रांची: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अक्सर सस्ती जेनेरिक मेडिसिन का इस्तेमाल करने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करते रहते हैं. लोगों में अब सस्ती और गुणवत्तापूर्ण जेनेरिक दवाई को लेकर जागरूकता भी बढ़ी है. लेकिन रांची के रिम्स जैसे संस्थान में प्रधानमंत्री जन औषधि परियोजना की दवा दुकान से दवाई खरीदना किसी जंग जीतने से कम नहीं है.
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राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स में प्रधानमंत्री जन औषधि परियोजना के तहत सस्ती दवा की दुकान खोली गई है. लेकिन जिस तरह हर दिन रिम्स के इंडोर और आउटडोर में दो से तीन हजार मरीज इलाज के लिए आते हैं, उन्हें डॉक्टर की लिखी सस्ती जेनेरिक दवा लेने में हाथ पांव फूल जाते हैं. हर दिन पीएम जन औषधि परियोजना की दुकान पर दवाई पाने के लिए घंटों लाइन में लगना पड़ता है.
ईटीवी भारत की टीम ने जब जेनेरिक दवा के लिए लाइन में खड़े लोगों से बात की तो उनमें कई खुद मरीज थे. मरीजों ने बताया कि पहले दवा आसानी से मिल जाती थी लेकिन अब घंटों लाइन में लगने के बाद ही दवाई मिल पाती है. जब ईटीवी भारत की टीम रिम्स के जेनेरिक औषधि केंद्र की दुर्दशा पर रिपोर्ट तैयार कर रही थी तभी चतरा की एक महिला सोना देवी ने रिम्स के तंत्र प्रहार किया और अपनी पीड़ा ईटीवी भारत से साझा की. उन्होंने बताया कि हाथ की हड्डी टूट जाने के बाद बिहार के गया में उसका ऑपेरशन हुआ. लेकिन जब दर्द नहीं कम हुआ तो रिम्स आ गए, यहां के डॉक्टर तो उसे देख ही नहीं रहे. ग्रामीण इलाके से आई महिला सोना देवी कहती हैं कि कुछ नहीं तो एक दर्द की गोली ही दे देते.
रिम्स में अव्यवस्था की वजह से लोगों को इलाज कराने से लेकर दवा लेने तक के लिए परेशान होना पड़ता है. सस्ती दवा पाने में मरीजों को हो रही परेशानी और चतरा की सोना देवी के टूटे हाथ का इलाज में कोताही को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने रिम्स के जनसंपर्क अधिकारी डॉ. राजीव रंजन से संपर्क साधने की कोशिश की. उन्होंने कहा जेनेरिक औषधि केंद्र के लिए रिम्स सिर्फ अपनी जगह और संसाधन दिया है, मॉनिटरिंग का काम भी रिम्स का है. ऐसे में आप जब मरीजों की परेशानी की जानकारी दिए हैं तो उससे संचालक को अवगत कराया जायेगा. मरीज सोना देवी के इलाज में कोताही पर कहा कि मामले की जांच के साथ साथ उनका इलाज हो, यह सुनिश्चित किया जाएगा.
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