भी ठंडे बस्ते में चला गया.
स्वर्णरेखा नदी में सोना मिलने की बात कही जाती है और इस नदी को रांची सहित पूरे झारखंड का सबसे महत्वपूर्ण नदी माना जाता है. इसके बावजूद भी यहां के लोग नदी के महत्व को नजरअंदाज कर नदी के पानी को गंदा और जहरीला कर रहे हैं. ये नदी अब धीरे-धीरे नाला का रूप लेता जा रहा है और आसपास वाले लोगों के लिए बीमारी का कारण बनता जा रहा है. इस नदी की सफाई को लेकर भी अभियान चलाने की बात कही गई थी लेकिन वह धीरे-धीरे हो भी हवा हो गयी. जरूरत है कि जिला प्रशासन और राज्य सरकार नदी के जीर्णोद्धार के लिए ठोस कदम उठाए ताकि जीवनदायिनी स्वर्णरेखा नदी फिर से लोगों को नया जीवन देने के लिए सक्षम हो सके.