रांची: पारा शिक्षकों की ओर से राज्य सरकार को अल्टीमेटम देते हुए 15 से 19 मार्च तक विधानसभा घेराव का निर्णय लिया गया है. लेकिन, राज्य शिक्षा परियोजना परिषद की तरफ से इस निर्णय की आलोचना की गई है. साथ में जिलावार शिक्षा पदाधिकारियों को विद्यालय में पारा शिक्षकों की उपस्थिति सुनिश्चित कराने का निर्देश दिया गया है. अगर इस आंदोलन से बच्चों का पठन-पाठन बाधित होता है तो कड़ी कार्रवाई करने की बात भी कही गई है.
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हर जिले से रांची पहुंचेंगे शिक्षक
बता दें कि एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा के आह्वान पर शिक्षकों की विभिन्न मांगों को लेकर 15 से 19 मार्च तक विधानसभा घेरने का ऐलान किया गया है. इसमें जिलेवार पारा शिक्षक रांची पहुंचेंगे और विधानसभा के समक्ष धरना प्रदर्शन करेंगे. स्कूली शिक्षा साक्षरता विभाग का कहना है कि पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा की अधिकांश मांग पर कार्रवाई की जा रही है. इसके बावजूद पारा शिक्षकों की ओर से बार-बार धरना, प्रदर्शन, घेराव, हड़ताल जैसे कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है. इससे बच्चों की शिक्षा प्रभावित हो रही है.
स्कूल नहीं पहुंचे तो गैरहाजिर माने जाएंगे शिक्षक
वैश्विक महामारी की वजह से लंबे समय के बाद विद्यालय खुले हैं. एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा के घेराव कार्यक्रम को देखते हुए तमाम जिला शिक्षा पदाधिकारियों को विभागीय स्तर पर निर्देश जारी किया गया है. उन्हें कहा गया है कि विद्यालय में पारा शिक्षकों की उपस्थिति सुनिश्चित की जाए.
पारा शिक्षकों के धरना-प्रदर्शन को विद्यालय से अनुपस्थित माना जाएगा और नो वर्क नो पे की श्रेणी में रखा जाएगा. इस अवधि में विशेष परिस्थिति और गंभीर बीमारी अस्वस्थता की स्थिति में सक्षम प्राधिकार द्वारा मेडिकल प्रमाणपत्र के आधार पर अवकाश स्वीकृत किया जा सकेगा और इसके विवरण नाम के साथ जिला शिक्षा अधीक्षक सह जिला कार्यक्रम पदाधिकारी को अनिवार्य रूप से देना होगा.
हर दिन तीन बजे तक उपस्थिति विवरण राज्य परियोजना कार्यालय को उपलब्ध कराने का आदेश दिया गया है. सरकारी काम में बाधा पहुंचाने और बिना सूचना और बिना सक्षम पदाधिकारी की स्वीकृति से विद्यालय से गायब रहने वाले शिक्षकों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी. पारा शिक्षकों की अनुपस्थिति में विद्यालय बंद न हो यह सुनिश्चित किया जाना है.
पारा शिक्षकों की मांग-सरकार अपना वादा पूरा करे
इधर, पारा शिक्षकों ने कहा है कि राज्य परियोजना निदेशक की तरफ से जारी पत्र लोकतांत्रिक मूल्यों की हत्या का नमूना है. बिना इस फरमान से डरे तमाम पारा शिक्षक जिलेवार शेड्यूल के अनुसार विधानसभा घेराव में शामिल होंगे. एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा की राज्य इकाई ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मांग की है कि वह अपना वादा पूरा करें.