रांची: झारखंड में समलैंगिकता की वजह से एचआईवी पॉजिटिव होने वाले लोगों की संख्या तेजी से बढ़ी है (HIV infected increased Due to homosexuality). रिम्स स्थित ART प्लस सेंटर में कांउसिलिंग के लिए पहुंचने वाले एचआईवी संक्रमितों की काउंसिलिंग के दौरान संक्रमण की वजह की जो जानकारी मिली वह चौकाने के साथ साथ अभी से ही सावधान हो जाने का संदेश देती है.
ये भी पढ़ें: एचआईवी एड्स है खतरनाक बीमारी, ऐसे पहचानें इसके शुरुआती लक्षण
रिम्स ART सेंटर पर 2006 से वर्ष 2019 तक यानि लगभग 13 वर्षों में सिर्फ 04 ऐसे संक्रमित की काउंसिलिंग और इलाज हुआ जिन्हें एचआईवी का संक्रमण की वजह समलैंगिकता यानि (Homosexual Relationship) था, लेकिन 2020 से लेकर 2022 में अभी तक 26 ऐसे एचआईवी संक्रमित की काउंसिलिंग हो चुकी है जनके संक्रमण की वजह समलैंगिकता है. 2020 में 08, 2021 में 11 और 2022 में अभी तक 07 लोगों को एचआईवी संक्रमण समलैंगिक संबंधों की वजह से हो चुका है.
यह बिहेवियर डिसऑर्डर: रिम्स के ART प्लस सेंटर, जिसे सूबे का मॉडल ART सेंटर का भी दर्जा मिला हुआ है वहां के मेडिकल अफसर डॉ रेहान अहमद ने ईटीवी भारत को बताया कि पिछले कुछ वर्षों में 22 से 35 वर्ष उम्र समूह वाले स्टूडेंट्स और वर्किंग प्रोफेशनल में सोर्स ऑफ इन्फेक्शन का कारण होमोसेक्स यानि समलैंगिकता अधिक है, उन्होंने इस बढ़ते ट्रेंड पर चिंता जताते हुए कहा कि यह पूरी तरह बिहेवियर डिसऑर्डर का मामला है. ऐसे में युवा वर्ग और खासकर हॉस्टल में रहने वाले छात्रों के बीच काउंसिलिंग और जागरूकता लाने की जरूरत है.
ART प्लस सेंटर रिम्स की काउंसलर पिंकी घटक ईटीवी भारत से इस नए चिंता को लेकर कहती हैं कि पहले महानगरों में इस तरह समलैंगिक संबंधों की वजह से एचआईवी संक्रमण के केस मिलते थे, लेकिन जिस तरह से रांची में पिछले तीन-चार वर्षों से समलैंगिगता (homosexual relationship) की वजह से एचआईवी संक्रमण के मामले बढ़े हैं उसके बाद जरूरत युवा वर्ग को यह बताने की है कि यह ट्रेंड कितना खतरनाक है और कैसे इससे बचें. उन्होंने कहा कि जो संक्रमित दवा और काउंसिलिंग के लिए उनके सेंटर पर पहुचते हैं उनके विशेष काउंसलिग की जाती है.
एक चिंता का विषय यह भी: एचआईवी संक्रमण के जाल में फंसते युवाओं को लेकर डॉ रेहान एक चिंता यह भी जताते हैं कि ज्यादातर ऐसे युवा अपनी पहचान छिपाना चाहते हैं. यहां तक कि माता-पिता को भी जानकारी न हों, इसकी कोशिश रहती है. ऐसे में सरकार को पहल करनी चाहिए. हर ART सेंटर से झारखंड स्टेट एड्स कंट्रोल सोसाईटी ( JSACS ) को एचआईवी संक्रमण की वजह की पूरी रिपोर्ट भेजी जाती है, ईटीवी भारत ने JSACS से जानकारी हासिल करने की कोशिश की ताकि राज्यभर के लोग एचआईवी संक्रमण की जानकारी लें और लोगों को खासकर उन युवाओं को जागरूक किया जा सके. खास कर उन युवाओं को जो अपना भविष्य बनाने के लिए हॉस्टल और शहरों में रहकर पढ़ाई करने आते हैं और गलत संगत या आदतों की वजह से इस खतरनाक बीमारी के गिरफ्त में आ जाते हैं, लेकिन JSACS से कोई जानकारी नहीं दी गयी.