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झारखंड में एक उर्वरक जांच लैब के भरोसे 32 लाख किसान, कैसे होगी अच्छी उपज - रांची न्यूज

झारखंड में कृषि और किसानों को लेकर बातें ज्यादा और काम कम होती है. इसका जीता जागता उदाहरण है राज्य में केवल एक उर्वक जांच लैब का होना(One Fertilizer Testing Lab in Jharkhand). ऐसे में राज्य में अच्छी खेती और अच्छी उपज की बात बेमानी लगती है.

only one Fertilizer Testing Lab in Jharkhand
उर्वरक जांच लैब
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Published : Jan 6, 2023, 4:16 PM IST

Updated : Jan 6, 2023, 4:35 PM IST

सत्यप्रकाश, सहायक निदेशक, रांची उर्वरक जांच प्रयोगशाला

रांचीः खनिज और प्राकृतिक संसाधनों से भरे झारखंड के लोगों की आजीविका का मुख्य साधन कृषि एवं पशुपालन ही है. ऐसे में झारखंड की सरकार अक्सर किसानों, पशुपालकों के कल्याण की बातें करती रहती हैं, लेकिन हैरानी की बात यह है कि जिस झारखंड में 32 लाख से अधिक किसान अधिक उपज के लिए अपने खेतों में यूरिया, डीएपी सहित अन्य खाद और रसायनों का इस्तेमाल करते हैं, उस खाद की गुणवत्ता कैसी है, यह जांचने तक की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है.

ये भी पढ़ेंः झारखंड की मिट्टी है बीमार! इलाज के लिए खरीदी गई करोड़ों की मशीनें हुईं कबाड़

राज्य में केवल एक लैबः राज्य में उर्वरक की गुणवत्ता जांचने के लिए सिर्फ एक लैब रांची के कृषि निदेशालय प्रांगण में क्रियाशील है(One Fertilizer Testing Lab in Jharkhand). जहां राज्य के सभी जिलों के खाद दुकानों से एकत्रित किये गए उर्वरक का सैंपल जांच के लिए आता है. इसके अलावा दूसरे राज्यों से सब स्टैंडर्ड पाए गए उर्वरकों का सैंपल भी थर्ड पार्टी टेस्ट के लिए यहां भेजा जाता है.



उर्वरक टेस्टिंग लैब के लिए भवन तैयार, मानव संसाधन और मशीन नहींः राज्य में उर्वरकों की क्वालिटी टेस्ट के लिए सभी प्रमंडलों में लैब भवन बनकर तैयार होने के बावजूद लैब नहीं खुल पा रहे हैं. वजह जरूरी मानव संसाधन और इक्विपमेंट की व्यवस्था कृषि निदेशालय नहीं कर सका है.


रांची लैब पर काम का दबाव ज्यादाः रांची स्थित क्वालिटी कंट्रोल प्रयोगशाला के सहायक निदेशक सत्यप्रकाश कहते हैं कि राज्यभर से भेजे जाने वाले उर्वरक सैंपल की वजह से इस प्रयोगशाला पर काम का दवाब तो है, क्योंकि यहीं एकमात्र एक्टिव उर्वरक लैब है. उन्होंने बताया कि एक उर्वरक लैब में 8 लोगों की पदस्थापना होती है. जिसमें 01 सहायक निदेशक(कृषि) क्वालिटी कंट्रोल फर्टिलाइजर, 02 सहायक शोध अधिकारी, 01 सहायक, 02 लैब अटेंडेंट, 01 ऑफिस दफ्तरी, 01 चौकीदार होते हैं.

रांची का लैब भी काफी पुरानाः किसी भी प्रमंडल में उर्वरक लैब खोलने के लिए इतने मानव संसाधन के साथ साथ उर्वरक जांच के लिए NABL एक्रेडिटेड मशीनों से सुसज्जित लैब चाहिए जो अभी नहीं है. रांची का उर्वरक जांच लैब भी काफी पुराना है और इसे NABL के मानक के अनुसार अपडेट करने के लिए कई बार NABL से निर्देश दिए गए हैं, लेकिन अभी तक इसका काम शुरू नहीं हुआ है.


पिछले साल गुमला से आया उर्वरक जांच में निकला था सबस्टैंडर्डः अन्नदाता, अधिक उपज के लिए अपने खेतों में उर्वरक का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन अगर वह खाद ही नकली या अमानक हो, तब फिर उपज कैसा होगी, इसका आंकलन किया जा सकता है. ऐसे में रांची में सरकारी उर्वरक जांच लेबोरेट्री जैसे लैब हर प्रमंडल में जरूरी है, ताकि घटिया और मिलावटी खाद बेचने वाले लोगों पर कानूनी कार्रवाई की जा सके.

रांची उर्वरक जांच प्रयोगशाला के हेड सत्यप्रकाश कहते हैं कि पिछले वर्ष गुमला से आये उर्वरक जांच में सबस्टैंडर्ड पाया गया था. जिसकी रिपोर्ट वहां के जिला कृषि पदाधिकारी को अग्रतर कार्रवाई के लिए भेज दी गई थी. गुमला से आये DAP के नमूने में मानक के अनुसार 18% फॉस्फोरस नहीं था. इसके बाद रिपोर्ट गुमला के DAO सह फर्टिलाइजर इंस्पेक्टर को भेज दी गई थी. जिसके बाद खाद विक्रेता पर कानूनी कार्रवाई शुरू की गई.

सत्यप्रकाश, सहायक निदेशक, रांची उर्वरक जांच प्रयोगशाला

रांचीः खनिज और प्राकृतिक संसाधनों से भरे झारखंड के लोगों की आजीविका का मुख्य साधन कृषि एवं पशुपालन ही है. ऐसे में झारखंड की सरकार अक्सर किसानों, पशुपालकों के कल्याण की बातें करती रहती हैं, लेकिन हैरानी की बात यह है कि जिस झारखंड में 32 लाख से अधिक किसान अधिक उपज के लिए अपने खेतों में यूरिया, डीएपी सहित अन्य खाद और रसायनों का इस्तेमाल करते हैं, उस खाद की गुणवत्ता कैसी है, यह जांचने तक की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है.

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राज्य में केवल एक लैबः राज्य में उर्वरक की गुणवत्ता जांचने के लिए सिर्फ एक लैब रांची के कृषि निदेशालय प्रांगण में क्रियाशील है(One Fertilizer Testing Lab in Jharkhand). जहां राज्य के सभी जिलों के खाद दुकानों से एकत्रित किये गए उर्वरक का सैंपल जांच के लिए आता है. इसके अलावा दूसरे राज्यों से सब स्टैंडर्ड पाए गए उर्वरकों का सैंपल भी थर्ड पार्टी टेस्ट के लिए यहां भेजा जाता है.



उर्वरक टेस्टिंग लैब के लिए भवन तैयार, मानव संसाधन और मशीन नहींः राज्य में उर्वरकों की क्वालिटी टेस्ट के लिए सभी प्रमंडलों में लैब भवन बनकर तैयार होने के बावजूद लैब नहीं खुल पा रहे हैं. वजह जरूरी मानव संसाधन और इक्विपमेंट की व्यवस्था कृषि निदेशालय नहीं कर सका है.


रांची लैब पर काम का दबाव ज्यादाः रांची स्थित क्वालिटी कंट्रोल प्रयोगशाला के सहायक निदेशक सत्यप्रकाश कहते हैं कि राज्यभर से भेजे जाने वाले उर्वरक सैंपल की वजह से इस प्रयोगशाला पर काम का दवाब तो है, क्योंकि यहीं एकमात्र एक्टिव उर्वरक लैब है. उन्होंने बताया कि एक उर्वरक लैब में 8 लोगों की पदस्थापना होती है. जिसमें 01 सहायक निदेशक(कृषि) क्वालिटी कंट्रोल फर्टिलाइजर, 02 सहायक शोध अधिकारी, 01 सहायक, 02 लैब अटेंडेंट, 01 ऑफिस दफ्तरी, 01 चौकीदार होते हैं.

रांची का लैब भी काफी पुरानाः किसी भी प्रमंडल में उर्वरक लैब खोलने के लिए इतने मानव संसाधन के साथ साथ उर्वरक जांच के लिए NABL एक्रेडिटेड मशीनों से सुसज्जित लैब चाहिए जो अभी नहीं है. रांची का उर्वरक जांच लैब भी काफी पुराना है और इसे NABL के मानक के अनुसार अपडेट करने के लिए कई बार NABL से निर्देश दिए गए हैं, लेकिन अभी तक इसका काम शुरू नहीं हुआ है.


पिछले साल गुमला से आया उर्वरक जांच में निकला था सबस्टैंडर्डः अन्नदाता, अधिक उपज के लिए अपने खेतों में उर्वरक का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन अगर वह खाद ही नकली या अमानक हो, तब फिर उपज कैसा होगी, इसका आंकलन किया जा सकता है. ऐसे में रांची में सरकारी उर्वरक जांच लेबोरेट्री जैसे लैब हर प्रमंडल में जरूरी है, ताकि घटिया और मिलावटी खाद बेचने वाले लोगों पर कानूनी कार्रवाई की जा सके.

रांची उर्वरक जांच प्रयोगशाला के हेड सत्यप्रकाश कहते हैं कि पिछले वर्ष गुमला से आये उर्वरक जांच में सबस्टैंडर्ड पाया गया था. जिसकी रिपोर्ट वहां के जिला कृषि पदाधिकारी को अग्रतर कार्रवाई के लिए भेज दी गई थी. गुमला से आये DAP के नमूने में मानक के अनुसार 18% फॉस्फोरस नहीं था. इसके बाद रिपोर्ट गुमला के DAO सह फर्टिलाइजर इंस्पेक्टर को भेज दी गई थी. जिसके बाद खाद विक्रेता पर कानूनी कार्रवाई शुरू की गई.

Last Updated : Jan 6, 2023, 4:35 PM IST
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