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लेट मानसून के कारण नहीं हुई धान की अच्छी फसल, किसान मायूस - झारखंड में मानसून का असर,

देश में किसान खेती के लिए बारिश पर निर्भर रहते हैं. बारिश ठीक से नहीं होने या समय पर मानसून नहीं आने से किसानों पर सीधा असर पड़ता है. झारखंड में भी इस बार मानसून ने देर से प्रवेश किया. इससे धान की खेती पर असर पड़ा है. धान की कटाई का वक्त आ गया है, लेकिन इतना धान नहीं उग पाया जिससे साल भर गुजारा चल सके.

Paddy crop decreased
धान की खेती प्रभावित
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Published : Dec 8, 2019, 1:40 PM IST

रांचीः पूरे देश में नवंबर से दिसंबर के बीच किसान खेतों में धान की कटाई शुरू कर देते हैं. झारखंड में समय से मानसून का प्रवेश नहीं होने की वजह से इस बार कई किसान धान की रोपाई करने से वंचित रह गए. समय से बारिश नहीं होने से किसान उम्मीद छोड़ चुके थे, लेकिन बीच-बीच में बारिश होने के कारण इस बार धान की खेती में ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ा.

देखें पूरी खबर
किसानों की मानें तो इस बार समय से बारिश नहीं होने से खेत में धान की रोपाई नहीं कर सकें, लेकिन जितने खेत में धान की रोपाई की गई थी वहां पर धान की उपज हुई है. हालांकि पूरे साल इस धान से खाना नहीं चल सकेगा. किसानों का कहना है कि इस बार धान कम हुआ है. वहीं, बारिश होने की वजह से खेत में ही बिछड़ा खराब हो गया था

ये भी पढ़ें- दिल की बीमारी ने दिखाई अलग राह, इस विधि से खेती कर कमा रहे लाखों का मुनाफा

बता दें कि केंद्र सरकार ने झारखंड के 10 जिलों को सूखाग्रस्त घोषित किया है. इसके साथ ही राज्य के 9 जिलों चतरा, देवघर, गढ़वा, गिरिडीह, गोड्डा, हजारीबाग, जामताड़ा, कोडरमा और पाकुड़ को मध्यम श्रेणी में शामिल किया गया.

रांचीः पूरे देश में नवंबर से दिसंबर के बीच किसान खेतों में धान की कटाई शुरू कर देते हैं. झारखंड में समय से मानसून का प्रवेश नहीं होने की वजह से इस बार कई किसान धान की रोपाई करने से वंचित रह गए. समय से बारिश नहीं होने से किसान उम्मीद छोड़ चुके थे, लेकिन बीच-बीच में बारिश होने के कारण इस बार धान की खेती में ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ा.

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किसानों की मानें तो इस बार समय से बारिश नहीं होने से खेत में धान की रोपाई नहीं कर सकें, लेकिन जितने खेत में धान की रोपाई की गई थी वहां पर धान की उपज हुई है. हालांकि पूरे साल इस धान से खाना नहीं चल सकेगा. किसानों का कहना है कि इस बार धान कम हुआ है. वहीं, बारिश होने की वजह से खेत में ही बिछड़ा खराब हो गया था

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बता दें कि केंद्र सरकार ने झारखंड के 10 जिलों को सूखाग्रस्त घोषित किया है. इसके साथ ही राज्य के 9 जिलों चतरा, देवघर, गढ़वा, गिरिडीह, गोड्डा, हजारीबाग, जामताड़ा, कोडरमा और पाकुड़ को मध्यम श्रेणी में शामिल किया गया.

Intro:रांची
बाइट--किसान
बाइट--महिला किसान


पूरे देश में नवंबर से दिसंबर के बीच किसानों के खेतों में धान की कटाई शुरू हो जाता है इस समय किसान अपने खेत खलिहान में नजर आते हैं इस बार झारखंड में समय से मानसून का प्रवेश नहीं होने के कारण कई किसान धान की रोपाई करने से वंचित रह गए क्योंकि समय से बारिश नहीं होने के कारण किसान उम्मीद छोड़ चुके थे की इस बार धान की खेती नही होगी। लेकिन बीच-बीच में बारिश होने के कारण इस बार धान की खेती में ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ा क्योंकि जो किसान सिंचाई कर धान की रोपाई की उनके खेतों में धान की पैदावार कोमो बेसी हुई है।


Body:धान की खेती एक ऐसी खेती होती है जिस पर पूरा परिवार आश्रित होता है क्योंकि धान की उपज से पूरे साल भर का उनके घर का अनाज चलता है राजधानी रांची के कांके प्रखंड क्षेत्र में भी धान काटने को लेकर किसान खेत खलियान में नजर आ रहे हैं किसानों की मानें तो इस बार समय से बारिश नहीं होने के कारण अपने पूरे खेत में धान की रोपाई नहीं कर सके लेकिन जितने खेत में धान की रोपाई की गई थी वहां पर धान की उपज हुई है पूरे साल भर इस धान से खाना नहीं चलेगा लेकिन जितना भी हुआ है उससे काम चल जाएगा धान इस बार कम होने का एक ही वजह है कि समय से बारिश नहीं हुआ जिसके कारण खेत में ही बिछड़ा खराब हो गया था और धान का बिचड़ा खराब हो जाने के कारण जितना जगह में रोपाई हो सका उतना ही मेरे पाई की गई इस उम्मीद से कि अगर धान की खेती हो जाती है तो अच्छा नहीं तो भगवान भरोसे इस बार कमो बोसी धान की खेती हुई है।


Conclusion:झारखंड में समय से मानसून प्रवेश नहीं होने के कारण धान की खेती काफी प्रभावित हुई है उसी को देखते हुए केंद्र सरकार ने 10 जिलों को सूखाग्रस्त घोषित किया है साथ ही राज्य के 9 जिला चतरा देवघर गढ़वा गिरिडीह गोड्डा हजारीबाग जामताड़ा कोडरमा और पाकुर को मध्यम श्रेणी में शामिल किया था झारखंड सरकार ने रांची दुमका और लातेहार को भी सूखाग्रस्त जिले में शामिल करने का केंद्र सरकार से आग्रह किया था
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