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माओवादियों और उनके निवेशकों पर NIA ने की चार्जशीट, मनोज चौधरी समेत चार के खिलाफ चार्जशीट - Charge sheet in special court of NIA

एनआईए ने माओवादियों के ओर से लेवी वसूलने और लेवी के पैसों का चल- अचल संपत्ति में निवेश करने के आरोपियों पर शिकंजा कस दिया है. एनआईए ने मनोज कुमार यादव, कृष्णा हांसदा उर्फ कृष्णा दा, सुनील मांझी और मनोज कुमार चौधरी पर सप्लीमेंट्री चार्जशीट दायर की है.

NIA filed charge sheet on Naxalites and his investors in ranchi
माओवादियों पर शिकंजा
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Published : Jan 11, 2021, 10:36 PM IST

रांची: भाकपा माओवादियों के ओर से लेवी वसूलने और लेवी के पैसों का चल- अचल संपत्ति में निवेश करने के आरोपियों पर एनआईए ने शिकंजा कसा है. एनआईए ने भाकपा माओवादी संगठन के ओर से लेवी वसूली से जुड़े मामले में सोमवार को एनआईए की विशेष अदालत में चार्जशीट दायर की.



किन किन पर हुआ चार्जशीट
एनआईए ने मनोज कुमार यादव, कृष्णा हांसदा उर्फ कृष्णा दा, सुनील मांझी और मनोज कुमार चौधरी पर सप्लीमेंट्री चार्जशीट दायर की है. गिरिडीह पुलिस ने 22 जनवरी 2018 को मनोज कुमार यादव को छह लाख रुपये के साथ गिरफ्तार किया था. इस मामले में शुरूआत में गिरिडीह के डुमरी थाना में एफआईआर दर्ज की गई थी. बाद में एनआईए ने केस टेकओवर कर आरसी 21/18 केस दर्ज किया था.



क्या आया जांच में
एनआईए की चार्जशीट में इस बात का जिक्र है कि मनोज कुमार यादव भाकपा माओवादियों का ओवर ग्राउंउ समर्थक था. वह गिरिडीह में राज्य की बड़ी कंस्ट्रक्शन कंपनी आरके कंस्ट्रक्शन के लिए काम करता था, साथ ही इलाके में सड़क निर्माण करा रही कंपनियों से लेवी वसूल कर माओवादी दस्ते तक पहुंचाता था. गिरिडीह में ठेकेदारों और माओवादियों के बीच सबसे की कड़ी का काम मनोज कुमार यादव किया करता था.



किन किन उग्रवादियों तक पहुंचा लेवी का पैसा
एनआईए जांच में यह बात सामने आई है कि भाकपा माओवादियों ने उत्तरी छोटानागपुर जोन के रीजनल कमेटी मेंबर सुनील कुमार मांझी और कृष्णा हांसदा के पास लेवी का पैसा मिलता था. लेवी के लिए उग्रवादियों ने हत्या, सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया. वहीं उग्रवादियों के पैसों का निवेश गिरिडीह के मनोज कुमार चौधरी के ओर से किया जाता था. मनोज चौधरी ने लेवी के पैसों से गिरिडीह में कई जगहों पर जमीन की खरीद भी की थी. भाकपा माओवादियों के दूसरे बड़े उग्रवादियों के नाम पर भी मनोज चौधरी पैसे की उगाही करता था. वर्तमान में सुनील मांझी, मनोज चौधरी और मनोज यादव जेल में हैं, जबकि एनआईए ने कृष्णा हांसदा को फरार दिखाते हुए चार्जशीट दायर की है. मामले में एनआईए का अनुसंधान आगे भी जारी रहेगा.

इसे भी पढे़ं: रांचीः ओरमांझी हत्याकांड में संदिग्ध का पोस्टर जारी

तोता बेचने वाला मनोज बना करोड़पति
गिरिडीह में तोता बेचने वाला मनोज कुमार चौधरी माओवादियों की संपत्ति का निवेश और उनके नाम पर उगाही कर करोड़पति बन गया था. साल 2018 में झारखंड पुलिस मुख्यालय ने मनोज कुमार चौधरी की संपत्ति की जानकारी जुटाई थी. तब पुलिस को जानकारी मिली थी कि मनोज ने अपने पिता, भाईयों और अन्य परिजनों के नाम पर करोड़ों की संपत्ति अर्जित की है. गिरिडीह में मनोज 80 के दशक में तोता बेचने का काम करता था, लेकिन माओवादियों के संपर्क में आने के बाद वह करोड़पति हो गया था.

रांची: भाकपा माओवादियों के ओर से लेवी वसूलने और लेवी के पैसों का चल- अचल संपत्ति में निवेश करने के आरोपियों पर एनआईए ने शिकंजा कसा है. एनआईए ने भाकपा माओवादी संगठन के ओर से लेवी वसूली से जुड़े मामले में सोमवार को एनआईए की विशेष अदालत में चार्जशीट दायर की.



किन किन पर हुआ चार्जशीट
एनआईए ने मनोज कुमार यादव, कृष्णा हांसदा उर्फ कृष्णा दा, सुनील मांझी और मनोज कुमार चौधरी पर सप्लीमेंट्री चार्जशीट दायर की है. गिरिडीह पुलिस ने 22 जनवरी 2018 को मनोज कुमार यादव को छह लाख रुपये के साथ गिरफ्तार किया था. इस मामले में शुरूआत में गिरिडीह के डुमरी थाना में एफआईआर दर्ज की गई थी. बाद में एनआईए ने केस टेकओवर कर आरसी 21/18 केस दर्ज किया था.



क्या आया जांच में
एनआईए की चार्जशीट में इस बात का जिक्र है कि मनोज कुमार यादव भाकपा माओवादियों का ओवर ग्राउंउ समर्थक था. वह गिरिडीह में राज्य की बड़ी कंस्ट्रक्शन कंपनी आरके कंस्ट्रक्शन के लिए काम करता था, साथ ही इलाके में सड़क निर्माण करा रही कंपनियों से लेवी वसूल कर माओवादी दस्ते तक पहुंचाता था. गिरिडीह में ठेकेदारों और माओवादियों के बीच सबसे की कड़ी का काम मनोज कुमार यादव किया करता था.



किन किन उग्रवादियों तक पहुंचा लेवी का पैसा
एनआईए जांच में यह बात सामने आई है कि भाकपा माओवादियों ने उत्तरी छोटानागपुर जोन के रीजनल कमेटी मेंबर सुनील कुमार मांझी और कृष्णा हांसदा के पास लेवी का पैसा मिलता था. लेवी के लिए उग्रवादियों ने हत्या, सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया. वहीं उग्रवादियों के पैसों का निवेश गिरिडीह के मनोज कुमार चौधरी के ओर से किया जाता था. मनोज चौधरी ने लेवी के पैसों से गिरिडीह में कई जगहों पर जमीन की खरीद भी की थी. भाकपा माओवादियों के दूसरे बड़े उग्रवादियों के नाम पर भी मनोज चौधरी पैसे की उगाही करता था. वर्तमान में सुनील मांझी, मनोज चौधरी और मनोज यादव जेल में हैं, जबकि एनआईए ने कृष्णा हांसदा को फरार दिखाते हुए चार्जशीट दायर की है. मामले में एनआईए का अनुसंधान आगे भी जारी रहेगा.

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तोता बेचने वाला मनोज बना करोड़पति
गिरिडीह में तोता बेचने वाला मनोज कुमार चौधरी माओवादियों की संपत्ति का निवेश और उनके नाम पर उगाही कर करोड़पति बन गया था. साल 2018 में झारखंड पुलिस मुख्यालय ने मनोज कुमार चौधरी की संपत्ति की जानकारी जुटाई थी. तब पुलिस को जानकारी मिली थी कि मनोज ने अपने पिता, भाईयों और अन्य परिजनों के नाम पर करोड़ों की संपत्ति अर्जित की है. गिरिडीह में मनोज 80 के दशक में तोता बेचने का काम करता था, लेकिन माओवादियों के संपर्क में आने के बाद वह करोड़पति हो गया था.

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