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Ranchi News: झारखंड पेरेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को लिखा पत्र, झारखंड में शिक्षा न्यायाधिकरण के गठन की मांग - निजी विद्यालय मनमाने तरीके से शुल्क में वृद्धि

झारखंड पेरेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय राय ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर शिक्षा न्यायाधिकरण के गठन की मांग की है. उन्होंने सीएम को अवगत कराया है कि न्यायाधिकरण के गठन नहीं होने से अभिभावकों को काफी परेशानी हो रही है. साथ ही प्राइवेट स्कूल संचालक इसका फायदा उठाते हुए मनमानी कर रहे हैं.

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Parents Association President Wrote Letter To CM
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Published : Jun 10, 2023, 6:12 PM IST

रांची: राज्य में लंबे समय से शिक्षा न्यायाधिकरण अस्तित्व में नहीं है. ना ही यहां अध्यक्ष हैं और ना ही कोई सदस्य. ऐसे में अभिभावकों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. झारखंड पेरेंट्स एसोसिएशन ने इस संबंध में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर ध्यान आकृष्ट कराया है. एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण में वर्षों से आयोग के अध्यक्ष और मेंबर के पद खाली हैं. इस वजह से अभिभावकों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने सीएम हेमंत सोरेन से शिक्षा न्यायाधिकरण के गठन की मांग के साथ-साथ उन्होंने मुख्यमंत्री से झारखंड शिक्षा संशोधन अधिनियम 2017 को पूरे तरीके से राज्य के सभी जिलों के प्राइवेट स्कूलों में लागू कराने की मांग की है.

ये भी पढ़ें-Birth certificate scam! रांची नगर निगम में बर्थ सर्टिफिकेट को लेकर फर्जीवाड़ा, एक व्यक्ति के दो-दो प्रमाण पत्र

प्राइवेट स्कूलों ने नहीं किया शुल्क निर्धारण समिति का गठनः सीएम हेमंत सोरेन को लिखे गए पत्र में उन्होंने उल्लेख किया है कि झारखंड के सभी निजी विद्यालयों पर झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण संशोधन अधिनियम पूर्णतः प्रभावी है. जिसमें अधिनियम की कंडिका 7 (1) में स्पष्ट रूप से अंकित है कि हर स्कूल के अंदर शुल्क निर्धारण समिति का गठन अनिवार्य रूप से किया जाना है. जिसमें स्कूल एडमिनिस्ट्रेशन के साथ-साथ अभिभावक के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे और उस समिति की अनुशंसा पर ही कोई शुल्क में बढ़ोतरी की जा सकती है और उसमें भी दो वर्ष के अंदर 10 प्रतिशत से ज्यादा नहीं बढ़ाया जा सकता है. अगर शुल्क में बढ़ोतरी की जा रही है तो उसकी अनुशंसा जिला कमेटी के पास की जाएगी, जिसके अध्यक्ष संबंधित जिले के डीसी होंगे.

निजी विद्यालय संचालकों पर लगाया शुल्क वृद्धि में मनमानी का आरोपः पत्र में उल्लेख किया है कि नियम रहने के बावजूद राजधानी रांची सहित सभी जिलों में निजी विद्यालय मनमाने तरीके से शुल्क में वृद्धि कर इस अधिनियम की धज्जियां उड़ा रहे हैं. इस पर किसी का कमांड नहीं है. सभी निजी विद्यालयों द्वारा कोरोना काल में भी 40-50% शुल्क में वृद्धि कर अभिवावकों का शोषण किया जाता रहा है. वहीं झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण यानी जेट के चेयरमैन सहित सदस्य की सीट खाली होने से कोई भी अभिभावक अपनी फरियाद जेट में दर्ज नहीं करा सकते. इस मामले को सरकार को गंभीरता से लेनी चाहिए.

पैरेंट्स एसोसिएशन की ये हैं मांगेंः सभी निजी विद्यालय में झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण संशोधन अधिनियम 2017 को पूर्णतः लागू कराया जाए, झारखंड सरकार द्वारा जारी नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट यानी एनओसी का पालन पूरी तरह किया जाए.जिसके तहत स्कूल नो प्रॉफिट नो लॉस का बैलेंस शीट यानी चाटर्ड अकांउटेंट द्वारा जारी किया गया प्रत्येक वर्ष का लेखा-जोखा हर वर्ष सरकार को उपलब्ध कराएं, कोई भी विद्यालय शिक्षण शुल्क के कारण बच्चों को क्लास से वंचित नहीं करे, अपने ही विद्यालय के छात्रों को अगली कक्षा में अथवा किसी कक्षा में री-एडमिशन लेना बंद करने का निर्देश देते हुए उनसे वर्तमान सत्र एवं विगत सत्र में वसूल की गई राशि वापस करवाने का संकल्प निर्गत करें, सीबीएसई, आईसीएसई, राज्य बोर्ड द्वारा निर्धारित गाइडलाइंस को विद्यालय अपनी वेबसाइट पर अपलोड करना सुनिश्चित करे.

रांची: राज्य में लंबे समय से शिक्षा न्यायाधिकरण अस्तित्व में नहीं है. ना ही यहां अध्यक्ष हैं और ना ही कोई सदस्य. ऐसे में अभिभावकों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. झारखंड पेरेंट्स एसोसिएशन ने इस संबंध में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर ध्यान आकृष्ट कराया है. एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण में वर्षों से आयोग के अध्यक्ष और मेंबर के पद खाली हैं. इस वजह से अभिभावकों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने सीएम हेमंत सोरेन से शिक्षा न्यायाधिकरण के गठन की मांग के साथ-साथ उन्होंने मुख्यमंत्री से झारखंड शिक्षा संशोधन अधिनियम 2017 को पूरे तरीके से राज्य के सभी जिलों के प्राइवेट स्कूलों में लागू कराने की मांग की है.

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प्राइवेट स्कूलों ने नहीं किया शुल्क निर्धारण समिति का गठनः सीएम हेमंत सोरेन को लिखे गए पत्र में उन्होंने उल्लेख किया है कि झारखंड के सभी निजी विद्यालयों पर झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण संशोधन अधिनियम पूर्णतः प्रभावी है. जिसमें अधिनियम की कंडिका 7 (1) में स्पष्ट रूप से अंकित है कि हर स्कूल के अंदर शुल्क निर्धारण समिति का गठन अनिवार्य रूप से किया जाना है. जिसमें स्कूल एडमिनिस्ट्रेशन के साथ-साथ अभिभावक के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे और उस समिति की अनुशंसा पर ही कोई शुल्क में बढ़ोतरी की जा सकती है और उसमें भी दो वर्ष के अंदर 10 प्रतिशत से ज्यादा नहीं बढ़ाया जा सकता है. अगर शुल्क में बढ़ोतरी की जा रही है तो उसकी अनुशंसा जिला कमेटी के पास की जाएगी, जिसके अध्यक्ष संबंधित जिले के डीसी होंगे.

निजी विद्यालय संचालकों पर लगाया शुल्क वृद्धि में मनमानी का आरोपः पत्र में उल्लेख किया है कि नियम रहने के बावजूद राजधानी रांची सहित सभी जिलों में निजी विद्यालय मनमाने तरीके से शुल्क में वृद्धि कर इस अधिनियम की धज्जियां उड़ा रहे हैं. इस पर किसी का कमांड नहीं है. सभी निजी विद्यालयों द्वारा कोरोना काल में भी 40-50% शुल्क में वृद्धि कर अभिवावकों का शोषण किया जाता रहा है. वहीं झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण यानी जेट के चेयरमैन सहित सदस्य की सीट खाली होने से कोई भी अभिभावक अपनी फरियाद जेट में दर्ज नहीं करा सकते. इस मामले को सरकार को गंभीरता से लेनी चाहिए.

पैरेंट्स एसोसिएशन की ये हैं मांगेंः सभी निजी विद्यालय में झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण संशोधन अधिनियम 2017 को पूर्णतः लागू कराया जाए, झारखंड सरकार द्वारा जारी नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट यानी एनओसी का पालन पूरी तरह किया जाए.जिसके तहत स्कूल नो प्रॉफिट नो लॉस का बैलेंस शीट यानी चाटर्ड अकांउटेंट द्वारा जारी किया गया प्रत्येक वर्ष का लेखा-जोखा हर वर्ष सरकार को उपलब्ध कराएं, कोई भी विद्यालय शिक्षण शुल्क के कारण बच्चों को क्लास से वंचित नहीं करे, अपने ही विद्यालय के छात्रों को अगली कक्षा में अथवा किसी कक्षा में री-एडमिशन लेना बंद करने का निर्देश देते हुए उनसे वर्तमान सत्र एवं विगत सत्र में वसूल की गई राशि वापस करवाने का संकल्प निर्गत करें, सीबीएसई, आईसीएसई, राज्य बोर्ड द्वारा निर्धारित गाइडलाइंस को विद्यालय अपनी वेबसाइट पर अपलोड करना सुनिश्चित करे.

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