रांची: झारखंड में बेलगाम हो रहे कोरोना पर लगाम कसने के लिए झारखंड सरकार ने अपने टॉप आईएएस अफसरों को मैदान में उतार दिया है. गृह, कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग ने आईएएस अफसरों को अलग-अलग जिलों का नोडल अफसर बना दिया है. अब इन अफसरों के दिशा निर्देश पर संबंधित जिलों के उपायुक्त संक्रमण के चेन को तोड़ने के लिए काम करेंगे. अब उपायुक्तों को उनके सीनियर गाइड करेंगे कि टेस्टिंग, ट्रैकिंग, ट्रीटमेंट और वैक्सीनेशन को लेकर क्या-क्या करना है.
किस अधिकारी को मिली कौन से जिले की जिम्मेवारी
झारखंड में सबसे ज्यादा प्रभावित रांची जिले में हालात पर काबू पाने के लिए नगर विकास विभाग के सचिव विनय चौबे को नोडल पदाधिकारी बनाया गया है. योजना सह वित्त विभाग के प्रधान सचिव अजय कुमार सिंह को धनबाद और देवघर का नोडल पदाधिकारी बनाया गया है. वाणिज्य कर विभाग की प्रधान सचिव वंदना डाडेल को कोडरमा और रामगढ़ की जिम्मेदारी दी गई है. खाद्य, सार्वजनिक वितरण एवं उपभोक्ता मामले विभाग की सचिव हिमानी पांडे को पूर्वी सिंहभूम और सरायकेला-खरसावां जिले के हालात पर काबू पाने के लिए रणनीति बनानी होगी.
ग्रामीण विकास विभाग की सचिव आराधना पटनायक को लातेहार और लोहरदगा जिले का नोडल पदाधिकारी बनाया गया है. योजना सह वित्त विभाग के सचिव राहुल शर्मा को पश्चिमी सिंहभूम और खूंटी की जिम्मेदारी दी गई है. पथ निर्माण विभाग के सचिव सुनील कुमार को बोकारो और गिरिडीह जिला में बिगड़ रहे हालात पर काबू पाने के लिए रणनीति तैयार करना है. उद्योग विभाग की सचिव पूजा सिंघल को हजारीबाग और चतरा जिला की जिम्मेदारी दी गई है.
स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के सचिव राजेश शर्मा को पाकुड़ और साहिबगंज जिला का नोडल पदाधिकारी बनाया गया है. कृषि पशुपालन एवं सहकारिता विभाग के सचिव अबूबकर सिद्दीकी को पलामू और गढ़वा, श्रम विभाग के सचिव प्रवीण टोप्पो को गुमला और सिमडेगा का नोडल पदाधिकारी बनाया गया है. पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के सचिव प्रशांत कुमार को दुमका, जामताड़ा और गोड्डा जिले की जिम्मेदारी दी गई है.
सभी जिलों पर होगी विशेष नजर
सभी सीनियर आईएएस न सिर्फ टेस्टिंग, ट्रैकिंग, ट्रीटमेंट और वैक्सीनेशन पर नजर रखेंगे बल्कि उन तमाम बिंदुओं पर फोकस करेंगे जिससे कि हालात पर काबू पाया जा सके. कोविड-19 गाइडलाइन को सुनिश्चित कराते हुए यह देखना कि कोरोना संक्रमितों को इलाज कराने में कहीं दिक्कत तो नहीं हो रही है. संबंधित नोडल पदाधिकारियों को समीक्षा के दौरान कहीं भी राज्य स्तर के हस्तक्षेप की जरूरत होगी तो वह मुख्य सचिव को अवगत कराएंगे. यह व्यवस्था इसलिए की गई है ताकि जिलावार हालात पर बारीकी से नजर रखी जा सके.