रांची: झारखंड की नियोजन नीति पर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. पहले पूर्ववर्ती भाजपानीत सरकार की ओर से लाई गई स्थानीय नियोजन नीति को हेमंत सोरेन सरकार ने रद्द कर दिया. अब हेमंत सोरेन सरकार जो नई नियोजन नीति (new employment policy jharkhand)लाई है. उसे भारतीय जनता पार्टी आदिवासियों और मूलवासियों के विरोध में बता रही है. हालांकि सरकार में शामिल झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) भारतीय जनता पार्टी को ही आदिवासी और मूलवासी विरोधी साबित करने में जुटा है. इधर, विपक्षी दल भाजपा और पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के सवालों पर झामुमो बोली की उन्हें बोलने का हक(right of speech) नहीं है.
नई नियमावली को लेकर झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास की ओर से उठाए गए सवाल पर झारखंड मुक्ति मोर्चा ने कहा है कि नई नियोजन नीति और स्थानीय नीति को लेकर रघुवर दास को बोलने का कोई अधिकार नहीं है. क्योंकि रघुवर दास के मुख्यमंत्री बनने के बाद कई ऐसे मामले आए, जिसमें आदिवासियों और मूलवासियों को फर्जी मामलों में सरेंडर कराया गया. झामुमो ने आरोप लगाया कि 2015 में हुए बकोरिया कांड में आदिवासी एवं मूलवासी को गलत तरीके से मरवाने का काम किया गया था. इसको लेकर ह्यूमन राइट्स कमीशन ने जांच कमेटी भी बनाई थी. झामुमो का आरोप है कि जांच कमेटी ने इसमें राज्य सरकार पर भी सवाल उठाए थे.
हिंदी भाषा पर सफाई
हिंदी भाषा को परीक्षा प्रक्रिया से बाहर निकाले जाने को लेकर पूछे सवाल पर झारखंड मुक्ति मोर्चा ने अपनी बात रखते हुए कहा कि हिंदी को राष्ट्रीय भाषा के रूप में देखा जाता है, उसे क्षेत्रीय भाषा नहीं माना जाता. इसीलिए हिंदी को परीक्षा प्रक्रिया से बाहर रखा गया है लेकिन भारतीय जनता पार्टी आदिवासियों एवं मूल वासियों को दिग्भ्रमित करने के लिए इस तरह की अफवाह उड़ा रही है.
ये भी पढ़ें-नियोजन नीति की नई नियमावली पर भड़की भाजपा, राजभाषा के अपमान का लगाया आरोप: प्रतुल शाहदेव
भाजपा पर भ्रमित करने का आरोप
झारखंड मुक्ति मोर्चा के राष्ट्र महासचिव और प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि आदिवासी दिवस के दिन भाजपा आदिवासियों और झारखंड के मूल निवासियों के मन में सरकार के प्रति भ्रम फैलाना चाहती है लेकिन भारतीय जनता पार्टी की साजिश राज्य की जनता कामयाब नहीं होने देगी. जेएमएम ने कहा कि रघुवर दास ने नई नीति को लेकर कोर्ट में जाने की बात कही है लेकिन हेमंत सोरेन की सरकार इससे डरती नहीं है हम इसका मुंहतोड़ जवाब देंगे.
गौरतलब है कि वर्तमान में झारखंड की राजनीतिक सरगर्मी तेज है, ऐसे में टीका टिप्पणी का दौर लगातार जारी है. साथ ही हिंदी विषय को परीक्षा प्रक्रिया से बाहर किए जाने को लेकर विपक्ष सरकार से कड़े सवाल पूछ रहा है. इस पर सत्ता पक्ष अपनी सफाई दे रहा है.