रांचीः 'शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशां होगा', 23 मार्च यानी शहीद दिवस आज देश भारतीय स्वतंत्रता के लिए शहीद हुए भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को याद कर रहा है. इस दौरान झारखंड विधानसभा परिसर में भी माननीयों ने भगत सिंह को याद किया. विधायक इरफान अंसारी की हरकत ने सभी को चौंका दिया. विधायन ने जूते पहनकर पुष्पांजलि दी.
जामताड़ा विधायक इरफान अंसारी विधानसभा पोर्टिको में रखे शहीद भगत सिंह की तस्वीर पर पुष्पांजलि दी. लेकिन इस दौरान उन्होंने अपने जूते नहीं उतारे, पैरों मे जूता पहने हुए ही उन्होंने शहीद भगत सिंह की तस्वीर पर श्रद्धा सुमन अर्पित की. इसको लेकर जब ईटीवी भारत ने सवाल उठाया कि यह क्या तरीका है शहीदों को नमन करने का, तो उन्हें अपनी भूल का एहसास हुआ और फिर उन्होंने जूता उतार कर शहीद के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की. इरफान अंसारी की इस हरकत पर पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने कहा कि इस तरह की भूल नहीं होनी चाहिए. जब हम बड़े पद पर रहते हैं तो इन मौकों पर मर्यादा का ध्यान जरूर रखना चाहिए जिससे किसी तरह का ठेस ना पहुंचे.
भगत सिंह के लुक में विधानसभा पहुंचे विधायक उमाशंकर अकेलाः शहीद दिवस के मौके पर झारखंड विधानसभा के बजट सत्र में भाग लेने पहुंचे कांग्रेस विधायक उमाशंकर अकेला भगत सिंह के लुक में दिखे. सिर पर पगड़ी और स्लोगन लिखा बंडी पहने विधानसभा पहुंचे उमाशंकर अकेला ने इस दौरान अपने आपको देश का सच्चा सपूत बताते हुए कहा कि देशवासियों को भगत सिंह के आदर्शों को मानते हुए उनके दिखाए हुए रास्ते पर चलना चाहिए.
उन्होंने कहा कि भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव ने हंसते हंसते देश के लिए अपनी जान की कुर्बानी दी उसे कभी भी भुलाया नहीं जा सकता है. आज आवश्यकता इस बात की है कि उनके दिखाए हुए रास्ते पर हम सभी लोगों को चलना चाहिए. उमाशंकर अकेला के अलावा सदन में भाग लेने पहुंच रहे सभी विधायकों ने शहीद के चित्र पर बारी बारी से पुष्पांजलि अर्पित की. शहीदों को नमन करने वालों में पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी, आजसू प्रमुख सुदेश महतो, पूर्व स्पीकर सीपी सिंह सहित कई नेता शामिल रहे.
शहीद दिवसः 23 मार्च 1931 को आजादी की लड़ाई लड़ने वाले तीन स्वतंत्रता सेनानियों भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को अंग्रेजों ने फांसी दे दी थी. कम उम्र में ही इन वीर सपूतों ने देश की आजादी के लिए जंग लड़ी और हंसते हंसते अपने प्राणों की आहुति दे दी थी. इनकी क्रांति और जोश आज भी युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत है और यही कारण है कि इन तीन महान क्रांतिकारियों को श्रद्धांजलि देने के लिए हर साल 23 मार्च को शहीद दिवस मनाकर उनको श्रद्धा सुमन अर्पित की जाती है.