रांचीः झारखंड में बाल यौन शोषण पर तेजी से कार्रवाई हो रही है. सूबे के सभी 24 जिलों में पोक्सो की विशेष अदालत का गठन किया गया है. प्रदेश में 2020 में एक ही दिन में 5 मामलों में अभियुक्तों को आरोपियों को सजा सुनाई गई. जानकारी के अनुसार राजधानी में 14 वर्षीय नाबालिग से सामूहिक दुष्कर्म के दो आरोपी मोबिन अंसारी, तैयब अंसारी को 20-20 साल की जेल और 60 हजार रुपये का जुर्माना, चरकू को 5 साल जेल और 10 हजार रुपये का जुर्माना, दूसरे केस में अजय साहू, अरुण साव उर्फ अरुण केसरी, विनोद सिंह उर्फ भैरव यादव को 20-20 साल की जेल और 80 हजार रुपये का जुर्माना, तीसरे केस में अभियुक्त को 10 साल की जेल और 30 हजार जुर्माना, चौथे केस में 6 साल की बच्ची से दुष्कर्म के दोषी शिवशंकर सांगा को 20 साल की सजा और 40 हजार का जुर्माना और पांचवे केस में दोषी विजय टोप्पो को अदालत ने 20 साल की जेल और 15 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई.
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दुमका में दोषियों को मौत की सजा
उपराजधी दुमका में 6 साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म के आरोपियों को पोक्सो कोर्ट ने मीठू राय, पंकज मोहली और अशोक राय को फांसी की सजा सुनाई. घटना 5 फरवरी 2020 को हुई थी. इससे यह सहजता से यह अनुमान लगाया जा सकता है कि बाल शोषण पर कितनी तेजी से कार्रवाई हो रही है. रांची व्यवहार न्यायालय में पोक्सो विशेष अदालत का गठन किया गया है और जिसके बाद से लगातार लंबित मामले का निष्पादन किया जा रहा है.
नवंबर 2019 में पोक्सो विशेष अदालत का गठन
रांची में एक्सक्लूसिव पोक्सो विशेष अदालत का गठन नवंबर 2019 में किया गया. साफ और स्वच्छ वातावरण के साथ नाबालिग पीड़िता की गवाही कराने के साथ-साथ उनकी पहचान को गुप्त रखने को लेकर अलग से कन्फेशन रूम बनाया गया, ताकि पीड़िता निर्भीक होकर अपने साथ हुए दुर्व्यवहार को अदालत के समक्ष रख सके. कशिका एम प्रसाद को पोक्सो की विशेष अदालत का जज बनाए जाने के बाद मामलों का निष्पादन लगातार किया जा रहा है.
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वहीं, राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 29 दिसंबर 2019 को शपथ ग्रहण करने के कैबिनेट के प्रस्ताव में 22 फास्ट ट्रैक अदालत बनाए जाने का प्रस्ताव लाया था, जिसके तहत इन मामलों का त्वरित निष्पादन किया जा सके.
इसको लेकर प्रत्येक जिले में फास्ट ट्रैक अदालत का गठन करते हुए न्यायिक पदाधिकारियों के पद को आवश्यकता के अनुसार सृजन करने का भी निर्णय लिया गया.
कोरोना है वजह
पोक्सो की विशेष अदालत में मामले लंबित होने का एक बड़ा कारण वैश्विक महामारी है जिसके कारण 8 मार्च 2020 से 31 जनवरी 2021 तक फिजिकल कोर्ट बंद रहा जिसके कारण मामलों में ट्रायल रुका रहा. गवाही नहीं हो सकी.
जिसके कारण नए केस आते गए. हालांकि अब अदालत में फिजिकल सुनवाई शुरू हो गई है, लेकिन महामारी के बीच पोक्सो के विशेष अदालत में सप्ताह में 2 दिन मंगलवार और शुक्रवार को फिजिकल सुनवाई हो रही है.
पोक्सो की विशेष अदालत के विशेष लोक अभियोजक अशोक कुमार राय ने बताया कि रांची व्यवहार न्यायालय की पोक्सो की विशेष अदालत में नाबालिग पीड़ितों को न्याय दिलाने के साथ-साथ उन्हें अच्छे वातावरण में उनकी गवाही कराई जाती है.
अदालत ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला
लगातार अदालत बच्चियों के गुनहगारों को सजा देते रहे हैं कई ऐसे मामले हैं जिन पर अदालत ने अपना ऐतिहासिक फैसला भी सुनाया है.उन्होंने कहा कि रांची व्यवहार न्यायालय में नवंबर 2019 से पोक्सो की विशेष अदालत का गठन होने के बाद 23 मार्च 2021 तक 60 मामलों का निष्पादन किया गया है, जिनमें 42 लोगो की सजा हुई है वह 18 लोगों की रिहाई कराई गई है.
उन्होंने कहा निष्पादन किए गए मामलों में 70% केस में सजा दी गई है. पोक्सो की विशेष अदालत में फरवरी 2020 में अपना ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए एक ही दिन 5 मामलों का निष्पादन करते हुए अभियुक्तों को सजा दिलाई थी.
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वहीं, रांची व्यवहार न्यायालय की महिला अधिवक्ता अनामिका शर्मा की मानें तो 18 साल से कम उम्र के बच्चों से किसी भी तरह का यौन व्यवहार इस कानून के दायरे में आता है यह कानून लड़के और लड़कियों को समान रूप से सुरक्षा प्रदान करता है और जिसकी सुनवाई पोक्सो की विशेष अदालत में होती है.
उन्होंने कहा कि इस कानून के तहत लोगों को आजीवन कारावास की सजा तो हो ही रही है लेकिन आज समाज में सोच को भी बदलने की आवश्यकता है, क्योंकि आज भी समाज पुरानी सोच और विचारधारा के साथ जी रहा है.
समाज भी निभाए अपनी जिम्मेदारी
उन्होंने कहा कि में महिला अधिवक्ता होने के साथ रेप पीड़ित बच्चियों का हर तरह से मदद करती हूं. अदालत में न्याय की गुहार को लेकर पहुंचे फरियादियों का भी कहना है कि रांची व्यवहार न्यायालय में पोक्सो की विशेष अदालत का गठन किए जाने के बाद लगातार अपराधियों को सजा हो रही है और जिस तरीके से आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान किया गया है निश्चित रूप से इस तरह के कृत्य करने वाले लोगों के मन में भय उत्पन्न होगा और इस तरह के घृणित कार्य नहीं करेंगे.
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उन्होंने बच्चों के साथ होने वाले शोषण को लेकर कहा कि समाज को भी अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी. सुप्रीम कोर्ट के आदेश अनुसार भले ही जिलों में और राज्य में पोक्सो के विशेष अदालत का गठन किया जा चुका है और उन अदालतों में सुनवाई कर दोषियों को सजा भी मिल रही है लेकिन अभी भी बहुत कुछ करने की जरूरत है, तभी जाकर इस देश में नाबालिग के साथ दुष्कर्म जैसे दुर्व्यवहार रुक सकेंगे.