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झारखंड में जीनोम सीक्वेंसिंग मशीन लगने के बावजूद नहीं हो पा रही कोरोना वेरिएंट की जांच, जानें वजह

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Published : Jul 16, 2022, 6:21 PM IST

Updated : Jul 16, 2022, 6:32 PM IST

रांची के रिम्स (Ranchi RIMS) में 6 जुलाई को जीनोम सीक्वेंसिंग मशीन लागाई गई है लेकिन, मशीन आई तो जांच के लिए सैंपल नहीं मिल रहे हैं और राज्य को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है. इसे लेकर रिम्स के निदेशक सहित कुछ वरिष्ठ डॉक्टरों से बात की गई. आइए जानते हैं इस बारे में उनका क्या कहना है?

genome sequencing machine in Jharkhand
genome sequencing machine in Jharkhand

रांची: झारखंड के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स (Ranchi RIMS) में कोरोना के अलग-अलग वेरिएंट की जांच के लिए जिनोम सीक्वेंसिंग मशीन लगाई गई. ताकि राज्य में मिलने वाले कोरोना संक्रमित मरीजों के वेरिएंट का पता चल सके लेकिन, 6 जुलाई को जीनोम सीक्वेंसिंग मशीन लगने के बाद अभी तक सही तरीके से नए सैंपलों का कलेक्शन भी नहीं हो पाया है.

इसे भी पढ़ें: Jharkhand Corona Updates: राज्य के 21 जिलों में कोरोना संक्रमण के एक्टिव मरीज, 15 जुलाई को मिले 166 नये केस


एक बार सीक्वेंसिंग में कम से कम 96 सैंपलों की जरूरत: जीनोम सीक्वेंसिंग की देखरेख कर रहे डॉक्टरों का कहना है कि इस मशीन में वैसे सैंपलों का ही सीक्वेंस किया जा सकता है, जिसका सीटी वेल्यू (CT VALUE) 25 से कम हो. यह भी जानकारी दी गई कि एक बार सीक्वेंसिंग करने के लिए कम से कम 96 सैंपलों की जरूरत होती है. अगर उससे कम सैंपल सीक्वेंसिंग के लिए मशीन में डालते हैं तो उसमें उपयोग होने वाले रिएजेंट बर्बाद हो जाते हैं. ऐसे में स्वास्थ्य विभाग और रिम्स प्रबंधन को काफी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ता है क्योंकि मशीन में लगने वाले रिएजेंट बहुत ही महंगे होते हैं.

देखें वीडियो


4-5 दिनों तक कर रहे हैं सैंपलों का इंतजार: माइक्रोबायोलॉजी विभाग के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ मनोज कुमार ने बताया कि वर्तमान में जांच दर काफी कम है. जिस वजह से पॉजिटिव मरीजों की संख्या कम मिल रही है. साथ ही सीक्वेंसिंग के लिए सैंपलों की कमी हो रही है. वहीं रिम्स के निदेशक डॉ कामेश्वर प्रसाद बताते हैं कि अब हमारा राज्य इस स्थिति में पहुंच गया है कि हम सिर्फ रांची ही नहीं बल्कि विभिन्न जिलों से सैंपल मंगाकर उसकी सीक्वेंसिंग कर सकते हैं लेकिन फिलहाल जांच कम होने के कारण सीक्वेंसिंग के लिए 4 से 5 दिनों तक सैंपलों का इंतजार करना पड़ रहा है.

अन्य जिलों से सैंपल मंगाने के लिए भी कई नियम: अन्य जिलों से सैंपल मंगाने को लेकर जेनेटिक विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ अनुपमा बताती हैं कि सैंपल मंगाने के लिए भी कई नियमों का पालन करना होता है. इसके लिए आईसीएमआर की तरफ से SOP बनाए गए हैं. जिसकी जानकारी विभिन्न जिलों के मेडिकल कॉलेज और अन्य अस्पतालों में दी गई है. SOP में यह बताया गया है कि कोरोना के सैंपलों को सीक्वेंसिंग के लिए कैसे भेजना है और उसकी क्या विधि हो सकती है. डॉ अनुपमा ने बताया कि बहुत कम लोग कोविड-19 की जांच करा रहे हैं और दूसरे जिलों से सैंपल भी नहीं आ रहे हैं. उन्होंने बताया कि जो भी जिले वेरिएंट जांच के लिए रिम्स को सैंपल भेजें, उसकी सही पैकेजिंग करें तभी सही तरीके से सीक्वेंसिंग हो सकती है.

नहीं मिल रहा मशीन का लाभ: रिम्स में काफी मशक्कत के बाद जीनोम सीक्वेंसिंग मशीन तो लगा दी गई है लेकिन, अब जांच के लिए सैंपल नहीं है. कोरोना का भय कम होने के कारण लोग अपनी जांच नहीं करा रहे हैं. जिस वजह से जीनोम सीक्वेंसिंग मशीन के लिये पर्याप्त सैंपल नहीं पहुंच पा रहे हैं. जीनोम सीक्वेंसिंग मशीन का संचालन यदि कोरोना के दूसरे और तीसरे वेव में शुरू कर दिया जाता तो इसका लाभ निश्चित रूप से झारखंड को मिल पाता.

रांची: झारखंड के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स (Ranchi RIMS) में कोरोना के अलग-अलग वेरिएंट की जांच के लिए जिनोम सीक्वेंसिंग मशीन लगाई गई. ताकि राज्य में मिलने वाले कोरोना संक्रमित मरीजों के वेरिएंट का पता चल सके लेकिन, 6 जुलाई को जीनोम सीक्वेंसिंग मशीन लगने के बाद अभी तक सही तरीके से नए सैंपलों का कलेक्शन भी नहीं हो पाया है.

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एक बार सीक्वेंसिंग में कम से कम 96 सैंपलों की जरूरत: जीनोम सीक्वेंसिंग की देखरेख कर रहे डॉक्टरों का कहना है कि इस मशीन में वैसे सैंपलों का ही सीक्वेंस किया जा सकता है, जिसका सीटी वेल्यू (CT VALUE) 25 से कम हो. यह भी जानकारी दी गई कि एक बार सीक्वेंसिंग करने के लिए कम से कम 96 सैंपलों की जरूरत होती है. अगर उससे कम सैंपल सीक्वेंसिंग के लिए मशीन में डालते हैं तो उसमें उपयोग होने वाले रिएजेंट बर्बाद हो जाते हैं. ऐसे में स्वास्थ्य विभाग और रिम्स प्रबंधन को काफी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ता है क्योंकि मशीन में लगने वाले रिएजेंट बहुत ही महंगे होते हैं.

देखें वीडियो


4-5 दिनों तक कर रहे हैं सैंपलों का इंतजार: माइक्रोबायोलॉजी विभाग के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ मनोज कुमार ने बताया कि वर्तमान में जांच दर काफी कम है. जिस वजह से पॉजिटिव मरीजों की संख्या कम मिल रही है. साथ ही सीक्वेंसिंग के लिए सैंपलों की कमी हो रही है. वहीं रिम्स के निदेशक डॉ कामेश्वर प्रसाद बताते हैं कि अब हमारा राज्य इस स्थिति में पहुंच गया है कि हम सिर्फ रांची ही नहीं बल्कि विभिन्न जिलों से सैंपल मंगाकर उसकी सीक्वेंसिंग कर सकते हैं लेकिन फिलहाल जांच कम होने के कारण सीक्वेंसिंग के लिए 4 से 5 दिनों तक सैंपलों का इंतजार करना पड़ रहा है.

अन्य जिलों से सैंपल मंगाने के लिए भी कई नियम: अन्य जिलों से सैंपल मंगाने को लेकर जेनेटिक विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ अनुपमा बताती हैं कि सैंपल मंगाने के लिए भी कई नियमों का पालन करना होता है. इसके लिए आईसीएमआर की तरफ से SOP बनाए गए हैं. जिसकी जानकारी विभिन्न जिलों के मेडिकल कॉलेज और अन्य अस्पतालों में दी गई है. SOP में यह बताया गया है कि कोरोना के सैंपलों को सीक्वेंसिंग के लिए कैसे भेजना है और उसकी क्या विधि हो सकती है. डॉ अनुपमा ने बताया कि बहुत कम लोग कोविड-19 की जांच करा रहे हैं और दूसरे जिलों से सैंपल भी नहीं आ रहे हैं. उन्होंने बताया कि जो भी जिले वेरिएंट जांच के लिए रिम्स को सैंपल भेजें, उसकी सही पैकेजिंग करें तभी सही तरीके से सीक्वेंसिंग हो सकती है.

नहीं मिल रहा मशीन का लाभ: रिम्स में काफी मशक्कत के बाद जीनोम सीक्वेंसिंग मशीन तो लगा दी गई है लेकिन, अब जांच के लिए सैंपल नहीं है. कोरोना का भय कम होने के कारण लोग अपनी जांच नहीं करा रहे हैं. जिस वजह से जीनोम सीक्वेंसिंग मशीन के लिये पर्याप्त सैंपल नहीं पहुंच पा रहे हैं. जीनोम सीक्वेंसिंग मशीन का संचालन यदि कोरोना के दूसरे और तीसरे वेव में शुरू कर दिया जाता तो इसका लाभ निश्चित रूप से झारखंड को मिल पाता.

Last Updated : Jul 16, 2022, 6:32 PM IST
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