रांची: मगध-आम्रपाली कोल परियोजना से टेरर फंडिंग के मामले में टीपीसी नक्सलियों के रिश्तेदारों पर भी राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) शिकंजा कसेगा. टेरर फंडिंग केस में सीसीएल ट्रांसपोर्टिंग से जुड़ी कंपनियों और विस्थापित गांवों के लोगों की ओर से टीपीसी के संरक्षण में बनायी गई कमेटी पर एनआईए कार्रवाई कर चुकी है.
निवेश की जांच शुरू
टीपीसी उग्रवादियों की ओर से किए गए निवेश के पहलूओं पर एनआईए जांच कर रही है. लेवी के पैसों से टीपीसी उग्रवादियों और उनके परिजनों ने कहां-कहां कितनी संपत्ति अर्जित की है, इस पर एनआईए अब जांच कर रही है. राज्य पुलिस मुख्यालय ने पहले भी निवेश संबंधी मामलों की जानकारी एनआईए को दी थी. इसी आधार पर एनआईए ने संपत्ति की जानकारी जुटाने का काम किया. टीपीसी उग्रवादियों के परिजनों के नाम पर खरीदी चल-अचल संपत्ति और उनके निवेश की जानकारी को लेकर एनआईए की टीम ने हाल में चतरा में भी कैंप किया था.
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टंडवा, लावलौंग में जाकर की जांच
एनआईए की टीम ने टीपीसी उग्रवादियों की संपत्ति की जानकारी जुटाने के लिए टंडवा, लावालौंग में जाकर जांच की थी. इन दोनों इलाकों में टीपीसी उग्रवादियों के कई परिजन रहते हैं. अब तक की जांच में टीपीसी उग्रवादियों के रिश्तेदारों के नाम पर रांची, हजारीबाग, चतरा और लातेहार में अचल संपत्ति होने की बात सामने आयी है. एक टीपीसी कमांडर के रेस्टोरेंट और पेट्रोल पंप होने की बात भी सामने आयी है.
कई बड़े उग्रवादी अब भी गिरफ्त के बाहर
मगध-आम्रपाली कोल परियोजना से लेवी वसूली के मामले में कई बड़े टीपीसी उग्रवादी अब भी फरार है. टीपीसी सुप्रीमो ब्रजेश गंझू, आक्रमण, अनिश्चय गंझू, मुकेश गंझू, भीखन गंझू समेत कई को एनआईए फरार घोषित कर चुकी है. वहीं, इस मामले में आधुनिक ग्रुप के जीएम संजय जैन, सीसीएल का लाइजनर सुभान मियां, ट्रांसपोर्टर छोटू सिंह उर्फ प्रेम विकास सिंह समेत कई आरोपी लंबे समय से जेल में बंद हैं.