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रांची में NSUI का UGC के खिलाफ अनूठा प्रदर्शन, थाली पीटकर और काला पट्टा लगाकर जताया विरोध

रांची में एनएसयूआई के कार्यकर्ताओं ने यूजीसी की और से लिए गए निर्णय कोरोना काल में परीक्षा लेने के विरोध में और फीस माफी के लिए प्रदर्शन किया. रांची के बिरसा चौक में आयोजित इस कार्यक्रम में विद्यार्थियों ने थाली पीटकर विरोध दर्ज कराया.

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Published : Jul 12, 2020, 3:35 PM IST

NSUI unique protest against UGC in Ranchi
रांची में NSUI का UGC के खिलाफ अनूठा प्रदर्शन

रांची: राजधानी में एनएसयूआई के कार्यकर्ताओं ने यूजीसी की और से लिए गए निर्णय कोरोना काल में परीक्षा लेने के विरोध में और फीस माफी के लिए प्रदर्शन किया. एनएसयूआई ने मांग की है कि झारखंड के सारे विश्वविद्यालयों और कॉलेजों की परीक्षा को रद्द कर छात्रों को प्रोमोट करना चाहिए. प्रदेश उपाध्यक्ष इंदरजीत सिंह ने थाली बजाकर विरोध किया. इंदरजीत सिंह ने कहा कि जिस प्रकार से लगातार हो रहे आंदोलन और छात्रों द्वारा परीक्षा को स्थगित करने की मांग को अनसुना किया गया, उसको देखते हुए समझा जा सकता है कि यूजीसी नींद में सोई हुई है. इसलिए झारखंड एनएसयूआई ने सांकेतिक रूप से थाली बजाकर यूजीसी को जगाने का प्रयास किया.

ये भी पढ़ें: वनरक्षियों ने बताया नक्सलियों के तांडव की वजह, कहा- दो दिनों में जगह खाली करने की दी है धमकी

यूजीसी के साथ-साथ केंद्र और राज्य सरकार भी छात्रों के साथ पूरी तरह अन्याय कर रही है. झारखंड के सारे विश्वविद्यालय और कॉलेजों की परीक्षा को रद्द कर छात्रों को प्रमोट करना चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकार को छात्रों की सभी तरह की फीस माफ कर देनी चाहिए. कोरोना काल में छात्रों पर आर्थिक संकट आया है, ऐसे में किसी तरह का शुल्क लेना ठीक नहीं होगा. परीक्षाएं कराना इस विकट समय में सही नहीं है और इस फैसले से छात्रों के स्वास्थ्य पर भी बड़ा खतरा है. अगर आईआईटी बॉम्बे फाइनल इयर के एग्जाम कैंसिल कर सकता है तो बाकी विश्वविद्यालय ऐसा क्यों नहीं कर सकते हैं.

केंद्र का यह फैसला संकीर्ण नजरिए का है और इससे छात्रों की सेहत खतरे में पड़ जाएगी. आपको बता दें कि आईआईटी बॉम्बे ने फाइनल इयर के एग्जाम रद्द कर दिए हैं और इसके विकल्प के तौर पर पिछले साल के छात्रों के प्रदर्शन के आधार पर मूल्यांकन किया जाएगा. भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन का कहना है कि कोरोना महामारी के चलते, जब पूरे देश के परिवारों का जीवन अस्त व्यथ है. ऐसी परिस्थितियों में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC), केन्द्रीय गृह मंत्रालय द्वारा तुगलकी फरमान जारी कर विश्विद्यालय को परीक्षा करवाने के निर्देश दिए हैं. जबकि अभी छात्रों का आधे से ज्यादा कोर्स पढ़ाया जाना अभी बाकी है.

यूजीसी ने कहा, केंद्रीय और राज्य विश्वविद्यालय परीक्षाओं से नहीं कर सकते इनकार

बता दें कि विश्वविद्यालयों की अंतिम वर्ष की परीक्षाओं को रद्द करने को लेकर छात्रों की ओर से चलाए जा रहे अभियान और कुछ राज्यों के रुख के बाद यूजीसी ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. कुछ राज्यों के परीक्षा न कराए जाने की एकतरफा घोषणा के बीच विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने भी कहा 'सभी विश्वविद्यालय गाइडलाइन के दायरे में आते हैं. चाहे व केंद्रीय हों अथवा राज्यों के विश्वविद्यालय। कोई भी इसे मानने से इनकार नहीं कर सकता है. यूजीसी सचिव रजनीश जैन ने कहा कि उन्हें भी कई राज्यों की ओर से परीक्षाएं न कराने के फैसले की जानकारी मिली है, जल्द ही वह इस संबंध में संबंधित राज्यों और विश्वविद्यालयों से चर्चा करेंगे. साथ ही उन्हें पूरी स्थिति से अवगत कराएंगे. उन्होंने कहा कि जहां तक बात कोरोना संक्रमण के खतरे की है तो मानव संसाधन विकास मंत्रालय और यूजीसी दोनों ही छात्रों की सुरक्षा को लेकर पूरी तरह से सतर्क है.

रांची: राजधानी में एनएसयूआई के कार्यकर्ताओं ने यूजीसी की और से लिए गए निर्णय कोरोना काल में परीक्षा लेने के विरोध में और फीस माफी के लिए प्रदर्शन किया. एनएसयूआई ने मांग की है कि झारखंड के सारे विश्वविद्यालयों और कॉलेजों की परीक्षा को रद्द कर छात्रों को प्रोमोट करना चाहिए. प्रदेश उपाध्यक्ष इंदरजीत सिंह ने थाली बजाकर विरोध किया. इंदरजीत सिंह ने कहा कि जिस प्रकार से लगातार हो रहे आंदोलन और छात्रों द्वारा परीक्षा को स्थगित करने की मांग को अनसुना किया गया, उसको देखते हुए समझा जा सकता है कि यूजीसी नींद में सोई हुई है. इसलिए झारखंड एनएसयूआई ने सांकेतिक रूप से थाली बजाकर यूजीसी को जगाने का प्रयास किया.

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यूजीसी के साथ-साथ केंद्र और राज्य सरकार भी छात्रों के साथ पूरी तरह अन्याय कर रही है. झारखंड के सारे विश्वविद्यालय और कॉलेजों की परीक्षा को रद्द कर छात्रों को प्रमोट करना चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकार को छात्रों की सभी तरह की फीस माफ कर देनी चाहिए. कोरोना काल में छात्रों पर आर्थिक संकट आया है, ऐसे में किसी तरह का शुल्क लेना ठीक नहीं होगा. परीक्षाएं कराना इस विकट समय में सही नहीं है और इस फैसले से छात्रों के स्वास्थ्य पर भी बड़ा खतरा है. अगर आईआईटी बॉम्बे फाइनल इयर के एग्जाम कैंसिल कर सकता है तो बाकी विश्वविद्यालय ऐसा क्यों नहीं कर सकते हैं.

केंद्र का यह फैसला संकीर्ण नजरिए का है और इससे छात्रों की सेहत खतरे में पड़ जाएगी. आपको बता दें कि आईआईटी बॉम्बे ने फाइनल इयर के एग्जाम रद्द कर दिए हैं और इसके विकल्प के तौर पर पिछले साल के छात्रों के प्रदर्शन के आधार पर मूल्यांकन किया जाएगा. भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन का कहना है कि कोरोना महामारी के चलते, जब पूरे देश के परिवारों का जीवन अस्त व्यथ है. ऐसी परिस्थितियों में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC), केन्द्रीय गृह मंत्रालय द्वारा तुगलकी फरमान जारी कर विश्विद्यालय को परीक्षा करवाने के निर्देश दिए हैं. जबकि अभी छात्रों का आधे से ज्यादा कोर्स पढ़ाया जाना अभी बाकी है.

यूजीसी ने कहा, केंद्रीय और राज्य विश्वविद्यालय परीक्षाओं से नहीं कर सकते इनकार

बता दें कि विश्वविद्यालयों की अंतिम वर्ष की परीक्षाओं को रद्द करने को लेकर छात्रों की ओर से चलाए जा रहे अभियान और कुछ राज्यों के रुख के बाद यूजीसी ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. कुछ राज्यों के परीक्षा न कराए जाने की एकतरफा घोषणा के बीच विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने भी कहा 'सभी विश्वविद्यालय गाइडलाइन के दायरे में आते हैं. चाहे व केंद्रीय हों अथवा राज्यों के विश्वविद्यालय। कोई भी इसे मानने से इनकार नहीं कर सकता है. यूजीसी सचिव रजनीश जैन ने कहा कि उन्हें भी कई राज्यों की ओर से परीक्षाएं न कराने के फैसले की जानकारी मिली है, जल्द ही वह इस संबंध में संबंधित राज्यों और विश्वविद्यालयों से चर्चा करेंगे. साथ ही उन्हें पूरी स्थिति से अवगत कराएंगे. उन्होंने कहा कि जहां तक बात कोरोना संक्रमण के खतरे की है तो मानव संसाधन विकास मंत्रालय और यूजीसी दोनों ही छात्रों की सुरक्षा को लेकर पूरी तरह से सतर्क है.

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