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पंचायत चुनाव 2022 पर सभी दलों की नजर, बिना निशान पार्टी कैंडिडेट उतारने की तैयारी

पंचायत चुनाव 2022 की कवायद तेज हो गई है. इस बीच सभी दलों की नजर इन चुनावों पर टिक गई है. सभी बिना निशान चुनाव में पार्टी समर्थकों को उतार रहे हैं और उन्हें जिताने की कोशिश में है.

Panchayat elections 2022
पंचायत चुनाव 2022
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Published : May 1, 2022, 7:54 PM IST

Updated : May 2, 2022, 8:12 AM IST

रांचीः झारखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की प्रक्रिया चल रही है. चुनाव दलीय आधार पर नहीं हो रहे हैं, इसके बावजूद सत्तारूढ़ गठबंधन के दल झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस और राजद जोर लगाए हैं. मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा और आजसू भी कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती.

ये भी पढ़ें-Mandar by election: मांडर विधानसभा सीट पर उपचुनाव कराने की तैयारी शुरू

जेएमएम के वरीय नेता सुप्रियो भट्टाचार्या का कहना है कि झामुमो के महाधिवेशन के दौरान ही सभी जिलाध्यक्षों को यह संदेश दे दिया गया था कि जब भी पंचायत चुनाव हों, उससे पहले आपसी सहमति बना लें कि त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में पार्टी से जुड़े या झामुमो की विचारधारा के नेता की जीत हो. सुप्रियो भट्टाचार्या ने कहा कि त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में 95% सीट पर आपसी सहमति से झामुमो की विचारधारा वाला एक ही व्यक्ति मैदान में हों यह सुनिश्चित किया जाए. उन्होंने माना कि दलीय आधार पर चुनाव नहीं होने से 100% ऐसा करना या अनुशासन में बांधना संभव नहीं है. ग्रामीण इलाकों में पैठ रखनेवाली पार्टी झामुमो और राजद का जोर ज्यादा से ज्यादा अपनी विचारधारा वाले लोगों को मुखिया पद पर जिताना है.

सुनें सभी दलों की राय


झारखंड कांग्रेस भी साइलेंट मोड में ज्यादा से ज्यादा कांग्रेसी या कांग्रेसी परिवार के किसी सदस्य को पंचायत चुनाव में जीत दिलाने की कोशिश में है. पार्टी की ओर से यह रणनीति बनी है कि जिस जिस विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस के निर्वाचित विधायक और जहां कांग्रेस के सांसद हैं उन इलाकों में ज्यादा से ज्यादा अपने लोगों की जीत सुनिश्चित हो. झारखंड कांग्रेस के प्रवक्ता राकेश सिन्हा कहते हैं कि दलीय आधार पर चुनाव भले ही नहीं हो रहा हो पर जब चुनाव है तो राजनीतिक दलों की नजर भी पंचायत चुनाव पर होना स्वाभाविक है.

भाजपा की नजर जिला परिषद की सीट परः त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में जिला परिषद की सीट काफी अहम माना जाती है, शायद यही वजह है कि भाजपा की नजर जिला परिषद की सीटों पर है. भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रदीप सिन्हा कहते हैं कि जब बड़ी संख्या में भाजपा की विचारधारा के लोग जिला परिषद सदस्य बनेंगे तो फिर जिला परिषद अध्यक्ष भी भाजपा की विचारधारा का चुना जाएगा और ड्राइविंग सीट अप्रत्यक्ष रूप से भाजपा के पास होगी. इसी तरह आजसू,वामदल, जदयू ,एनसीपी और यहां तक कि निर्दलीय विधायक की भी रूचि पंचायत चुनाव में है और अपने अपने मजबूत आधार वाले क्षेत्र में अपने नजदीकी या विचारधारा के करीब रहने वाले उम्मीदवारों को जीत दिलाने की कोशिशों में लग गए हैं.

रांचीः झारखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की प्रक्रिया चल रही है. चुनाव दलीय आधार पर नहीं हो रहे हैं, इसके बावजूद सत्तारूढ़ गठबंधन के दल झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस और राजद जोर लगाए हैं. मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा और आजसू भी कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती.

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जेएमएम के वरीय नेता सुप्रियो भट्टाचार्या का कहना है कि झामुमो के महाधिवेशन के दौरान ही सभी जिलाध्यक्षों को यह संदेश दे दिया गया था कि जब भी पंचायत चुनाव हों, उससे पहले आपसी सहमति बना लें कि त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में पार्टी से जुड़े या झामुमो की विचारधारा के नेता की जीत हो. सुप्रियो भट्टाचार्या ने कहा कि त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में 95% सीट पर आपसी सहमति से झामुमो की विचारधारा वाला एक ही व्यक्ति मैदान में हों यह सुनिश्चित किया जाए. उन्होंने माना कि दलीय आधार पर चुनाव नहीं होने से 100% ऐसा करना या अनुशासन में बांधना संभव नहीं है. ग्रामीण इलाकों में पैठ रखनेवाली पार्टी झामुमो और राजद का जोर ज्यादा से ज्यादा अपनी विचारधारा वाले लोगों को मुखिया पद पर जिताना है.

सुनें सभी दलों की राय


झारखंड कांग्रेस भी साइलेंट मोड में ज्यादा से ज्यादा कांग्रेसी या कांग्रेसी परिवार के किसी सदस्य को पंचायत चुनाव में जीत दिलाने की कोशिश में है. पार्टी की ओर से यह रणनीति बनी है कि जिस जिस विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस के निर्वाचित विधायक और जहां कांग्रेस के सांसद हैं उन इलाकों में ज्यादा से ज्यादा अपने लोगों की जीत सुनिश्चित हो. झारखंड कांग्रेस के प्रवक्ता राकेश सिन्हा कहते हैं कि दलीय आधार पर चुनाव भले ही नहीं हो रहा हो पर जब चुनाव है तो राजनीतिक दलों की नजर भी पंचायत चुनाव पर होना स्वाभाविक है.

भाजपा की नजर जिला परिषद की सीट परः त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में जिला परिषद की सीट काफी अहम माना जाती है, शायद यही वजह है कि भाजपा की नजर जिला परिषद की सीटों पर है. भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रदीप सिन्हा कहते हैं कि जब बड़ी संख्या में भाजपा की विचारधारा के लोग जिला परिषद सदस्य बनेंगे तो फिर जिला परिषद अध्यक्ष भी भाजपा की विचारधारा का चुना जाएगा और ड्राइविंग सीट अप्रत्यक्ष रूप से भाजपा के पास होगी. इसी तरह आजसू,वामदल, जदयू ,एनसीपी और यहां तक कि निर्दलीय विधायक की भी रूचि पंचायत चुनाव में है और अपने अपने मजबूत आधार वाले क्षेत्र में अपने नजदीकी या विचारधारा के करीब रहने वाले उम्मीदवारों को जीत दिलाने की कोशिशों में लग गए हैं.

Last Updated : May 2, 2022, 8:12 AM IST
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