रांची: आए दिन सुनने को मिलता है कि सरकारी व्यवस्था रामभरोसे है, ऐसा इसलिए क्योंकि में सरकारी व्यवस्था में कई खामियां देखने को मिलती हैं. कुछ ऐसी ही तस्वीर राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स (RIMS) में देखने को मिली. जहां बारिश का पानी फर्श पर पहुंच गया.
यह हम नहीं कह रहे बल्कि रिम्स (RIMS)में आने वाले लाचार, गरीब मरीज एवं उनके परिजन बता रहे हैं. दरअसल रिम्स (RIMS) के तीसरे तल्ले के न्यूरो विभाग में मरीजों की अत्यधिक संख्या होने की वजह से मरीजों को कॉरिडोर में जमीन पर ही लेटा कर इलाज(treatment by lying on the floor) किया जाता है. मरीजों ने बताया कि निजी अस्पताल में यदि वह इलाज कराने जाते हैं तो इलाज में लाखों रुपए तुरंत खर्च हो जाते हैं. ऐसे में रिम्स( RIMS) ही उनके लिए एकमात्र साधन है जहां वह कम खर्च में अपना इलाज करा सकते हैं. लेकिन रिम्स (RIMS) प्रबंधन के पास पर्याप्त संसाधन नहीं होने की वजह से यहां भी उन्हें बेहतर इलाज के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है.
इंतजार करने के दौरान मरीजों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पर रहा है. खास करके बारिश के समय में भीगने की समस्या से उन्हें आए दिन जूझना पड़ रहा है. गढ़वा से आए एक मरीज ने कहा कि मोटरसाइकिल से एक्सीडेंट होने के कारण उनके बेटे के सिर में गंभीर चोट आई है. पिछले 15 दिनों से उसके बेटे को होश नहीं आ रहा है. डॉक्टर उसे लगातार स्लाइन और दवा चला रहे हैं लेकिन मरीज की स्थिति ज्यों की त्यों है. ऐसी गंभीर स्थिति में बेड नहीं मिलने के कारण रात भर पानी की झटके से मरीज भीग रहा है. जिससे उसकी स्थिति और खराब हो रही है लेकिन प्रबंधन की ओर से मरीजों के बचाव को लेकर कोई इंतजाम नहीं किए जा रहे हैं.
गौरतलब है कि स्वास्थ्य सचिव के निर्देश के बाद रिम्स (RIMS) अस्पताल के न्यूरो वार्ड में मरीजों को बेड उपलब्ध कराने के लिए डायनेमिक बेड सिस्टम शुरुआत करने की बात कही गई थी, लेकिन यह सिस्टम भी मरीजों को कोई लाभ नहीं पहुंचा पाया. इस सिस्टम के अंतर्गत जमीन पर लेट कर इलाज (treatment by lying on the floor) करवाने वाले मरीजों को दूसरे वार्ड में शिफ्ट कर संबंधित वार्ड के डॉक्टरों से इलाज कराने की व्यवस्था की गई थी, लेकिन इस सिस्टम के लागू होने के बावजूद आज भी जमीन पर मरीज को लेटा कर इलाज(treatment by lying on the floor) कराने का सिलसिला बदस्तूर जारी है.
जिस प्रकार से रिम्स( RIMS) में आने वाले गरीब मरीजों को जमीन पर लेट कर इलाज करवाना पड़ रहा है, ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि एक तो इंसानों के लापरवाही की मार, दूसरा प्रकृति के द्वारा बरसाए जा रहे बारिश के कहर से रिम्स( RIMS) के न्यूरो वार्ड में इलाज करवाने वाले मरीज व उनके परिजन सिर्फ परेशान ही नहीं बल्कि अपनी जान के साथ भी समझौता कर रहे हैं. जरूरत है कि प्रबंधन मरीजों की परेशानी पर जल्द से जल्द संज्ञान ले ताकि राज्य के गरीब मरीजों को उनका हक मिल सके.