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विपक्ष ने बजट पर खड़े किए कई सवाल, सरयू राय ने कहा - बजट सुंदर है लेकिन व्यवहारिक नहीं

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Published : Mar 6, 2021, 12:25 AM IST

झारखंड विधानसभा में वर्ष 2021-22 का बजट पेश किया गया. एक ओर सत्ता पक्ष ने इसे आम जनता के हित में बताया, वहीं विपक्ष ने सरकार पर इसे लेकर कई सवाल खड़े किए. विधायक सरयू राय ने कहा कि भारी भरकम बजट बनाने के बजाय वास्तविक बजट बनाना चाहिए था.

विपक्ष का हमला
विपक्ष का हमला

रांचीः झारखंड के बजट को मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा और आजसू ने निराशाजनक और दिशा विहीन बताया. भाजपा विधायक रामचंद्र चंद्रवंशी ने कहा कि बजट में कहीं भी स्पष्ट नहीं है कि सरकार कहां से राजस्व की उगाही करेगी. उन्होंने कहा कि जब आयुष्मान भारत योजना चल रही है फिर मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना क्या है. यह गलत परंपरा है. उन्होंने कहा कि मार्च महीने में ढाई सौ से तीन सौ के आसपास डॉक्टर रिटायर होंगे. इस गैप को भरने के लिए सरकार को सोचना चाहिए.

यह भी पढ़ेंः पलामूः राजकीय सम्मान के साथ हुआ शहीद हरिद्वार साव का अंतिम संस्कार, लोगों ने नम आंखों से दी विदाई

आजसू विधायक सुरेश महतो ने झामुमो और कांग्रेस के निश्चय सह घोषणा पत्र की याद दिलाई. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने 10 एसटी छात्रों को प्रतिवर्ष विदेश में पढ़ाई करने के लिए जयपाल सिंह मुंडा के नाम पर योजना शुरू की है लेकिन सरकार को समझना चाहिए कि यहां के आदिवासी महिलाओं की शिक्षा का प्रतिशत महज 32% है.

सरकार को शिक्षा व्यवस्था दुरुस्त करने पर जोर देना चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकार जिस बिरसा हरित ग्राम योजना, नीलांबर पितांबर जल समृद्धि योजना और शहीद पोटो-हो खेल मैदान योजना की बात कर अपनी पीठ थपथपा रही है वह सभी तो मनरेगा से जुड़ी हुई हैं.

1 साल हो गए अब तक किसानों को ऋण माफी योजना का लाभ नहीं मिला. किसी को 100 यूनिट बिजली मुफ्त नहीं मिली. हर साल 5 लाख युवाओं को नौकरी नहीं मिली. इस साल मार्च तक 15,000 युवाओं को नौकरी कैसे देगी सरकार, इसका बजट में जिक्र नहीं है.

वास्तविक बजट बनाना था

सरयू राय ने बजट को सुंदर बताया साथ ही कहा कि इसे व्यवहारिक नहीं कहा जा सकता. उन्होंने कहा कि कायदे से सरकार को योजनावकाश वर्ष घोषित कर देना चाहिए था. सरयू राय ने कहा कि पिछले साल के बजट में 30.08% केंद्रीय कर का जिक्र था जो इस साल 24.19% दिखाया गया है.

उधार का ज्यादा होना अच्छा नहीं होता. कायदे से भारी भरकम बजट बनाने के बजाय वास्तविक बजट बनाना चाहिए था जो 60 से 65 हजार करोड़ का हो सकता था. उन्होंने कहा कि बजट में राशि का प्रावधान तो होता है लेकिन जहां पैसा पहुंचना चाहिए वहां नहीं पहुंच पाता.

तमाम वादे हवा हवाई साबित हुए

भानु प्रताप शाही ने कहा कि यह सरकार जवाब से भागने वाली सरकार है. इसी वजह से मुख्यमंत्री जन संवाद केंद्र बंद कर दिया गया. मुख्यमंत्री प्रश्नकाल की व्यवस्था हटा दी गई. उन्होंने कहा कि पिछले बजट में पीएम आवास के लिए 50000 अतिरिक्त देने की बात कही गई थी लेकिन किसी को कुछ नहीं मिला. पारा शिक्षक,जनजातीय विश्वविद्यालय, पीएचसी सीएचसी को अपग्रेड करना, आदिवासी क्षेत्रों में डॉक्टर की व्यवस्था, पर्यटन के क्षेत्र में 50000 रोजगार समेत तमाम बातें ठेंगा साबित हुईं.

उन्होंने अखबार का हवाला देते हुए कहा कि तबलीगी समाज की वजह से रांची में कोरोना की एंट्री हुई थी. हालांकि स्वास्थ्य मंत्री ने इस खबर का खंडन किया. हालांकि जब बजट पर सरकार का पक्ष रखने के लिए वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव खड़े हुए तो भाजपा विधायकों ने सदन का वाक आउट कर दिया.

रांचीः झारखंड के बजट को मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा और आजसू ने निराशाजनक और दिशा विहीन बताया. भाजपा विधायक रामचंद्र चंद्रवंशी ने कहा कि बजट में कहीं भी स्पष्ट नहीं है कि सरकार कहां से राजस्व की उगाही करेगी. उन्होंने कहा कि जब आयुष्मान भारत योजना चल रही है फिर मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना क्या है. यह गलत परंपरा है. उन्होंने कहा कि मार्च महीने में ढाई सौ से तीन सौ के आसपास डॉक्टर रिटायर होंगे. इस गैप को भरने के लिए सरकार को सोचना चाहिए.

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आजसू विधायक सुरेश महतो ने झामुमो और कांग्रेस के निश्चय सह घोषणा पत्र की याद दिलाई. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने 10 एसटी छात्रों को प्रतिवर्ष विदेश में पढ़ाई करने के लिए जयपाल सिंह मुंडा के नाम पर योजना शुरू की है लेकिन सरकार को समझना चाहिए कि यहां के आदिवासी महिलाओं की शिक्षा का प्रतिशत महज 32% है.

सरकार को शिक्षा व्यवस्था दुरुस्त करने पर जोर देना चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकार जिस बिरसा हरित ग्राम योजना, नीलांबर पितांबर जल समृद्धि योजना और शहीद पोटो-हो खेल मैदान योजना की बात कर अपनी पीठ थपथपा रही है वह सभी तो मनरेगा से जुड़ी हुई हैं.

1 साल हो गए अब तक किसानों को ऋण माफी योजना का लाभ नहीं मिला. किसी को 100 यूनिट बिजली मुफ्त नहीं मिली. हर साल 5 लाख युवाओं को नौकरी नहीं मिली. इस साल मार्च तक 15,000 युवाओं को नौकरी कैसे देगी सरकार, इसका बजट में जिक्र नहीं है.

वास्तविक बजट बनाना था

सरयू राय ने बजट को सुंदर बताया साथ ही कहा कि इसे व्यवहारिक नहीं कहा जा सकता. उन्होंने कहा कि कायदे से सरकार को योजनावकाश वर्ष घोषित कर देना चाहिए था. सरयू राय ने कहा कि पिछले साल के बजट में 30.08% केंद्रीय कर का जिक्र था जो इस साल 24.19% दिखाया गया है.

उधार का ज्यादा होना अच्छा नहीं होता. कायदे से भारी भरकम बजट बनाने के बजाय वास्तविक बजट बनाना चाहिए था जो 60 से 65 हजार करोड़ का हो सकता था. उन्होंने कहा कि बजट में राशि का प्रावधान तो होता है लेकिन जहां पैसा पहुंचना चाहिए वहां नहीं पहुंच पाता.

तमाम वादे हवा हवाई साबित हुए

भानु प्रताप शाही ने कहा कि यह सरकार जवाब से भागने वाली सरकार है. इसी वजह से मुख्यमंत्री जन संवाद केंद्र बंद कर दिया गया. मुख्यमंत्री प्रश्नकाल की व्यवस्था हटा दी गई. उन्होंने कहा कि पिछले बजट में पीएम आवास के लिए 50000 अतिरिक्त देने की बात कही गई थी लेकिन किसी को कुछ नहीं मिला. पारा शिक्षक,जनजातीय विश्वविद्यालय, पीएचसी सीएचसी को अपग्रेड करना, आदिवासी क्षेत्रों में डॉक्टर की व्यवस्था, पर्यटन के क्षेत्र में 50000 रोजगार समेत तमाम बातें ठेंगा साबित हुईं.

उन्होंने अखबार का हवाला देते हुए कहा कि तबलीगी समाज की वजह से रांची में कोरोना की एंट्री हुई थी. हालांकि स्वास्थ्य मंत्री ने इस खबर का खंडन किया. हालांकि जब बजट पर सरकार का पक्ष रखने के लिए वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव खड़े हुए तो भाजपा विधायकों ने सदन का वाक आउट कर दिया.

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