रांचीः वित्तीय वर्ष 2022-23 का मूल बजट 1 लाख 01 हजार 101 करोड़ रुपये का था. जबकि पुनरीक्षित बजट 1 लाख 03 हजार 845 करोड़ रुपए रहा. पुनरीक्षित बजट का 44 हजार 460 करोड़ रुपए यानी 44 फीसदी राशि खर्च हो पायी (Jharkhand budget amount spent only 44 percent) है. सरकार के अधिकारी झारखंड में विकास योजनाओं पर खर्च करने में कंजूसी बरत रही हैं. यह हम नहीं बल्कि राज्य सरकार के आंकड़ों से पता चलता है.
पुनरीक्षित बजट 1 लाख 03 हजार 845 करोड़ रुपए में योजना बजट 59 हजार 464 करोड़ और स्थापना बजट 44 हजार 381 करोड़ रुपए की है. योजना मद में 37 प्रतिशत और स्थापना मद में वहीं, वित्तीय वर्ष 2022-23 में 53 फीसदी खर्च हुए हैं. राजस्व संग्रह का लक्ष्य 35 हजार 030 करोड़ रुपए का था. अबतक सरकार को 20 हजार 302 करोड़ रुपए का राजस्व संग्रहण हो पाया है, जो कुल लक्ष्य का 58 प्रतिशत है. बजट अनुरूप राशि खर्च होने की सुश्त रफ्तार पर जाने माने अर्थशास्त्री हरिश्वर दयाल का मानन है कि किसी भी वित्तीय वर्ष के तीसरी और चौथी तिमाही में विकास कार्य तेजी से होता है. पहली तिमाही योजना की रुपरेखा तय होने और दूसरी तिमाही मानसून की वजह से काम धरातल पर नहीं उतर पाता है. जो भी थोड़े बहुत कार्य होते हैं उसका इस्तेमाल तीसरी और चौथी तिमाही में ही देखने को मिलती है.
बजट के खर्च की धीमी रफ्तार पर राजनीतिः झारखंड में बजट राशि खर्च की धीमी प्रगति पर राजनीति शुरू (Slow pace of spending budget money in Jharkhand) हो गई है. विपक्ष को इस मुद्दे पर सरकार को घेरने का मौका मिल गया है. बीजेपी ने इसे हेमंत सरकार की विफलता बताते हुए इसका खामियाजा जनता को भुगतने की बात कही है. बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता प्रदीप सिन्हा ने सरकार के कामकाज की आलोचना करते हुए कहा है कि दिसंबर बीत रहा है और सरकार महज बजट राशि का 35 प्रतिशत भी खर्च नहीं कर पाई है. इसको लेकर सत्तारूढ़ दल कांग्रेस ने सरकार का बचाव करते हुए कहा है कि बीजेपी को अपना बीता समय को याद करने की सलाह दी है. कांग्रेस नेता शमशेर आलम ने बीजेपी पर पलटवार करते हुए कहा है कि सभी को मालूम है कि बरसात के समय तीन महीने विकास कार्य तेज गति से नहीं हो पाते हैं. ऐसे में आने वाली तिमाही में सरकार बजट की पूरी राशि खर्च कर विकास योजनाओं को जमीन पर उतारेगी.