हैदराबादः सरकार देश को 5 ट्रिलियन वाली इकोनामी बनाने का सपना देख रही है. आम बजट 2022 में भी इसकी गूंज सुनाई दे रही है. हम सब जानते हैं सपना जितना बड़ा होगा, उसको साकार करने के लिए प्रयास भी उतने ही अधिक करने होंगे. यानी सरकार का नारा सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वास साकार करना होगा. फिर चाहे व्यक्ति, समाज, राज्य का स्तर हो या निर्माण से सेवा और नई प्रौद्यागिकी जैसे अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्र. फिर तो झारखंड की भी बात करनी होगी और इसमें योगदान के लिए प्रोत्साहित करना होगा. ताकि 5 ट्रिलियन इकोनॉमी के लक्ष्य को पाया जा सके. यह भी देखना होगा कि देश के सबसे पुराने तकनीकी संस्थानों में से एक 1955 में स्थापित BIT Mesra ranchi और 1926 में स्थापित IIT ISM Dhanbad जहां हों, वहां का जिला जामताड़ा ठगी के लिए बदनाम क्यों हो गया. और उसके निदान के बगैर उस बड़े सपने को साकार करना दूर की ही कौड़ी होगी.
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तकनीक प्रधान दुनिया में तकनीक संग कदमताल बगैर तरक्की बेमानी ही है. देश के वैज्ञानिकों और शिक्षाविदों ने इसे भांप भी लिया है. जिस गीत का अनुवाद बजट में भी दिखाई दे रहा है. 2022 के बजट भाषण पर धन्यवाद की कड़ी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि देश हर क्षेत्र में काम कर रहा है. जाहिर तौर पर इसमें तकनीक शामिल था. इसमें स्टार्ट अप, चिप और ऑनलाइन गेमिंग की ध्वनि बार-बार सुनाई दे रही है. जिस पर काम करने के लिए टास्क फोर्स बनाने की भी बात कही जा रही है. भारत में केपीएमजी- इंडियन फेडरेशन ऑफ स्पोर्ट्स गेमिंग की रिपोर्ट के अनुसार ऑनलाइन गेमिंग का कारोबार बहुत तेजी से बढ़ा है.
इसकी रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 2013-14 में ऑनलाइन गेमिंग का कारोबार 2000 करोड़ का था जो 2017-18 में 4400 करोड़ हो गया और जो 2022 23 तक इसके लगभग 11,900 करोड़ तक पहुंचने की उम्मीद है. ऐसे ही यह बढ़ता रहा तो 2025 तक यह आंकड़ा भारत की जीडीपी पर बड़ा असर डाल सकता है. लेकिन इसके लिए वाकई सबको साथ लेने की बात होगी. फिर उसमें झारखंड की भी भूमिका होगी और करीब ढाई करोड़ से अधिक आबादी वाले राज्य को छोड़ नहीं सकते. यहां के युवाओं के स्किल को बढ़ाने के प्रयास करने होंगे और इस कारोबार में उनकी हिस्सेदारी बढ़ाने के कदम उठाने होंगे. और यह धरातल पर उतरा तो हिंदुस्तान बोल रहा है से आगे दुनिया कहने के लिए मजबूर हो जाएगी कि हिंदुस्तान खेल रहा है.
ऑनलाइन गेम कारोबार में हिस्सेदारी पर नजरः डाटा फर्म स्टेटिस्टा की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2017 में दुनिया में ऑनलाइन गेमिंग यूजर्स की संख्या करीब 731 मिलियन (एक मिलियन=दस लाख) थी. 2021 में ही इसकी संख्या 931 मिलियन तक पहुंच चुकी है. वहीं रिसर्च की मानें तो 2025 तक ऑनलाइन गेमिंग का यह आंकड़ा 1076 मिलियन यूजर्स के पार जाने की संभावना है. यानी की बड़ा बाजार, जिसमें भारत को अपना हिस्सा बढ़ाना होगा. भारत को यह एक बहुत बड़ा बाजार दिखा है और भारत के बजट में इसमें हिस्सेदारी बढ़ाने की उत्सुकता नजर आती है.
पांच ट्रिलियन इकोनॉमी के लिए गेमिंग एप गेट की तरहः दुनिया के गेमिंग एप बाजार में फिलहाल अमेरिका पहले और चीन दूसरे स्थान पर है, जबकि भारत की हिस्सेदारी न के बराबर है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2 फरवरी को बजट समीक्षा के दौरान कहा कि वीडियो गेमिंग एप का कुल बाजार तीन लाख करोड़ से ऊपर का है और इसे हिंदुस्तान में बड़ा किया जाएगा और इसके लिए सरकार तेजी से काम भी करेगी. अगर भारत की अर्थव्यवस्था में आईटी कारोबार की हिस्सेदारी बढ़ती है तो रोजगार तो बढ़ेगा ही, भारत से ब्रेन ड्रेन को भी रोका जा सकता है. हमारे आईआईटियन और तकनीकी दक्ष लोग जो अवसर नहीं होने की स्थिति में भारत छोड़ देते हैं और भारत से बाहर जाकर एप विकसित करते हैं और विदेशी मुद्रा बाहर जाती है उसको भी रोका जा सकता है.इससे भारत डॉलर में कमाई कर आर्थिक शक्ति के तौर पर उभर सकता है. इसकी एक शुरुआत 2022 के बजट में भारत सरकार ने किया है. लेकिन यह भी तय है कि तीन लाख करोड़ के भारत सरकार के आकलन वाले इस ऑनलाइन खेल कारोबार की सीमा तय करना मुश्किल इसलिए भी है यह तीन लाख करोड़ का कारोबार कब 30 लाख करोड़ के कारोबार में बदल जाएगा यह नहीं कहा जा सकता. और इसमें बड़ी हिस्सेदारी के लिए हमें सतत प्रयास करने होंगे, हमारे पास रूकने का समय नहीं है. क्योंकि तरक्की की हमारी भूख भी बड़ी है.
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बापू और राजीव गांधी वाला भारतः बापू ने कहा था कि गांव वाला भारत तब आर्थिक बुलंदी पर होगा जब शहर वाली हर चीज गांव के हाथ में होगी. आज मोबाइल के तौर पर वह गांव में है, पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने गांव के इस तरह के मॉर्डनाइजेशन का सपना देखा था, जिसमें उन्होंने दूरसंचार क्रांति के लिए पहल की थी. 1991 में मनमोहन सिंह के लिबरलाइजेशन ने आर्थिक विकास को जो गति दी और 2021 के डिजिटाइजेशन के रूप में वह पूरे विश्व को चुनौती दे रहा है. सियासत से परे जाकर देखा जाए तो आप कांग्रेस के उस सोच वाले सपने का भारत बन रहा है जो राजीव गांधी ने देखा था और भारत का वह स्वरूप खड़ा हो रहा है जो बापू के विचारों में था. विश्व गुरु बनने की जिस आईटी के ऑनलाइन खेल की रूपरेखा 2022 के बजट में सामने रखी गई है. वह निश्चित तौर पर देश की अर्थव्यवस्था को मल्टी सपोर्ट सिस्टम से जोड़ेगी और इसका आधार वीडियो गेमिंग के माध्यम से उस व्यवस्था को खड़ा करने से होगी.
देश का कनेक्टिंग कंसर्नः रोजगार किसी भी व्यवस्था का सबसे बड़ा कनेक्टिंग कंसर्न है. यह आईडी की और तकनीकी भाषा है जो विकास को और रोजगार को एक दूसरे से जोड़कर देखती है. बरगंडी प्राइवेट हारून इंडिया 5000 की रिपोर्ट की मानें तो 2021 में आईटी सेक्टर में 14,97,501 रोजगार सृजित किए जिसमें अकेले टीसीएस ने 5 लाख 6 हजार लोगों को रोजगार दिया है. यह ऐसे बाजार का बड़ा स्वरूप है जो एक दूसरे से जोड़ने के लिए खड़े किए गए तकनीकी स्वरूप का आधार है. इस व्यवस्था में सामाजिक स्वरूप का चाहे ऑनलाइन टिकट बुकिंग का मामला हो या फिर डॉक्टर से ऑनलाइन मिलने का. यह सब कुछ तकनीक यानी आईटी के सेक्टर में ही रहा है. अब यही से एक स्वस्थ मनोरंजन का स्वरूप भी खोजा जा रहा है जिसे देश की सरकार ने ऑनलाइन वीडियो गेमिंग के बाजार को सरकारी अर्थव्यवस्था का हिस्सा बनाने की तैयारी की है.
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अब हिंदुस्तान करेगा खेल ः हिंदुस्तान वीडियो गेमिंग के बाजार को बहुत तेजी से बढ़ा रहा है या यूं कहा जाए कि वीडियो गेमिंग का बाजार भारत में बहुत तेजी से बढ़ रहा है. जिसमें 18 साल से लेकर 34 साल के आयु वर्ग के लोग शामिल हैं. अगर भारत का आईटी सेक्टर इतना बड़ा हो जाता है और भारत में इजाद किए गए गेम की भारत की अर्थव्यवस्था में हिस्सेदारी बढ़ती है तो इसमें दो राय नहीं है कि भारत की अर्थव्यवस्था बहुत तेजी से आगे बढ़ेगी. एक उदाहरण देखें तो हाल में पबजी एप को बैन किया गया तो अक्षय कुमार ने फौजी एप लॉन्च कर दिया. वहीं टिक टॉक के विकल्प के रूप में देश में चिंगारी एप को खासा पसंद किया जा रहा है. यह कुछ ऐसे छोटे स्टार्टअप हैं जिनसे भारत में बदलाव की कहानी लिखी जानी शुरू हो गई है.
अगर भारत में बदलाव इस रूप में आकार ग्रहण कर लेता है तो जिससे भारत के ऑनलाइन गेम से डॉलर भारत के खाते में आते रहें तो भारत को विश्व का आर्थिक गुरु बनने में बहुत वक्त नहीं लगेगा. इसमें दो राय नहीं है कि राजनीति के जिस समीकरण को बाजार वाले समीकरण से जोड़ा गया है वह जमीन पर उतरा तो बदलाव की नई बयार हिंदुस्तान में बहेगी. इसे कोई रोक नहीं सकता और इसके लिए कनेक्टिंग इंडिया का वह मॉडल भी अपने बड़े स्वरूप में खड़ा होगा जब कभी तकनीकी रूप से मजबूत हो रहे भारत के लिए कहा जाता था कि हिंदुस्तान बोल रहा है अब आर्थिक रूप से समृद्ध होने वाले भारत के लिए बोलना है कि हिंदुस्तान खेल रहा है और यही देश के अच्छे दिन आने की बड़ी शुरुआत भी है.