रांची: झारखंड में कोरोना संक्रमण की रफ्तार बेहद कम हो चली है. अगर कहें तो कोरोना पूरी तरह कमांड में है. राज्यभर के वैसे अस्पताल जिन्हें कोरोना की तीसरी लहर के दौरान कोरोना अस्पताल में तब्दील कर दिया गया था उसे डिनोटिफाइड कर फिर से सामान्य अस्पताल बना दिया गया है, क्योंकि अस्पतालों में कोरोना संक्रमितों की संख्या न के बराबर है. लेकिन खेलगांव कोविड केयर सेंटर ऐसा है जहां पिछले डेढ़ महीने दिन से एक भी कोरोना संक्रमित नहीं भर्ती किये जाने के बावजूद उसे डिनोटिफाइड नहीं किया गया है.
कोविड केयर सेंटर पर 3 डॉक्टर, आयुष औषधालय के ओपीडी में तालाबंदी: खेलगांव कोविड केयर सेंटर को तीसरी लहर के दौरान अस्थायी रूप से बनाया गया था वहां कोरोना संक्रमितों के देखभाल के लिए 03 आयुष डॉक्टरों की तैनाती की गई थी, इस वजह से डोरंडा स्थित संयुक्त आयुष औषधालय का ओपीडी 5 जनवरी से ही बंद है. जिस समय कोरोना की तीसरी लहर पीक पर थी, उस वक्त यह व्यवस्था ठीक कही जा सकती थी पर अब जब लगभग डेढ़ महीने से कोई नया केस खेलगांव स्थित कोविड केयर सेंटर में नहीं आया है, तब भी उसे डिनोटिफाइड नहीं करना, बड़ा सवाल खड़ा करता है, वह भी तब जब इसका प्रभाव डोरंडा में संयुक्त आयुष औषधालय के मरीजों पर पड़ रहा है.
क्या कहते हैं सिविल सर्जन: रांची के सिविल सर्जन डॉ विनोद कुमार यह तो मानते हैं कि राजधानी में कोरोना के केस नगण्य हो गए हैं और सभी कोरोना अस्पतालों को सामान्य अस्पताल बना दिया गया है. सिर्फ खेलगांव स्थित कोविड केयर सेंटर चल रहा है, क्योंकि यह जेल कैदियों या अंडर कस्टडी लोगों के लिए था. ऐसे में आपात स्थिति को ध्यान में रखकर उसे अभी बनाये रखा गया है.
बिना किसी मरीज के पिछले एक डेढ़ महीने से लगी है टीम: 05 जनवरी से खेलगांव स्थित कोविड केयर सेंटर में तीन शिफ्ट के लिए 3 आयुष डॉक्टर, 09 नर्से और 3 प्रभारी मजिस्ट्रेट की बहाली की गई है और दूसरी ओर डॉक्टर की कमी के चलते डोरंडा में संयुक्त आयुष औषधालय बंद है.