रांची: हर साल की तरह इस बार भी राज्य में सरकारी दर पर एक दिसंबर से धान की खरीद शुरू हुई थी. किसानों के लिए हर प्रखंड में स्थित लैम्पस में धान खरीद केंद्र बनाया गया जहां किसान धान बेच सकते हैं. लेकिन, सरकारी उदासीनता के कारण लैम्पस में धान खरीद का काम धीमी गति से हो रहा है. लैम्पस द्वारा हो रही धान खरीदी का जब हमने जायजा लिया तो पता चला कि यहां रजिस्टर्ड 298 किसान में से मात्र 172 किसानों ने ही धान बेचा है, जो लक्ष्य से काफी कम है. इसके पीछे वजह रखरखाव के अभाव में धान खरीद का बंद होना बताया जा रहा है.
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धान खरीदी की रफ्तार धीमी
ऐसी ही स्थिति दूसरे लैम्पस की भी है जहां धान खरीदी केन्द्र पर रफ्तार धीमी है. गोदाम के अभाव और मिल मालिकों द्वारा क्रय नहीं होने के चलते धान खरीदी नहीं हो रही है. धान की खरीद न होने से किसान परेशान हैं और हर दिन लैम्पस के चक्कर लगा रहे हैं. मिल मालिक धान का उठाव नहीं कर रहे हैं. मिल मालिक को गोदाम में पड़े धान का उठाव करने से पहले सरकार को बदले में 68 फीसदी चावल देना है.
औने-पौने दाम में धान बेचने को मजबूर हैं किसान
गांव में बिचौलिए हावी हैं और किसान घर में पड़े धान को औने-पौने दाम में बेचने को मजबूर हैं. इधर, धान खरीदी को लेकर आ रही परेशानी को देखते हुए सरकार ने बीते गुरुवार को इसकी समीक्षा की. बैठक में मिल मालिकों द्वारा धान का उठाव नहीं होने पर चिंता जताई गई. खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री रामेश्वर उरांव ने भी माना कि धान खरीदी में दिक्कत हो रही है. हालांकि, मंत्री ने 82% धान खरीदी होने का दावा किया.
सरकार को संसाधन बढ़ाने की जरूरत
केंद्र सरकार द्वारा तय एमएसपी के अलावा राज्य सरकार प्रति क्विंटल 182 रुपए का बोनस भी दे रही है. किसानों से 2050 रुपये प्रति क्विंटल की दर से धान खरीदा जाना था, लेकिन ज्यादातर किसान इससे वंचित हैं. धान खरीदी के लिए राज्य में 2 लाख 2 हजार 703 किसानों ने रजिस्ट्रेशन कराया था. अब तक महज 66 हजार 322 किसानों से धान खरीदी हुई है. कुल 3,81,290 क्विंटल धान खरीदी की गई है. ऐसे में सरकार को संसाधन बढ़ाने की जरूरत है, जिससे किसानों से धान खरीदी हो सके और बिचौलिये हावी न हों.