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रांची: केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन, NSUI ने की छात्र सत्याग्रह की शुरुआत

रांची में शनिवार को केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए NSUI ने छात्र सत्याग्रह की शुरुआत की है. कांग्रेस छात्र संगठन एनएसयूआई झारखंड के प्रदेश उपाध्यक्ष इंदरजीत सिंह के नेतृत्व अमर शहीद ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव के प्रतिमा के सामने तीन सूत्री मांगों को लेकर प्रदर्शन किया है.

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NSUI ने की छात्र सत्याग्रह की शुरुआत
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Published : Aug 8, 2020, 3:47 PM IST

रांची: कांग्रेस छात्र संगठन एनएसयूआई झारखंड के प्रदेश उपाध्यक्ष इंदरजीत सिंह के नेतृत्व में शनिवार को अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन की 78वी वर्षगांठ के अवसर पर प्रदर्शन किया गया. इसी के तहत अमर शहीद ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव के प्रतिमा के सामने केंद्र सरकार के खिलाफ तीन सूत्री मांग रखी गई है.

एक सेमेस्टर की फीस हो माफ
इन तीन मांगों में नई शिक्षा नीति में केंद्रीकरण और निजीकरण को बढ़ावा देने वाले बिन्दुओं पर पुनर्विचार किया जाए, छात्रों की सुरक्षा को देखते हुए कोरोना काल में परीक्षाएं आयोजित न हो और लॉकडाउन और आर्थिक मंदी के चलते छात्रों की एक सेमेस्टर की फीस माफ हो.

नई शिक्षा नीति पर किया जाए पुनर्विचार
पूरे भारत में ये छात्र सत्याग्रह की शुरुआत की गई है. इस मौके पर प्रदेश उपाध्यक्ष इंदरजीत सिंह ने सरकार की तरफ से लाई गई नई शिक्षा नीति को भारतीय शिक्षा को बर्बाद करने का एकतरफा अभियान बताया है. यह शिक्षा के बाजारीकरण की ओर पहला कदम है. यह एकतरफा फैसला भारतीय शिक्षा व्यवस्था को बर्बाद करने के लिए लिया गया है. इस नीति से भारतीय शिक्षा का केंद्रीकरण, सांप्रदायिकता और व्यवसायीकरण बढ़ेगा. इसपर पुनर्विचार किया जाए.


इसे भी पढ़ें-अटल मार्केट में दुकान बंटवारे में गड़बड़ी मामले पर सुनवाई, अदालत ने राज्य सरकार से मांगा जवाब


6 माह की स्कूल-कॉलेज फीस करे माफ
वहीं राष्ट्रीय सोशल मीडिया संयोजक आरुषि वंदना ने कहा कि इस स्थिति में हम परीक्षा कैसे लिख सकते हैं. भारत में कोरोना के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. कोई भी परिवहन सुविधा और हॉस्टल सुविधा नहीं है. छात्रों के जीवन के साथ खेल न खेलें. कृपया परीक्षा रद्द करें और छात्रों को प्रोमोट करे. साथ ही 6 माह की स्कूल कॉलेज की फीस माफ की जाए.

रांची: कांग्रेस छात्र संगठन एनएसयूआई झारखंड के प्रदेश उपाध्यक्ष इंदरजीत सिंह के नेतृत्व में शनिवार को अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन की 78वी वर्षगांठ के अवसर पर प्रदर्शन किया गया. इसी के तहत अमर शहीद ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव के प्रतिमा के सामने केंद्र सरकार के खिलाफ तीन सूत्री मांग रखी गई है.

एक सेमेस्टर की फीस हो माफ
इन तीन मांगों में नई शिक्षा नीति में केंद्रीकरण और निजीकरण को बढ़ावा देने वाले बिन्दुओं पर पुनर्विचार किया जाए, छात्रों की सुरक्षा को देखते हुए कोरोना काल में परीक्षाएं आयोजित न हो और लॉकडाउन और आर्थिक मंदी के चलते छात्रों की एक सेमेस्टर की फीस माफ हो.

नई शिक्षा नीति पर किया जाए पुनर्विचार
पूरे भारत में ये छात्र सत्याग्रह की शुरुआत की गई है. इस मौके पर प्रदेश उपाध्यक्ष इंदरजीत सिंह ने सरकार की तरफ से लाई गई नई शिक्षा नीति को भारतीय शिक्षा को बर्बाद करने का एकतरफा अभियान बताया है. यह शिक्षा के बाजारीकरण की ओर पहला कदम है. यह एकतरफा फैसला भारतीय शिक्षा व्यवस्था को बर्बाद करने के लिए लिया गया है. इस नीति से भारतीय शिक्षा का केंद्रीकरण, सांप्रदायिकता और व्यवसायीकरण बढ़ेगा. इसपर पुनर्विचार किया जाए.


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6 माह की स्कूल-कॉलेज फीस करे माफ
वहीं राष्ट्रीय सोशल मीडिया संयोजक आरुषि वंदना ने कहा कि इस स्थिति में हम परीक्षा कैसे लिख सकते हैं. भारत में कोरोना के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. कोई भी परिवहन सुविधा और हॉस्टल सुविधा नहीं है. छात्रों के जीवन के साथ खेल न खेलें. कृपया परीक्षा रद्द करें और छात्रों को प्रोमोट करे. साथ ही 6 माह की स्कूल कॉलेज की फीस माफ की जाए.

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