रांची: नीट पीजी काउंसलिंग की मांग को लेकर रिम्स के जूनियर डॉक्टरों ने आंदोलन शुरू कर दिया है. डॉक्टरों का कहना है कि एमबीबीएस पास कर चुके डॉक्टरों को उच्च स्तर और विशेष पढ़ाई के लिए नीट पीजी की परीक्षा पास करना होता है. लेकिन इस साल नीट पीजी की परीक्षा काफी देर से हुई. जबकि यह परीक्षा आमतौर पर सितंबर तक हो जाती थी.
इसे भी पढ़ें: NEET PG Counseling की मांग, काला बिल्ला लगाकर इलाज कर रहे रिम्स के जूनियर डॉक्टर्स
वहीं परीक्षा में देरी होने के मामले के बाद आरक्षण का विवाद सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. मामले की सुनवाई में देरी हो रही है और नीट की काउंसलिंग नहीं हो पा रही है. जिससे मेडिकल कॉलेज में नए डॉक्टर बहाल नहीं हो रहे हैं. जेडीए के सदस्य डॉ प्रवीण ने कहा कि अगर इसी तरह कोर्ट में मामला विचाराधीन रहा तो जो छात्र एमबीबीएस कंप्लीट कर नीट पीजी का परीक्षा पास कर चुके हैं, उन्हें मेडिकल कॉलेजो में एंट्री नहीं मिल पाएगी और उनका एक साल बर्बाद हो जाएगा. उन्होंने कहा कि नीट पीजी में एडमिशन नहीं होने से अस्पताल में जो पीजी डॉक्टर हैं, उनपर मरीजों का लोड काफी बढ़ गया है. यदि नए पीजी के डॉक्टर रिम्स में आ जाते तो पहले से काम कर रहे रिम्स या अन्य कॉलेजों के पीजी डाक्टरों पर काम का भार कम होता.
हेमंत सरकार से डॉक्टरों की अपील
रिम्स सर्जरी की डॉक्टर हेना बताती हैं कि जब मामला लोगों के स्वास्थ्य से जुड़ा है तो न्यायालय में इसकी सुनवाई जल्द से जल्द होनी चाहिए, ताकि वर्तमान में काम कर रहे डॉक्टरों पर काम का बोझ कम हो. उन्होंने बताया कि पिछले एक साल से पीजी फर्स्ट और सेकंड ईयर के डॉक्टरों को अपने क्षमता से ज्यादा काम करना पड़ रहा. जिस प्रकार से दोबारा कोरोना का प्रकोप बढ़ रहा है, ऐसे में हम जूनियर डॉक्टरों की परेशानी और भी बढ़ जाएगी. उन्होंने राज्य सरकार और स्वास्थ्य मंत्री से इस मामले को केंद्र सरकार तक मजबूती से पहुंचाने की अपील की है. ताकि सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई जल्द से जल्द हो सके.
इसे भी पढे़ं: कोरोना की तीसरी लहर के मुहाने पर देश! रिम्स में धूल फांक रहे वेंटिलेटर, अटकी रहती है मरीजों की सांस
सरकार से ठोस कदम उठाने की मांग
वहीं पीजी फर्स्ट ईयर के डॉ सुजीत बताते हैं यदि सरकार जल्द से जल्द इस पर निर्णय नहीं लेती है तो अन्य राज्यों की तरह झारखंड में भी ओपीडी सेवा बंद कर दिया जाएगा. जिसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ सकता है. रिम्स के डॉक्टरों का एक स्वर में कहना है यदि मामला सुप्रीम कोर्ट में है तो स्पेशल केस मानकर इस मामले की जल्द से जल्द सुनवाई हो. राज्य और केंद्र सरकार आगे आकर ठोस कदम उठाएं.