रांचीः झारखंड में धान खरीद में अनियमितता की जांच शुरू हो गई है. पिछली खरीफ वर्ष में किसानों के नाम पर बड़े पैमाने पर धान बेचे गये. खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के जांच में 65 हजार किसान शक के दायरे में हैं. सरकार ऐसे किसानों को नोटिस भेजकर अंचलाधिकारी के माध्यम से पूछताछ करने की प्रक्रिया शुरू कर रही है. जिससे फर्जी निबंधन के जरिए किसान बने बिचौलियों की काली करतूत अब उजागर होनेवाली है.
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खाद्य एवं आपूर्ति विभाग ने झारखंड में धान खरीद घोटाला में करीब 65 हजार फर्जी किसानों को चिंहित किया है, जिसपर कारवाई करने की तैयारी शुरू हो गयी है. क्षमता से ज्यादा धान बेचने वाले सभी किसानों को जिला आपूर्ति पदाधिकारी कार्यालय से नोटिस भेजी जा रही है. विभाग द्वारा चिंहित ऐसे किसानों को अंचलाधिकारी के समक्ष जवाब देना होगा. राज्य सरकार ने ऐसे किसानों का राशनकार्ड और जमीन की रसीद की जांच का फैसला लिया है. क्षमता से अधिक धान बेचने वाले ऐसे किसानों का ना केवल राशनकार्ड रद्द किया जाएगा बल्कि उनसे सरकारी राशि को भी वसूली जाएगी. रांची जिला आपूर्ति पदाधिकारी अलबर्ट बिलुंग के अनुसार धान खरीद घोटाला की जांच शुरू की हो गयी है जिला में 50 ऐसे फर्जी किसानों को चिंहित किया गया है जिनके खिलाफ विभाग कार्रवाई कर रहा है.
धान खरीद में अनियमितताः झारखंड में धान खरीद में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी प्रकाश में आया है. तथाकथित किसान बनकर बिचौलियों ने सरकारी सुविधा का लाभ उठाया है. विभागीय जांच में ऐसे किसान पाए गए हैं, जिन्होंने फर्जी जमीन रसीद दिखाकर हजार क्विंटल तक धान बेच दिया है. खरीफ के पिछले फसल चक्र में राज्य सरकार ने 60 लाख टन धान खरीद का लक्ष्य तय किया था, जबकि इस लक्ष्य के विरुद्ध 103 प्रतिशत की उपलब्धि हासिल करते हुए सरकार ने 62 लाख टन धान खरीदकर वाहवाही तो लूट ली. लेकिन जब यह मामला प्रकाश में आया तो विभाग के अधिकारियों में खलबली मच गयी है. चौंकाने वाली बात यह है कि विभाग द्वारा अब तक हुई जांच में 65 हजार ऐसे किसान पाए गए हैं, जो संदेह के घेरे में हैं.
ऐसे हुई गड़बड़ीः इस पूरे खेल में बिचौलियों की चांदी रही है. व्यापारियों और मिल मालिकों की मिलीभगत से हुई इस गड़बड़ी में विभाग के अधिकारियों के भी शामिल होने की बात कही जा रही है. कहा जा रहा है कि धान खरीद शुरू होने से कुछ महीने पहले से ही बिचौलिये किसानों के नाम पर फर्जी रजिस्ट्रेशन कराने में लग जाते हैं. जमीन का दस्तावेज को आधार बनाकर आवंटन लेने में सफल रहे इन फर्जी किसानों ने मनमाने ढंग से धान को लैम्प्स में बेचा है. किसी ने पांच सौ तो किसी ने हजार-हजार क्विंटल धान बिक्री दिखाकर सरकारी राशि की क्षति पहुंचाई है. फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद सरकार ने इससे सबक लेते हुए इस खरीफ वर्ष में धान खरीद में किसानों से अधिकतम 200 क्विंटल ही लेने का निर्देश दिया है. साथ ही संदेह के घेरे में आए किसानों पर सख्त नजर रखने को कहा है. इसके अलावा एक बार में एक किसान से अधिकतम 100 क्विंटल ही धान खरीद करने का आदेश दिया गया है. किसान अगर इससे ज्यादा धान बेचना चाहते हैं तो 15 दिन बाद ही धान बेचने की अनुमति वैसे किसान को मिलेगी.
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कार्रवाई शुरू होते ही राजनीति भी शुरूः खाद्य एवं आपूर्ति विभाग द्वारा कार्रवाई शुरू होते ही हलचल मच गयी है. विभागीय अधिकारी का मानना है कि जांच में जो भी दोषी पाए जाएंगे उन्हें बख्शा नहीं जाएगा. इधर विपक्षी दल भाजपा ने धान खरीद में हुई गड़बड़ी पर निशाना साधते हुए कहा है कि सरकार चाहती नहीं है कि सही से धान खरीद हो. भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेश महामंत्री ललित ओझा ने कहा कि बिचौलिया अपना काम करके निकल गए हैं और सरकार अब किसानों पर कारवाई करना चाह रही है. वहीं कांग्रेस प्रवक्ता राकेश सिन्हा ने कहा है कि सरकार घोटाला में शामिल लोगों पर कार्रवाई करने के लिए तत्पर है और इस दिशा में कार्रवाई की जा रही है.