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पारा शिक्षकों की सरकार को चेतावनी, कहा- जल्द पूरी करें मांगें, नहीं तो फिर होगा आंदोलन - झारखंड न्यूज

रांची के एकीकृत पारा शिक्षकों ने राज्य सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया है. उनका कहना है कि अगर उनकी मांगों को पूरा नहीं किया गया तो एक बार फिर राज्य की शिक्षा व्यवस्था ठप होगी.

पारा शिक्षकों ने सरकार को दिया चेतावनी
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Published : Jun 30, 2019, 7:11 PM IST

Updated : Jun 30, 2019, 7:34 PM IST

रांची: एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा ने झारखंड सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया है. पारा शिक्षकों का कहना है कि सरकार ने 90 दिनों के अंदर सेवा स्थायीकरण और वेतनमान समेत अन्य मुद्दों के हल निकालने का भरोसा दिलाया था. आधे से ज्यादा समय गुजर चुका है लेकिन सरकार की ओर से अब तक कोई कदम नहीं उठाया गया है. इस मुद्दे को लेकर पारा शिक्षकों ने एक बार फिर आंदोलन की रूपरेखा तैयार की है.

देखें पूरी खबर

एक बार फिर पारा शिक्षक राज्यव्यापी आंदोलन की राह पर चल पड़े हैं. आंदोलन और सरकार के रुख पर विचार करने को लेकर राज्यभर से आए पारा शिक्षकों के प्रतिनिधियों ने बैठक की और आगे की रणनीति तय की. मोर्चा के नेता सिंटू सिंह ने कहा कि सरकार ने जिस आश्वासन के साथ पारा शिक्षकों का आंदोलन समाप्त कराया था. सरकार अब उससे पीछे हट रही है.

शिक्षकों ने कहा कि उनके संगठन को तोड़ने के लिए सरकार कि ओर से कई तरह के प्रोपेगेंडा अपनाए जा रहे हैं. जिसमें अशिक्षित पारा शिक्षकों को हटाने का संकेत भी है. अगर ऐसी ही स्थिति रही तो जल्द ही पारा शिक्षक संघ आंदोलन करने को विवश होंगे. उन्होंने यह भी कहा है कि सरकार बायोमैट्रिक सिस्टम और ज्ञान सेतु योजना जैसे कार्यक्रमों के जरिए शिक्षकों को उलझा कर रखी है और अतिरिक्त बोझ दिया जा रहा है. जो हरगिज बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

पहले भी आंदोलन कर चुके हैं पारा शिक्षक
बता दें कि 16 नवंबर 2018 से पारा शिक्षकों ने राज्यव्यापी आंदोलन शुरू किया था. जो लगभग 2 महीने तक चला था. इस आंदोलन के पीछे सेवा स्थायीकरण और वेतनमान मुख्य मांग थी. आंदोलन को समाप्त करने को लेकर पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा और शिक्षा विभाग के बीच कई दौर की वार्ता भी हुई. अंततः तय हुआ कि 90 दिनों के अंदर सरकार नियमावली समेत अन्य विषयों पर निर्णय लेगी. लेकिन सरकार अबतक किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाई है.

रांची: एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा ने झारखंड सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया है. पारा शिक्षकों का कहना है कि सरकार ने 90 दिनों के अंदर सेवा स्थायीकरण और वेतनमान समेत अन्य मुद्दों के हल निकालने का भरोसा दिलाया था. आधे से ज्यादा समय गुजर चुका है लेकिन सरकार की ओर से अब तक कोई कदम नहीं उठाया गया है. इस मुद्दे को लेकर पारा शिक्षकों ने एक बार फिर आंदोलन की रूपरेखा तैयार की है.

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एक बार फिर पारा शिक्षक राज्यव्यापी आंदोलन की राह पर चल पड़े हैं. आंदोलन और सरकार के रुख पर विचार करने को लेकर राज्यभर से आए पारा शिक्षकों के प्रतिनिधियों ने बैठक की और आगे की रणनीति तय की. मोर्चा के नेता सिंटू सिंह ने कहा कि सरकार ने जिस आश्वासन के साथ पारा शिक्षकों का आंदोलन समाप्त कराया था. सरकार अब उससे पीछे हट रही है.

शिक्षकों ने कहा कि उनके संगठन को तोड़ने के लिए सरकार कि ओर से कई तरह के प्रोपेगेंडा अपनाए जा रहे हैं. जिसमें अशिक्षित पारा शिक्षकों को हटाने का संकेत भी है. अगर ऐसी ही स्थिति रही तो जल्द ही पारा शिक्षक संघ आंदोलन करने को विवश होंगे. उन्होंने यह भी कहा है कि सरकार बायोमैट्रिक सिस्टम और ज्ञान सेतु योजना जैसे कार्यक्रमों के जरिए शिक्षकों को उलझा कर रखी है और अतिरिक्त बोझ दिया जा रहा है. जो हरगिज बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

पहले भी आंदोलन कर चुके हैं पारा शिक्षक
बता दें कि 16 नवंबर 2018 से पारा शिक्षकों ने राज्यव्यापी आंदोलन शुरू किया था. जो लगभग 2 महीने तक चला था. इस आंदोलन के पीछे सेवा स्थायीकरण और वेतनमान मुख्य मांग थी. आंदोलन को समाप्त करने को लेकर पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा और शिक्षा विभाग के बीच कई दौर की वार्ता भी हुई. अंततः तय हुआ कि 90 दिनों के अंदर सरकार नियमावली समेत अन्य विषयों पर निर्णय लेगी. लेकिन सरकार अबतक किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाई है.

Intro:रांची.

एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा ने झारखंड सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया है. पारा शिक्षकों का कहना है कि, सरकार ने 90 दिनों के अंदर सेवा स्थायीकरण और वेतनमान समेत अन्य मुद्दों के हल निकालने का भरोसा दिलाया था। आधे से ज्यादा समय गुजर जाने के बाद भी सरकार की ओर से अब तक रुख साफ नहीं है. इस मुद्दे को लेकर पारा शिक्षकों ने रांची में एक बैठक कर एक बार फिर आंदोलन की रूपरेखा तैयार की है। मौके पर पारा शिक्षकों ने बायोमैट्रिक सिस्टम और ज्ञान सेतु योजना का भी विरोध किया है इनकी मानें तो सरकार इनके ऊपर अतिरिक्त भार दे रही है,जिसे बर्दास्त नही किया जाएगा।

Body:एक बार फिर पारा शिक्षक राज्यव्यापी आंदोलन की राह पर चल पड़े हैं। आंदोलन और सरकार के रुख पर विचार करने को लेकर राज्यभर से आए पारा शिक्षकों के प्रतिनिधियों ने मोराबादी में बैठक की और आगे की रणनीति तय की। मोर्चा के नेता सिंटू सिंह ने कहा कि, सरकार ने जिस आश्वासन के साथ पारा शिक्षकों का आंदोलन समाप्त कराया था. सरकार अब उससे पीछे हट रही है. संगठन को तोड़ने के लिए सरकार द्वारा कई तरह के प्रोपेगेंडा अपनाए जा रहे हैं .जिसमें अशिक्षित पारा शिक्षकों को हटाने का संकेत भी है. अगर ऐसे ही स्थिति रही तो जल्द ही पारा शिक्षक संघ आंदोलन करने को विवश होंगे . पारा शिक्षकों ने यह भी कहा है कि सरकार बायोमैट्रिक सिस्टम और ज्ञान सेतु योजना जैसे कार्यक्रमों के जरिए शिक्षकों को उलझा कर रखी है और अतिरिक्त बोझ दिया जा रहा है. जो हरगिज बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

पहले भी आंदोलन कर चुके हैं पारा शिक्षक:

बता दें कि, 16 नवंबर 2018 से पारा शिक्षकों ने राज्यव्यापी आंदोलन शुरू किया था .जो लगभग 2 महीने चला था। इस आंदोलन के पीछे सेवा स्थायीकरण और वेतनमान मुख्य मांग थी। आंदोलन को समाप्त करने को लेकर पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा और शिक्षा विभाग के बीच कई दौर की वार्ता हुई। अंततः तय हुआ कि 90 दिनों के अंदर सरकार नियमावली समेत अन्य विषयों पर निर्णय लेगी। हालांकि, सरकार अबतक किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाई है.Conclusion:
Last Updated : Jun 30, 2019, 7:34 PM IST
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