रांचीः झारखंड में अनुबंध पर बहाल पारा मेडिकल कर्मियों ने अपनी मांगों को लेकर आंदोलन करने की योजना बनाई है. स्थाई नौकरी की मांग को लेकर 20 सितंबर को स्वास्थ्य विभाग का घेराव करेंगे. इसको लेकर झारखंड राज्य पारा मेडिकल अनुबंध कर्मचारी संघ ने रूपरेखा तैयार कर लिया है.
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झारखंड राज्य पारा मेडिकल अनुबंध कर्मचारी संघ के संयोजक रामाशीष सिंह ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग के लिए पारा मेडिकल कर्मी रीढ़ की हड्डी हैं. इसके बावजूद राज्य में पारा मेडिकल कर्मियों को उचित सम्मान नहीं मिल रहा है. स्वास्थ्य विभाग में सबसे ज्यादा पीड़ित और शोषित वर्ग है, तो वह अनुबंध पर बहाल पारा मेडिकल कर्मी ही हैं.
किसी तरह की नहीं मिलती सुविधा
रामाशीष सिंह ने कहा कि राज्य में कार्यरत सभी पारा मेडिकल कर्मियों ने कोरोना संक्रमण के दौरान अपने कार्यों को बखूबी निभाया है. पारा मेडिकल कर्मियों ने अपनी जान जोखिम में डालकर लोगों की सेवा की. इसके बावजूद वर्षों से अनुबंध पर काम करने को मजबूर हैं. उन्होंने कहा कि अनुबंध कर्मियों को किसी तरह की सुविधा मुहैया नहीं कराई जा रही है.
क्या है मांग
- वर्षों से स्वास्थ्य विभाग के विभिन्न संभागों में अनुबंध पर कार्यरत पारा मेडिकल कर्मियों का नियुक्ति स्थाई किया जाए
- नियमित नियुक्ति होने तक समान कार्य समान वेतन और 60 वर्षों तक सेवा गारंटी दी जाए.
- एनएचएम के तहत कार्यरत पारा चिकित्सा कर्मियों की वेतन विसंगति को दूर कर एक समान मानदेय किया जाए
- अनुबंध पर कार्यरत पारा चिकित्सा कर्मियों को झारखंड पारा मेडिकल काउंसिल से निबंधन कराने की प्रक्रिया को आसान किया जाए
पांच हजार से अधिक पारा मेडिकल कर्मी
राज्य में लगभग पांच हजार पारा मेडिकल कर्मचारी हैं, जो सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों से लेकर मेडिकल कॉलेजों में कार्यरत हैं. इसमें लैब टेक्नीशियन, एएनएम, जीएनएम, फार्मासिस्ट, एक्स-रे टेक्निशियन, ऑपथैलेमिक टेक्नीशियन आदि शामिल हैं. मेडिकल अनुबंध कर्मचारी संघ ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि हेमंत सरकार ने वादा किया था, जो अब तक पूरा नहीं किया गया है.