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वर्तमान हालात में सरकार बनाने का दावा नहीं पेश कर सकता गैर विधायक, बाबूलाल का राज्यपाल से आग्रह - झारखंड राजनीतिक संकट

Babulal Marandi wrote letter to Governor. झारखंड बीजेपी के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को पत्र लिखा है. जिसमें उन्होंने आग्रह किया है कि वर्तमान हालात में गैर विधायक सरकार बनाने का दावा पेश नहीं कर सकता है, ऐसी स्थिति में असंवैधानिक प्रस्ताव आने पर विचार करें. Jharkhand political crisis.

Babulal Marandi wrote letter to Governor
Babulal Marandi wrote letter to Governor
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jan 3, 2024, 6:49 PM IST

रांची: झारखंड की राजनीति में तू डाल-डाल तो मैं पात-पात वाला खेल शुरु हो गया है. सरफराज अहमद के गांडेय विधानसभा सीट से इस्तीफा देने के बाद उपजे राजनीतिक हालात का हवाला देते हुए भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को पत्र लिखा है. उन्होंने मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए लिखा है कि वर्तमान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इस्तीफा दे सकते हैं. उनकी जगह एक गैर-विधायक को झामुमो विधायक दल के नेता के रूप में चुना जाएगा और वह गठबंधन का नेता होगा. वह सरकार बनाने के लिए आपके पास दावा पेश करेगा. अगर कोई गैर विधायक मुख्यमंत्री बनने के लिए ऐसा करता है तो यह पूरी तरह से असंवैधानिक और गैरकानूनी दावा होगा.

बाबूलाल मरांडी ने लिखा है कि बेशक, संविधान ने अनुच्छेद 164 (3) और (4) के आधार पर अपवाद बनाया है, जो बताता है कि 6 महीने की अवधि के भीतर, एक मंत्री सदन का सदस्य बन जाएगा यदि वह निर्वाचित प्रतिनिधि नहीं है. यह रिकॉर्ड की बात है कि 5वीं झारखंड विधानसभा का परिणाम 23.12.2019 को घोषित किया गया था. विधायक ने 31.12.23 को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. उसे स्पीकर ने 1.1.2019 से स्वीकार कर लिया था. जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 151ए यह सुनिश्चित करने का प्रयास करती है कि कोई भी निर्वाचन क्षेत्र छह महीने से अधिक समय तक प्रतिनिधित्वहीन न रहे. लेकिन यह बिना शर्त नहीं है. यह अपवादों के अधीन है. जहां रिक्ति के संबंध में किसी सदस्य का शेष कार्यकाल एक वर्ष से कम है, वहां कोई चुनाव नहीं होगा. इसलिए, यह बिल्कुल स्पष्ट है कि शेष अवधि के लिए गांडेय निर्वाचन क्षेत्र में चुनाव नहीं हो सकता है, क्योंकि पांचवीं झारखंड विधानसभा के पूरे कार्यकाल में एक वर्ष से भी कम समय बचा है.

Babulal Marandi wrote letter to Governor
बाबूलाल मरांडी का पत्र

बाबूलाल मरांडी ने लिखा है कि संदीप यशवंत राव सरोदे बनाम ईसीआई, 2019 मामले सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी सहमति जतायी थी. उसके मुताबिक चुनाव आयोग भी स्वीकार करता प्रतीत होता है, जो उसके दिनांक 9-10-2018 के प्रेस नोट से स्पष्ट है. इसमें कहा गया है कि आंध्र प्रदेश से रिक्तियों के मामले में चुनाव आयोग ने इस कारण से चुनाव नहीं कराने का निर्णय लिया है क्योंकि लोकसभा का शेष कार्यकाल एक वर्ष से कम है, हालांकि यह अलग बात है कि ईसीआई द्वारा रिक्ति की तिथि से एक वर्ष की अवधि की गणना की गई है. हालांकि, हमने पहले ही पाया है कि कार्यकाल की शेष अवधि की गणना रिक्ति होने की तारीख से नहीं बल्कि उस तारीख से की जानी चाहिए जिस दिन आने वाले सदस्य को निर्वाचित घोषित किया जाता है.

Babulal Marandi wrote letter to Governor
बाबूलाल मरांडी का पत्र

न्यायालय की इस टिप्पणी से यह स्पष्ट हो गया कि कार्यकाल की शेष अवधि की गणना उस तारीख से की जानी चाहिए, जिस दिन आने वाले सदस्य को निर्वाचित घोषित किया जाता है और इस प्रकार, इसमें कोई संदेह नहीं है कि वहां उपचुनाव नहीं हो सकता. यह उल्लेख करना उचित होगा कि ईसीआई भी इसी स्थिति को स्वीकार करता है और उसने 9.10.2018 की प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से अन्य निर्वाचन क्षेत्रों के लिए भी यही रुख अपनाया है.

Babulal Marandi wrote letter to Governor
बाबूलाल मरांडी का पत्र

ऐसे में अगर कोई गैर विधायक सरकार बनाने का दावा पेश करता है और उसका अनुरोध मान लिया जाता है तो यह पूरे राज्य को संवैधानिक संकट में डाल देगा. एसआर चौधरी बनाम पंजाब राज्य, (2001) 7 एससीसी 126 मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गैर-विधायक बनने की प्रथा की निंदा की है और कहा है कि यह संविधान के ढांचे और लोकतांत्रिक व्यवस्था के खिलाफ है.

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बाबूलाल मरांडी ने लिखा है कि बेशक, संविधान ने अनुच्छेद 164 (3) और (4) के आधार पर अपवाद बनाया है, जो बताता है कि 6 महीने की अवधि के भीतर, एक मंत्री सदन का सदस्य बन जाएगा यदि वह निर्वाचित प्रतिनिधि नहीं है. यह रिकॉर्ड की बात है कि 5वीं झारखंड विधानसभा का परिणाम 23.12.2019 को घोषित किया गया था. विधायक ने 31.12.23 को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. उसे स्पीकर ने 1.1.2019 से स्वीकार कर लिया था. जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 151ए यह सुनिश्चित करने का प्रयास करती है कि कोई भी निर्वाचन क्षेत्र छह महीने से अधिक समय तक प्रतिनिधित्वहीन न रहे. लेकिन यह बिना शर्त नहीं है. यह अपवादों के अधीन है. जहां रिक्ति के संबंध में किसी सदस्य का शेष कार्यकाल एक वर्ष से कम है, वहां कोई चुनाव नहीं होगा. इसलिए, यह बिल्कुल स्पष्ट है कि शेष अवधि के लिए गांडेय निर्वाचन क्षेत्र में चुनाव नहीं हो सकता है, क्योंकि पांचवीं झारखंड विधानसभा के पूरे कार्यकाल में एक वर्ष से भी कम समय बचा है.

Babulal Marandi wrote letter to Governor
बाबूलाल मरांडी का पत्र

बाबूलाल मरांडी ने लिखा है कि संदीप यशवंत राव सरोदे बनाम ईसीआई, 2019 मामले सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी सहमति जतायी थी. उसके मुताबिक चुनाव आयोग भी स्वीकार करता प्रतीत होता है, जो उसके दिनांक 9-10-2018 के प्रेस नोट से स्पष्ट है. इसमें कहा गया है कि आंध्र प्रदेश से रिक्तियों के मामले में चुनाव आयोग ने इस कारण से चुनाव नहीं कराने का निर्णय लिया है क्योंकि लोकसभा का शेष कार्यकाल एक वर्ष से कम है, हालांकि यह अलग बात है कि ईसीआई द्वारा रिक्ति की तिथि से एक वर्ष की अवधि की गणना की गई है. हालांकि, हमने पहले ही पाया है कि कार्यकाल की शेष अवधि की गणना रिक्ति होने की तारीख से नहीं बल्कि उस तारीख से की जानी चाहिए जिस दिन आने वाले सदस्य को निर्वाचित घोषित किया जाता है.

Babulal Marandi wrote letter to Governor
बाबूलाल मरांडी का पत्र

न्यायालय की इस टिप्पणी से यह स्पष्ट हो गया कि कार्यकाल की शेष अवधि की गणना उस तारीख से की जानी चाहिए, जिस दिन आने वाले सदस्य को निर्वाचित घोषित किया जाता है और इस प्रकार, इसमें कोई संदेह नहीं है कि वहां उपचुनाव नहीं हो सकता. यह उल्लेख करना उचित होगा कि ईसीआई भी इसी स्थिति को स्वीकार करता है और उसने 9.10.2018 की प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से अन्य निर्वाचन क्षेत्रों के लिए भी यही रुख अपनाया है.

Babulal Marandi wrote letter to Governor
बाबूलाल मरांडी का पत्र

ऐसे में अगर कोई गैर विधायक सरकार बनाने का दावा पेश करता है और उसका अनुरोध मान लिया जाता है तो यह पूरे राज्य को संवैधानिक संकट में डाल देगा. एसआर चौधरी बनाम पंजाब राज्य, (2001) 7 एससीसी 126 मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गैर-विधायक बनने की प्रथा की निंदा की है और कहा है कि यह संविधान के ढांचे और लोकतांत्रिक व्यवस्था के खिलाफ है.

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