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World Rabies Day 2022: झारखंड में हर साल 60 हजार से अधिक डॉग बाइट के मामले, ABC रूल लागू करने की जरूरत! - Jharkhand News

दुनिया भर में 28 सितंबर को वर्ल्ड रैबीज डे मनाया जाता है. इस साल भी बुधवार को विश्व रैबीज दिवस मनाया गया. इस साल रैबीज से मौत के आंकड़े को शून्य करने का लक्ष्य रखा गया है. इसी कड़ी में रांची में विश्व रैबीज दिवस पर कार्यशाला का आयोजन हुआ. जिसमें कई विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया और रैबीज से मौत के आंकड़ों को रोकने के कई सुझाव दिए. साथ ही यह भी बताया कि कुत्ते के काटने के बाद क्या करें.

world rabies day
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Published : Sep 28, 2022, 7:50 PM IST

Updated : Sep 28, 2022, 10:02 PM IST

रांची: साल 2030 तक विश्व से रैबीज से मौत के आंकड़े (Rabies death statistics) को शून्य करने के लक्ष्य के साथ बुधवार को दुनिया भर में वर्ल्ड रैबीज डे (World Rabies Day 2022) मनाया गया. इस साल मनाए जा रहे 16वें विश्व रैबीज दिवस का थीम 'वन हेल्थ,जीरो डेथ' रखा गया है (World Rabies Day 2022 Theme). झारखंड के संदर्भ में विश्व रैबीज दिवस की अहमियत (Importance of World Rabies Day) इसलिए बढ़ जाती है क्योंकि कोरोनकाल के दो साल 2020 और 2021 को छोड़ दें तो, 2016 से लेकर 2019 तक के आंकड़ें बताते हैं कि राज्य में हर साल 60 हजार से अधिक लोग डॉग बाइट के शिकार होते हैं. जिसके कारण सरकार को जनता की गाढ़ी कमाई का करीब 330 लाख रुपये की राशि रैबीज वैक्सीनेशन और अन्य मदों पर हर साल खर्च करना पड़ता है. राज्य में अगर डॉग बाइट को ही काबू में कर लिया जाए तो इतनी बड़ी रकम को हर साल जनस्वास्थ्य के अन्य कार्यों में लगाया जा सकता है.

इसे भी पढ़ें: हिरण में लंपी वायरस फैलने की खबर से मचा हड़कंप, PTR में हर दिन घुसते हैं 1.67 लाख मवेशी, जारी हुआ एसओपी

झारखंड में कुत्तों के काटने के आंकड़े बढ़े: रांची के प्रख्यात इंटरनल मेडिसीन फिजिशियन डॉ एके झा कहते हैं कि राज्य में डॉग बाइट यानि कुत्तों के काटने के आंकड़े (Dog bite statistics in Jharkhand) बढ़े हैं. यह तभी कम होगा जब राज्य में कुत्तों की बढ़ती संख्या को रोका जाए और चाहे पेट डॉग हो या स्ट्रीट डॉग, सभी को वैक्सीनेट किया जाए. रांची सहित राज्यभर में आवारा कुत्तों का आतंक इतना बढ़ गया है कि वह राहगीरों के साथ-साथ पालतू पशुओं, खासकर बकरियों को भी अपना शिकार बना लेते हैं. जिसके कारण जानवर से इंसान में और जानवरों से जानवरों में फैलने वाली जानलेवा बीमारी रैबीज खतरनाक हो जाता है. रांची सदर अस्पताल में एंटी रेबीज वैक्सीन लेने आयीं हरमू की नीतू चौधरी कहती हैं कि वह स्कूल से घर लौटे बेटे को लाने के लिए बस स्टैंड गयी थीं. जहां कुत्ते ने उनके पैर में काट लिया

देखें पूरी खबर


झारखंड में आंकड़े से समझें डॉग बाइट के मामले: राज्य के सरकारी आंकड़े के अनुसार वर्ष 2016 में 58297, वर्ष 2017 में 59071, वर्ष 2018 में 61123, वर्ष 2019 में 71727, वर्ष 2020 में 35988 और वर्ष 2021 में 39555 लोग डॉग बाइट के शिकार हुए. आंकड़े बताते हैं कि राज्य में हर एक लाख की आबादी में औसतन 30 लोग डॉग बाईट के शिकार हो रहे हैं और सरकार को 330 लाख से अधिक की राशि रेबीज वैक्सीन और इलाज पर खर्च करना पड़ रहा है. रैबीज जैसे मामलों को कम करने के लिये जिला स्तर पर डिस्ट्रिक्ट लेवल जूनोटिक कमिटी का गठन किया गया है तो राज्य में कुत्तों की बढ़ती संख्या पर लगाम लगाने के लिए ABC रूल पहले से बने हैं.


पशुपालन निदेशालय में विश्व रैबीज दिवस पर कार्यक्रम: रांची के हेसाग में पशुपालन निदेशालय में झारखंड पशु चिकित्सक सेवा संघ की ओर से विश्व रैबीज दिवस पर कार्यशाला का आयोजन किया गया. जिसमें राज्य के 24 जिलों से 5-5 पशु चिकित्सक शामिल हुए. संघ के महामंत्री डॉ शिवा काशी और अध्यक्ष डॉ सेमसन संजय ने कहा कि रैबीज के खतरे को जागरुकता से ही कम किया जा सकता है. विशेषज्ञ डॉक्टरों ने कहा कि यह न सिर्फ इंसानों के लिए खतरनाक है बल्कि पशुओं के लिए भी उतना ही खतरनाक और जानलेवा है. राज्य में बड़ी संख्या में अनजाने में डॉग बाईट के बाद पशुओं की मौत हो जाती है जो चिंताजनक है.

डॉग बाइट पर क्या करें: रांची एलआरएस के निदेशक डॉ विपिन महता ने कहा कि डॉग बाईट होने के बाद तत्काल जख्म को काफी देर तक पानी और साबुन से धोना चाहिए. पोवीडोन आयोडीन लगाना चाहिए और 24 घंटे के अंदर निकट के अस्पताल जाकर डॉक्टर को दिखाने और उनकी सलाह पर वैक्सीन लेने से खतरा कम या समाप्त हो जाता है.

रांची: साल 2030 तक विश्व से रैबीज से मौत के आंकड़े (Rabies death statistics) को शून्य करने के लक्ष्य के साथ बुधवार को दुनिया भर में वर्ल्ड रैबीज डे (World Rabies Day 2022) मनाया गया. इस साल मनाए जा रहे 16वें विश्व रैबीज दिवस का थीम 'वन हेल्थ,जीरो डेथ' रखा गया है (World Rabies Day 2022 Theme). झारखंड के संदर्भ में विश्व रैबीज दिवस की अहमियत (Importance of World Rabies Day) इसलिए बढ़ जाती है क्योंकि कोरोनकाल के दो साल 2020 और 2021 को छोड़ दें तो, 2016 से लेकर 2019 तक के आंकड़ें बताते हैं कि राज्य में हर साल 60 हजार से अधिक लोग डॉग बाइट के शिकार होते हैं. जिसके कारण सरकार को जनता की गाढ़ी कमाई का करीब 330 लाख रुपये की राशि रैबीज वैक्सीनेशन और अन्य मदों पर हर साल खर्च करना पड़ता है. राज्य में अगर डॉग बाइट को ही काबू में कर लिया जाए तो इतनी बड़ी रकम को हर साल जनस्वास्थ्य के अन्य कार्यों में लगाया जा सकता है.

इसे भी पढ़ें: हिरण में लंपी वायरस फैलने की खबर से मचा हड़कंप, PTR में हर दिन घुसते हैं 1.67 लाख मवेशी, जारी हुआ एसओपी

झारखंड में कुत्तों के काटने के आंकड़े बढ़े: रांची के प्रख्यात इंटरनल मेडिसीन फिजिशियन डॉ एके झा कहते हैं कि राज्य में डॉग बाइट यानि कुत्तों के काटने के आंकड़े (Dog bite statistics in Jharkhand) बढ़े हैं. यह तभी कम होगा जब राज्य में कुत्तों की बढ़ती संख्या को रोका जाए और चाहे पेट डॉग हो या स्ट्रीट डॉग, सभी को वैक्सीनेट किया जाए. रांची सहित राज्यभर में आवारा कुत्तों का आतंक इतना बढ़ गया है कि वह राहगीरों के साथ-साथ पालतू पशुओं, खासकर बकरियों को भी अपना शिकार बना लेते हैं. जिसके कारण जानवर से इंसान में और जानवरों से जानवरों में फैलने वाली जानलेवा बीमारी रैबीज खतरनाक हो जाता है. रांची सदर अस्पताल में एंटी रेबीज वैक्सीन लेने आयीं हरमू की नीतू चौधरी कहती हैं कि वह स्कूल से घर लौटे बेटे को लाने के लिए बस स्टैंड गयी थीं. जहां कुत्ते ने उनके पैर में काट लिया

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झारखंड में आंकड़े से समझें डॉग बाइट के मामले: राज्य के सरकारी आंकड़े के अनुसार वर्ष 2016 में 58297, वर्ष 2017 में 59071, वर्ष 2018 में 61123, वर्ष 2019 में 71727, वर्ष 2020 में 35988 और वर्ष 2021 में 39555 लोग डॉग बाइट के शिकार हुए. आंकड़े बताते हैं कि राज्य में हर एक लाख की आबादी में औसतन 30 लोग डॉग बाईट के शिकार हो रहे हैं और सरकार को 330 लाख से अधिक की राशि रेबीज वैक्सीन और इलाज पर खर्च करना पड़ रहा है. रैबीज जैसे मामलों को कम करने के लिये जिला स्तर पर डिस्ट्रिक्ट लेवल जूनोटिक कमिटी का गठन किया गया है तो राज्य में कुत्तों की बढ़ती संख्या पर लगाम लगाने के लिए ABC रूल पहले से बने हैं.


पशुपालन निदेशालय में विश्व रैबीज दिवस पर कार्यक्रम: रांची के हेसाग में पशुपालन निदेशालय में झारखंड पशु चिकित्सक सेवा संघ की ओर से विश्व रैबीज दिवस पर कार्यशाला का आयोजन किया गया. जिसमें राज्य के 24 जिलों से 5-5 पशु चिकित्सक शामिल हुए. संघ के महामंत्री डॉ शिवा काशी और अध्यक्ष डॉ सेमसन संजय ने कहा कि रैबीज के खतरे को जागरुकता से ही कम किया जा सकता है. विशेषज्ञ डॉक्टरों ने कहा कि यह न सिर्फ इंसानों के लिए खतरनाक है बल्कि पशुओं के लिए भी उतना ही खतरनाक और जानलेवा है. राज्य में बड़ी संख्या में अनजाने में डॉग बाईट के बाद पशुओं की मौत हो जाती है जो चिंताजनक है.

डॉग बाइट पर क्या करें: रांची एलआरएस के निदेशक डॉ विपिन महता ने कहा कि डॉग बाईट होने के बाद तत्काल जख्म को काफी देर तक पानी और साबुन से धोना चाहिए. पोवीडोन आयोडीन लगाना चाहिए और 24 घंटे के अंदर निकट के अस्पताल जाकर डॉक्टर को दिखाने और उनकी सलाह पर वैक्सीन लेने से खतरा कम या समाप्त हो जाता है.

Last Updated : Sep 28, 2022, 10:02 PM IST
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