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रांची के खादगढ़ा बस स्टैंड पर सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल, अधिकतर कैमरे खराब, सुरक्षाकर्मियों की भी कमी

प्रदेश की राजधानी रांची के प्रमुख बस अड्डे खादगढ़ा बस स्टैंड पर यात्री सुविधाओं और सुरक्षा इंतजामों की कमी है. हाल यह है कि अरसे से 40 में से 30 सीसीटीवी कैमरे खराब हैं. यहां सुरक्षाकर्मियों की भी कमी है.

Khadgadha bus stand ranchi
रांची के खादगढ़ा बस स्टैंड पर न पर्याप्त यात्री सुविधाएं न पुख्ता सुरक्षा इंतजाम
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Published : Nov 30, 2020, 7:48 PM IST

Updated : Dec 3, 2020, 3:01 PM IST

रांची: राजधानी के सबसे अहम सार्वजनिक स्थलों बस स्टैंड, एयरपोर्ट और रेलवे स्टेशन पर ही सुरक्षा के मानकों की अनदेखी की जा रही है. इसका खुलासा तब हुआ जब ईटीवी की टीम ने रांची के सबसे महत्वपूर्ण खादगढ़ा बस स्टैंड पर सुरक्षा हालात का जायजा लिया. इस दौरान टीम को यहां कई खामियां देखने को मिलीं. परिसर में निगरानी के लिए 40 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए पर अधिकांश खराब हैं. एंट्री पॉइंट, एग्जिट पॉइंट, बुकिंग काउंटर और यात्री शेड में कैमरे लगे हैं, लेकिन सिर्फ दस ही ठीक हैं. इनकी भी फुटेज से कुछ समझ पाना टेढ़ी खीर है. वहीं यात्री शेड और एग्जिट गेट का कैमरा तो बंद ही है.यहां से अक्सर सफर करने वाली महिला यात्री आशा देवी का कहना है कि बस अड्डा मुख्य सड़क से तकरीबन 200 मीटर दूर है. रात में नशेड़ी मुख्य सड़क पर ही नशा करते रहते हैं, कई बार छेड़छाड़ भी करते हैं. इससे यहां आने जाने में डर लगता है.

देखें स्पेशल स्टोरी


बस अड्डे पर अक्टूबर-नवंबर में मिले थे नशीले पदार्थ-हथियार
यात्रियों के मुताबिक बस स्टैंड पर यात्रियों के साथ अक्सर छिनैती, चोरी, छेड़खानी जैसी वारदात सामने आती हैं पर यहां यात्रियों की सुरक्षा के लिए लगाए गए सीसीटीवी कैमरे खराब पड़े हैं. इससे वारदात होने के बाद अपराधियों को पकड़ पाना मुश्किल होगा पर अफसर सीसीटीवी कैमरों की ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं. यात्री खुर्शीद अली का कहना है कि खादगढ़ा बस स्टैंड राजधानी का प्रमुख बस अड्डा है. यहां से बिहार, छत्तीसगढ़, ओडिशा और यूपी के कुछ जिलों से बस आती-जाती हैं. आम दिनों से यहां से हजारों यात्री आवागमन करते है पर यहां की सुरक्षा व्यवस्था पुलिस प्रशासन पुख्ता नहीं कर सका है.

जानकारी के मुताबिक, बीते सालों के मुकाबले स्टैंड के आसपास अपराध में कमी आई है पर एक साल में यहां छिनैती समेत करीब पांच छोटे अपराध के मामले हुए हैं. अक्टूबर-नवंबर में बस अड्डे से नशीला पदार्थ और हथियार भी पकड़ा जा चुका है, जो यहां की सुरक्षा व्यवस्था पर बड़ा सवाल है. हालांकि अफसर इसके लिए स्टाफ की कमी को जिम्मेदार ठहराते हैं. टीओपी प्रभारी भीम सिंह का कहना है कि खासकर महिला यात्रियों की सुरक्षा के लिए बस स्टैंड में और भी सुरक्षाकर्मियों की आवश्यकता है. उन्होंने बताया कि टीओपी में एक हवलदार, चार सिपाही और 12 होमगार्ड हैं, जबकि उन्हें यहां के लिए कम से कम 25 के स्टाफ की जरूरत है. यह भी कहते हैं कि सीसीटीवी भी ठीक होने चाहिए, निगरानी में सहूलियत होती है.

सुरक्षाकर्मियों की भी कमी

इसको लेकर खादगढ़ा बस स्टैंड टीओपी प्रभारी भीम सिंह बताते हैं कि कई बार सीसीटीवी खराब होने के कारण आपराधिक घटना को रोकने में भी समस्याएं आती हैं और अपराधियों को कानून के शिकंजे तक पहुंचाना भी मुश्किल होता है, क्योंकि सीसीटीवी कैमरे की फुटेज साफ नहीं दिखती है.प्रभारी बस स्टैंड टीओपी भीम सिंह ने बताया कि यहां की सुरक्षा व्यवस्था की मजबूती के लिए सरकारी सुरक्षा बल और पुलिस जवान के अलावा निजी सुरक्षाकर्मियों की भी आवश्यकता है ताकि देर रात आने वाले यात्रियों को सुरक्षा प्रदान किया जा सके. वहीं सुपरवाइजर शंकर महतो कहते हैं सुरक्षा के लिए यहां तीन शिफ्ट में सुरक्षाकर्मी रहते हैं. सुबह की पहली दो पाली में दो-दो सुरक्षाकर्मियों की ड्यूटी रहती है और रात में तीन कर्मचारी तैनात रहते हैं.



यात्री सुविधाओं की भी कमी

कई यात्रियों का कहना है कि बस स्टैंड पर कई बुनियादी सुविधाओं की भी कमी है. यहां पानी, शौचालय और विश्राम गृह आदि की भी व्यवस्था ठीक नहीं है. बैठने की भी व्यवस्था पर्याप्त नहीं है. यहां पानी और शौचालय जैसी समस्याओं के लिए यात्रियों को भटकना पड़ता है. सुलभ शौचालय है पर यात्रियों के लिहाज से पर्याप्त नहीं है. वहीं उपचालक गोपाल राय ने बताया कि बस स्टैंड पर दूरदराज से आने वाले बसों के चालको एवं उप चालकों को पानी की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, क्योंकि बस स्टैंड पर बस को धोने के लिए कहीं भी पानी की सुविधा नहीं है, जिसके लिए बस के चालकों को आसपास के लोगों से खरीद कर पानी लेना पड़ता है.

शौचालय की व्यवस्था भी ठीक नहीं

चालक कल्याण संघ के अध्यक्ष रणविजय का कहना है कि बस स्टैंड के कर्मचारियों का कहना है कि निगम ने मोबाइल शौचालय लगवाया है पर पानी की व्यवस्था न होने से यह बंद पड़ा है. वहीं बस चालक तो बस धोने के लिए 50 रुपये में पानी खरीदने के लिए मजबूर हैं. उनके लिए निगम की ओर से विश्राम गृह तो बनवा दिया गया पर इसे अब अरसे बाद भी खोला नहीं जा सका है. वे किराये पर रूम लेकर आराम करने के लिए मजबूर हैं. रामानुज सिंह बताता हैं कि यहां बसों और यात्रियों के लिहाज से जगह की भी कमी है. शौचालय की बात करें तो अभी भी बस स्टैंड पर शौचालय की कमी है, हालांकि स्टैंड पर सुलभ शौचालय का निर्माण किया गया है जो कि स्टैंड पर आने वाले यात्रियों एवं बस चालको और कर्मचारियों के लिए पर्याप्त नहीं है. वहीं सुलभ शौचालय के साथ, नगर निगम द्वारा बनाया गया मोबाइल शौचालय भी सरकारी लापरवाही की भेट चढ़ चुका है. क्योंकि शौचालय तो लगा दिया गया है लेकिन उसके टंकी में पानी की कोई सुविधा नहीं है जिस वजह से वर्षों से शौचालय बंद पड़ा है.


चालकों को पड़ता है बस में सोना
वहीं बस स्टैंड पर चालकों एवं उप चालकों के लिए बनाया गया विश्राम घर का भी उद्घाटन नहीं हो सका है. चालक कल्याण संघ के अध्यक्ष रणविजय का कहना है कि दूरदराज से देर रात तक बस चला कर बस स्टैंड आने वाले चालक को आराम करने के लिए लॉज किराया देना पड़ता है या फिर मजबूरी में बस में ही सोना पड़ता है, जिससे उन्हें कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

ये भी पढ़ें-दिव्यांग कंप्यूटर ऑपरेटर प्रकाश के जज्बे को सलाम, लोगों के लिए बन रहे हैं प्रेरणास्रोत

जगह की भी कमी
बस स्टैंड पर टिकट बुक करने वाले रामानुज सिंह बताते हैं कि खादगढ़ा बस स्टैंड पर दूसरे राज्य और अन्य जिलों में जाने वाली सैकड़ों गाड़ियां खड़ी होती हैं लेकिन उस हिसाब से स्टैंड पर जगह की काफी कमी है, जिस कारण बस लगाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. वहीं बस स्टैंड के सुपरवाइजर शंकर महतो बताते हैं बस स्टैंड पर कई जगह नाली टूटी हुई है, जिसे बनवाने के लिए नगर निगम के अधिकारियों को सूचित कर दिया गया है लेकिन अभी तक इसको लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. इससे बस स्टैंड का ड्रेनेज सिस्टम भी प्रभावित है. कई जगह सड़क भी खस्ताहाल है. इससे दुर्घटना की आशंका बनी रहती है.

रांची: राजधानी के सबसे अहम सार्वजनिक स्थलों बस स्टैंड, एयरपोर्ट और रेलवे स्टेशन पर ही सुरक्षा के मानकों की अनदेखी की जा रही है. इसका खुलासा तब हुआ जब ईटीवी की टीम ने रांची के सबसे महत्वपूर्ण खादगढ़ा बस स्टैंड पर सुरक्षा हालात का जायजा लिया. इस दौरान टीम को यहां कई खामियां देखने को मिलीं. परिसर में निगरानी के लिए 40 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए पर अधिकांश खराब हैं. एंट्री पॉइंट, एग्जिट पॉइंट, बुकिंग काउंटर और यात्री शेड में कैमरे लगे हैं, लेकिन सिर्फ दस ही ठीक हैं. इनकी भी फुटेज से कुछ समझ पाना टेढ़ी खीर है. वहीं यात्री शेड और एग्जिट गेट का कैमरा तो बंद ही है.यहां से अक्सर सफर करने वाली महिला यात्री आशा देवी का कहना है कि बस अड्डा मुख्य सड़क से तकरीबन 200 मीटर दूर है. रात में नशेड़ी मुख्य सड़क पर ही नशा करते रहते हैं, कई बार छेड़छाड़ भी करते हैं. इससे यहां आने जाने में डर लगता है.

देखें स्पेशल स्टोरी


बस अड्डे पर अक्टूबर-नवंबर में मिले थे नशीले पदार्थ-हथियार
यात्रियों के मुताबिक बस स्टैंड पर यात्रियों के साथ अक्सर छिनैती, चोरी, छेड़खानी जैसी वारदात सामने आती हैं पर यहां यात्रियों की सुरक्षा के लिए लगाए गए सीसीटीवी कैमरे खराब पड़े हैं. इससे वारदात होने के बाद अपराधियों को पकड़ पाना मुश्किल होगा पर अफसर सीसीटीवी कैमरों की ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं. यात्री खुर्शीद अली का कहना है कि खादगढ़ा बस स्टैंड राजधानी का प्रमुख बस अड्डा है. यहां से बिहार, छत्तीसगढ़, ओडिशा और यूपी के कुछ जिलों से बस आती-जाती हैं. आम दिनों से यहां से हजारों यात्री आवागमन करते है पर यहां की सुरक्षा व्यवस्था पुलिस प्रशासन पुख्ता नहीं कर सका है.

जानकारी के मुताबिक, बीते सालों के मुकाबले स्टैंड के आसपास अपराध में कमी आई है पर एक साल में यहां छिनैती समेत करीब पांच छोटे अपराध के मामले हुए हैं. अक्टूबर-नवंबर में बस अड्डे से नशीला पदार्थ और हथियार भी पकड़ा जा चुका है, जो यहां की सुरक्षा व्यवस्था पर बड़ा सवाल है. हालांकि अफसर इसके लिए स्टाफ की कमी को जिम्मेदार ठहराते हैं. टीओपी प्रभारी भीम सिंह का कहना है कि खासकर महिला यात्रियों की सुरक्षा के लिए बस स्टैंड में और भी सुरक्षाकर्मियों की आवश्यकता है. उन्होंने बताया कि टीओपी में एक हवलदार, चार सिपाही और 12 होमगार्ड हैं, जबकि उन्हें यहां के लिए कम से कम 25 के स्टाफ की जरूरत है. यह भी कहते हैं कि सीसीटीवी भी ठीक होने चाहिए, निगरानी में सहूलियत होती है.

सुरक्षाकर्मियों की भी कमी

इसको लेकर खादगढ़ा बस स्टैंड टीओपी प्रभारी भीम सिंह बताते हैं कि कई बार सीसीटीवी खराब होने के कारण आपराधिक घटना को रोकने में भी समस्याएं आती हैं और अपराधियों को कानून के शिकंजे तक पहुंचाना भी मुश्किल होता है, क्योंकि सीसीटीवी कैमरे की फुटेज साफ नहीं दिखती है.प्रभारी बस स्टैंड टीओपी भीम सिंह ने बताया कि यहां की सुरक्षा व्यवस्था की मजबूती के लिए सरकारी सुरक्षा बल और पुलिस जवान के अलावा निजी सुरक्षाकर्मियों की भी आवश्यकता है ताकि देर रात आने वाले यात्रियों को सुरक्षा प्रदान किया जा सके. वहीं सुपरवाइजर शंकर महतो कहते हैं सुरक्षा के लिए यहां तीन शिफ्ट में सुरक्षाकर्मी रहते हैं. सुबह की पहली दो पाली में दो-दो सुरक्षाकर्मियों की ड्यूटी रहती है और रात में तीन कर्मचारी तैनात रहते हैं.



यात्री सुविधाओं की भी कमी

कई यात्रियों का कहना है कि बस स्टैंड पर कई बुनियादी सुविधाओं की भी कमी है. यहां पानी, शौचालय और विश्राम गृह आदि की भी व्यवस्था ठीक नहीं है. बैठने की भी व्यवस्था पर्याप्त नहीं है. यहां पानी और शौचालय जैसी समस्याओं के लिए यात्रियों को भटकना पड़ता है. सुलभ शौचालय है पर यात्रियों के लिहाज से पर्याप्त नहीं है. वहीं उपचालक गोपाल राय ने बताया कि बस स्टैंड पर दूरदराज से आने वाले बसों के चालको एवं उप चालकों को पानी की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, क्योंकि बस स्टैंड पर बस को धोने के लिए कहीं भी पानी की सुविधा नहीं है, जिसके लिए बस के चालकों को आसपास के लोगों से खरीद कर पानी लेना पड़ता है.

शौचालय की व्यवस्था भी ठीक नहीं

चालक कल्याण संघ के अध्यक्ष रणविजय का कहना है कि बस स्टैंड के कर्मचारियों का कहना है कि निगम ने मोबाइल शौचालय लगवाया है पर पानी की व्यवस्था न होने से यह बंद पड़ा है. वहीं बस चालक तो बस धोने के लिए 50 रुपये में पानी खरीदने के लिए मजबूर हैं. उनके लिए निगम की ओर से विश्राम गृह तो बनवा दिया गया पर इसे अब अरसे बाद भी खोला नहीं जा सका है. वे किराये पर रूम लेकर आराम करने के लिए मजबूर हैं. रामानुज सिंह बताता हैं कि यहां बसों और यात्रियों के लिहाज से जगह की भी कमी है. शौचालय की बात करें तो अभी भी बस स्टैंड पर शौचालय की कमी है, हालांकि स्टैंड पर सुलभ शौचालय का निर्माण किया गया है जो कि स्टैंड पर आने वाले यात्रियों एवं बस चालको और कर्मचारियों के लिए पर्याप्त नहीं है. वहीं सुलभ शौचालय के साथ, नगर निगम द्वारा बनाया गया मोबाइल शौचालय भी सरकारी लापरवाही की भेट चढ़ चुका है. क्योंकि शौचालय तो लगा दिया गया है लेकिन उसके टंकी में पानी की कोई सुविधा नहीं है जिस वजह से वर्षों से शौचालय बंद पड़ा है.


चालकों को पड़ता है बस में सोना
वहीं बस स्टैंड पर चालकों एवं उप चालकों के लिए बनाया गया विश्राम घर का भी उद्घाटन नहीं हो सका है. चालक कल्याण संघ के अध्यक्ष रणविजय का कहना है कि दूरदराज से देर रात तक बस चला कर बस स्टैंड आने वाले चालक को आराम करने के लिए लॉज किराया देना पड़ता है या फिर मजबूरी में बस में ही सोना पड़ता है, जिससे उन्हें कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

ये भी पढ़ें-दिव्यांग कंप्यूटर ऑपरेटर प्रकाश के जज्बे को सलाम, लोगों के लिए बन रहे हैं प्रेरणास्रोत

जगह की भी कमी
बस स्टैंड पर टिकट बुक करने वाले रामानुज सिंह बताते हैं कि खादगढ़ा बस स्टैंड पर दूसरे राज्य और अन्य जिलों में जाने वाली सैकड़ों गाड़ियां खड़ी होती हैं लेकिन उस हिसाब से स्टैंड पर जगह की काफी कमी है, जिस कारण बस लगाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. वहीं बस स्टैंड के सुपरवाइजर शंकर महतो बताते हैं बस स्टैंड पर कई जगह नाली टूटी हुई है, जिसे बनवाने के लिए नगर निगम के अधिकारियों को सूचित कर दिया गया है लेकिन अभी तक इसको लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. इससे बस स्टैंड का ड्रेनेज सिस्टम भी प्रभावित है. कई जगह सड़क भी खस्ताहाल है. इससे दुर्घटना की आशंका बनी रहती है.

Last Updated : Dec 3, 2020, 3:01 PM IST
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