रांची: बीजेपी को सत्ता से उखाड़ फेंकने का संकल्प सभी विपक्षी दलों ने ले लिया है, लेकिन आगामी विधानसभा चुनाव के लिए अब तक महागठबंधन की तस्वीर साफ नहीं हो पाई है, जिससे यह संकल्प महज एक सपना ही नजर आने लगा है. लोकसभा चुनाव में जहां कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी दल चुनावी घमासान में उतरे थे. वहीं, विधानसभा चुनाव में अब तक यह तय ही नहीं हुआ है कि किसके नेतृत्व में महागठबंधन बीजेपी के खिलाफ चुनाव लड़ेगा, ये कहीं ना कहीं साबित कर रही है कि महागठबंधन में अब भी पेंच फंसा हुआ है.
रघुवर सरकार ने जन विरोधी नीतियों को धरातल पर उतारा
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप बालमुचू का कहना है कि पिछले 5 सालों में रघुवर सरकार ने जिस तरह से जन विरोधी नीतियों को धरातल पर उतारा है उस लिहाज से विधानसभा चुनाव में विपक्ष के लिए जीत आसान होगी, लेकिन महागठबंधन का स्वरूप जल्द से जल्द तय होना चाहिए, ताकि विपक्ष अपने संकल्प को पूरा कर सके. मीडियाकर्मियों ने जब उनसे पूछा कि किसके नेतृत्व में महागठबंधन चुनाव लड़ेगा, इस सवाल पर उन्होंने कहा कि जब तक महागठबंधन नहीं होगा, तब तक नेता कौन होगा यह तय होना मुश्किल है. हालांकि, उन्होंने कहा है कि महागठबंधन में कई दल हैं. इस वजह से सीट शेयरिंग में परेशानी आ सकती है, लेकिन महागठबंधन बनना असंभव भी नहीं है.
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विपक्षी दल विनिंग सीटों पर ही करें दावा
प्रदीप बालमुचू ने कहा कि जब महागठबंधन के घटक दल टेबल पर बैठेंगे, तो यह महत्वपूर्ण होगा कि किन सीटों पर विपक्ष का कौन सा दल चुनाव जीत सकता है, उसी आधार पर सीट शेयरिंग का भी फार्मूला तय होगा. उन्होंने कहा की ज्यादा सीट पर दावा कर अगर विपक्षी दल हार जाए तो विपक्ष का संकल्प पूरा नहीं होगा. इसलिए सबसे ज्यादा जरूरी है की विपक्षी दल विनिंग सीटों पर ही दावा करें.
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वहीं, प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष केशव महतो कमलेश ने कहा है कि महागठबंधन को लेकर शीर्ष नेतृत्व कोआर्डिनेशन बनाकर काम कर रहा है और चुनाव में महागठबंधन के तहत उतरने को लेकर विपक्ष एकजुट है. उन्होंने कहा है कि महागठबंधन की तस्वीर जल्द साफ हो जाएगी.