रांची: पद्मश्री मुकुंद नायक और पद्मश्री मधु मंसूरी हंसमुख ने सरकार से भ्रष्ट अधिकारियों को बर्खास्त करने की अनुशंसा केंद्र को भेजने की मांग की है. इसके साथ साथ रांची में सेना की जमीन को बेचने वाले दलालों और भू माफियाओं को देशद्रोही घोषित कर उन्हें राज्य निकाला (तड़ीपाड़) करने की भी मांग की गई है. झारखंड और खासकर राजधानी रांची में जमीन माफिया, राजनेता और ब्यूरोक्रेट्स के नापाक गठजोड़ द्वारा की जा रही जमीन की लूट से जहां आम झारखंडी हतप्रभ हैं. वहीं इससे पदमश्री पुरस्कार विजेता मुकुंद नायक और मधु मंसूरी हंसमुख भी बेहद दुखी हैं. रविवार को मूलवासी सदान मोर्चा के बैनर तले संवाददाता सम्मेलन कर मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद, पद्मश्री मुकुंद नायक और पद्मश्री मधु मंसूरी हंसमुख ने सरकार से ये मांग की.
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'डीसी को बचाने वाले दोषी पर कार्रवाई हो': मूलवासी सदान मोर्चा के अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि पहले दक्षिणी छोटानागपुर के आयुक्त डॉ नितिन मदन कुलकर्णी ने रांची डीसी के ऊपर लगे आरोप की जांच की थी. आयुक्त की उस रिपोर्ट में रांची डीसी सहित कई लोगों पर कई आरोप सही पाए गए थे. फिर भी सरकार ने डीसी पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं किया, इसके दोषी कौन हैं, उन पर भी कार्रवाई हो. मूलवासी सदान मोर्चा ने कहा कि जब तक राज्य की नियोजन ना बन जाये तब तक संयुक्त बिहार की 1983 वाली स्थानीय नीति को आधार मानकर नियुक्तियां की जाए.
जिस सपने के साथ झारखंड का निर्माण हुआ, वह सपना आज भी अधूरा-पद्मश्री मुकुंद नायक: पदम् पुरस्कार से सम्मानित मुकुंद नायक ने कहा कि मैं देश का सामाजिक और सांस्कृतिक प्रहरी होने के नाते कह सकता हूं कि राज्य बनने के 23 वर्ष होने वाले हैं, लेकिन आज भी आदिवासी मूलवासी और सदानों का सपना पूरा नहीं हुआ है. पुरखों का सपना आज भी अधूरा है. पद्मश्री मधु मंसूरी हंसमुख ने कहा कि आज झारखंड में जिस तरह से जमीन की लूट हो रही है, उससे बेहद दुखी हूं.
अपने गांव सिमरिया का जिक्र करते हुए पद्मश्री मधु मंसूर हंसमुख ने कहा कि उनके गांव में 503 एकड़ जीएम यानी गैरमजरूआ जमीन थी. उस जमीन को दलाल और भू माफियाओं ने फर्जी कागज बनाकर लूट लिया. जब जमींदार ने आज तक रिटर्न नहीं भरा तो एम फार्म जमीन दलालों के पास कहां से आया. इसी तरह पुदाग इलाके में 230 एकड़ सरकारी जमीन, झारखंड बनने के बाद छूमंतर हो गयी. HEC के लिए 8,000 एकड़ जमीन लिया गया. आज ना जमीन बची है और ना ही एचईसी. चाय बागान की 179 एकड़ से अधिक जमीन को बदमाशों और जमीन दलालों ने कब्जा कर लिया और सरकारें और प्रशासन आंखें मूंद कर देखती रह गयी.