रांची: झारखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 2022 की प्रक्रिया तेज हो गई है. जैसे-जैस मतदान की तारीख नजदीक आ रही है, पंचायत चुनाव पर विवादों का साया भी मंडराने लगा है. बुधवार को पिछले चुनाव का लेखाजोखा न जमा करने पर एक प्रत्याशी का नामांकन खारिज कर दिया गया. हालांकि प्रत्याशी का कहना है पिछले चुनाव का लेखाजोखा जमा करने की रिसीविंग उसके पास है. राजधानी रांची में जिला परिषद सदस्य पद के लिए नामांकन दाखिल करने वाली इस प्रत्याशी ने प्रशासन खास तौर पर डीसी पर गंभीर आरोप लगाए. रेशमा ने उसका नामांकन खारिज करने के लिए डीसी को जिम्मेदार ठहराया है.
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त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 2022 के लिए बुधवार को नामांकन पत्रो की स्क्रूटनी की गई. इस दौरान कई अभ्यर्थियों के नामांकन खारिज कर दिए गए. इसमें बड़ी संख्या में नामांकन खारिज होने के पीछे स्थानीय प्रशासन द्वारा पिछले चुनाव के खर्चों का हिसाब नहीं दिए जाने की बात कही जा रही है. प्रशासन का कहना है कि पिछले खर्चों का हिसाब न दिए जाने से डिबार किए गए अभ्यर्थियों का नामांकन खारिज किया गया है.
आत्महत्या की कोशिशः इधर बुधवार को रांची समाहरणालय में कांके से जिला परिषद सदस्य पद के लिए आवेदन करने वाली रेशमा बेगम ने आपा खो दिया. पिछले चुनाव के खर्चों का हिसाब न देने के नाम पर नामांकन खारिज होने पर रेशमा ने आत्महत्या की कोशिश की. गनीमत रही कि महिला पुलिस ने रेशमा बेगम को काबू में कर लिया. रेशमा का आरोप है कि प्रशासन ने मनमाने तरीके से उसका पर्चा खारिज किया है. रेशमा का कहना है कि उसने पिछले चुनाव के खर्चे का हिसाब जमा किया था, उसकी रिसीविंग भी उसके पास है फिर भी नामांकन खारिज कर दिया गया.
डीसी रांची पर आरोपः रेशमा बेगम ने डीसी रांची पर आरोप लगाया कि उनके विरोधी से मिलीभगत कर डीसी ने जानबूझकर नामांकन खारिज करा दिया है. उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन ने पिछले चुनाव में खर्च का हिसाब नहीं देने से यह कारवाई की है, जबकि मैंने 2015 में हुए चुनाव का हिसाब 2018 में जमा कर दिया था, जिसकी ऑफिस से मिली रिसीविंग मेरे पास है.उन्होंने जिला प्रशासन से की गई इस कारवाई का विरोध किया है.
डीसी के खिलाफ केस की धमकीः रेशमा का आरोप है कि डीसी रांची ने उनसे झूठ बोलकर उसे दूसरे अफसर के पास भेज दिया था. उन्होंने इस मामले में डीसी के खिलाफ केस करने की धमकी दी है. गौरतलब है कि इससे पहले भारतीय जनता पार्टी ने निर्वाचन पदाधिकारी की मनमानी का आरोप लगाकर राज्य निर्वाचन आयोग से शिकायत की थी. इसके बाबजूद राज्य के विभिन्न जिलों में अब तक सैकड़ों नामांकन पत्र विभिन्न वजहों से खारिज होने की सूचना मिल रही है.