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बड़हरवा टोल टेंडर मामले की जांच सीबीआई और एनआईए से करवाने की मांग, 16 जनवरी को अगली सुनवाई - रांची न्यूज

झारखंड हाई कोर्ट में बड़हरवा टोल टेंडर मैनेज करने के मामले की सुनवाई हुई. जिसमें कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुना. जिसके बाद सुनवाई की अगली तारीख 16 जनवरी की तय की(hearing in Barharwa toll tender case on January 16).

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Published : Dec 22, 2022, 1:31 PM IST

Updated : Dec 22, 2022, 2:04 PM IST

रांचीः साहिबगंज के बड़हरवा टोल टेंडर मैनेज करने से जुड़े मामले की हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान शंभु भगत के अधिवक्ता के द्वारा हाई कोर्ट को यह जानकारी दी गई उनके मुवक्किल को जान का खतरा है, ऐसे में पूरे प्रकरण की जांच सीबीआई के साथ-साथ एनआईए से भी करवाई जाए. मामले में दोनों पक्षों की बातें सुनने के बाद अगली तारीख 16 जनवरी मुकर्रर की गई है(hearing in Barharwa toll tender case on January 16).

क्या हुआ सुनवाई मेंः झारखंड के साहिबगंज के चर्चित बड़हरवा टोल टेंडर मैनेज करने से जुड़े मामले की सुनवाई गुरुवार झारखण्ड हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी की अदालत में हुई. अदालत में शंभु भगत के अधिवक्ता ने यह जानकारी दी कि पूरे प्रकरण की जांच सीबीआई के साथ-साथ एनआईए से भी कराई जाए क्योंकि यह गंभीर मामला है. दूसरी तरफ सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता सचिन कुमार ने ईडी के शपथ पत्र पर जवाब दाखिल करने के लिए समय की मांग की. जिसके बाद अदालत ने यह पूछा कि इस मामले की जांच सही तरीके से क्यों नहीं हुई, इसे लेकर भी 16 जनवरी को सरकार जबाब दाखिल करे. सुनवाई के दौरान झारखंड सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता सचिन कुमार ने पक्ष रखा, वहीं प्रार्थी शंभू भगत की ओर से वरीय अधिवक्ता अभय मिश्रा ने बहस की, जबकि सरकार के मंत्री आलमगीर आलम की ओर से पूर्व महाधिवक्ता अजीत कुमार ने पक्ष रखा.



जान का खतरा है शंभु भगत कोः वहीं अदालत में सुनवाई के दौरान प्रार्थी के वकील ने अपने मुवक्किल की जान पर खतरे का अंदेशा भी जताया है. ऐसे में जरूरी है कि शंभू भगत को सुरक्षा उपलब्ध करवाई जाए साथ ही जल्द ही इस मामले की जांच सीबीआई और एनआईए दोनों से करवाई जाए ताकि अंदर खाने की सभी सच्चाई बाहर निकल पाए. गौरतलब है कि पिछली सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने ईडी को पार्टी बनाए जाने की इजाजत दी थी, साथ ही हाईकोर्ट ने निचली अदालत की कार्रवाई पर अगली सुनवाई तक रोक लगाने का भी आदेश दिया था, हाईकोर्ट के आदेश के बाद अब साहिबगंज कोर्ट इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं करेगा.



क्या है पूरा मामलाः 22 जून 2020 को बड़हरवा टोल प्लाजा टेंडर मामले में शंभु भगत ने एफआईआर दर्ज कराया था. उन्होंने मंत्री आलमगीर आलम और पंकज मिश्रा के अलावा आठ अन्य लोगों को आरोपी बनाया था. उनका आरोप था कि मंत्री की तरफ से टेंडर में शामिल नहीं होने के लिए उन्हें धमकी मिली थी. बाद में उन लोगों के गुर्गों ने उनकी पिटाई भी की थी. इसके बावजूद साहिबगंज पुलिस ने मंत्री और पंकज मिश्रा को इस केस में क्लीन चिट दे दिया था. जबकि शेष आठ के खिलाफ 11 नवंबर 2020 को चार्जशीट फाइल कर दी थी. इसी को शंभु भगत र ने हाई कोर्ट में चुनौती देते हुए सीबीआई जांच की मांग की थी. इसी बीच अवैध खनन मामले की जांच के क्रम में ईडी ने बड़हरवा केस को 8 मार्च 2022 को टेकअप कर लिया था. बाद में शंभु भगत की याचिका पर 6 दिसंबर को सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा था कि मंत्री और पंकज मिश्रा का नाम चार्जशीट में नहीं देना उन्हें बचाने जैसा प्रतीत होता है. इस दौरान मंत्री आलमगीर आलम और पंकज मिश्रा के अलावा सरकार के पक्ष को दरकिनार करते हुए हाई कोर्ट ने ईडी को भी पार्टी बनाने का निर्देश दिया था. कोर्ट ने ईडी और सीबीआई से इसपर एफिडेविट देने को कहा था.

रांचीः साहिबगंज के बड़हरवा टोल टेंडर मैनेज करने से जुड़े मामले की हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान शंभु भगत के अधिवक्ता के द्वारा हाई कोर्ट को यह जानकारी दी गई उनके मुवक्किल को जान का खतरा है, ऐसे में पूरे प्रकरण की जांच सीबीआई के साथ-साथ एनआईए से भी करवाई जाए. मामले में दोनों पक्षों की बातें सुनने के बाद अगली तारीख 16 जनवरी मुकर्रर की गई है(hearing in Barharwa toll tender case on January 16).

क्या हुआ सुनवाई मेंः झारखंड के साहिबगंज के चर्चित बड़हरवा टोल टेंडर मैनेज करने से जुड़े मामले की सुनवाई गुरुवार झारखण्ड हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी की अदालत में हुई. अदालत में शंभु भगत के अधिवक्ता ने यह जानकारी दी कि पूरे प्रकरण की जांच सीबीआई के साथ-साथ एनआईए से भी कराई जाए क्योंकि यह गंभीर मामला है. दूसरी तरफ सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता सचिन कुमार ने ईडी के शपथ पत्र पर जवाब दाखिल करने के लिए समय की मांग की. जिसके बाद अदालत ने यह पूछा कि इस मामले की जांच सही तरीके से क्यों नहीं हुई, इसे लेकर भी 16 जनवरी को सरकार जबाब दाखिल करे. सुनवाई के दौरान झारखंड सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता सचिन कुमार ने पक्ष रखा, वहीं प्रार्थी शंभू भगत की ओर से वरीय अधिवक्ता अभय मिश्रा ने बहस की, जबकि सरकार के मंत्री आलमगीर आलम की ओर से पूर्व महाधिवक्ता अजीत कुमार ने पक्ष रखा.



जान का खतरा है शंभु भगत कोः वहीं अदालत में सुनवाई के दौरान प्रार्थी के वकील ने अपने मुवक्किल की जान पर खतरे का अंदेशा भी जताया है. ऐसे में जरूरी है कि शंभू भगत को सुरक्षा उपलब्ध करवाई जाए साथ ही जल्द ही इस मामले की जांच सीबीआई और एनआईए दोनों से करवाई जाए ताकि अंदर खाने की सभी सच्चाई बाहर निकल पाए. गौरतलब है कि पिछली सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने ईडी को पार्टी बनाए जाने की इजाजत दी थी, साथ ही हाईकोर्ट ने निचली अदालत की कार्रवाई पर अगली सुनवाई तक रोक लगाने का भी आदेश दिया था, हाईकोर्ट के आदेश के बाद अब साहिबगंज कोर्ट इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं करेगा.



क्या है पूरा मामलाः 22 जून 2020 को बड़हरवा टोल प्लाजा टेंडर मामले में शंभु भगत ने एफआईआर दर्ज कराया था. उन्होंने मंत्री आलमगीर आलम और पंकज मिश्रा के अलावा आठ अन्य लोगों को आरोपी बनाया था. उनका आरोप था कि मंत्री की तरफ से टेंडर में शामिल नहीं होने के लिए उन्हें धमकी मिली थी. बाद में उन लोगों के गुर्गों ने उनकी पिटाई भी की थी. इसके बावजूद साहिबगंज पुलिस ने मंत्री और पंकज मिश्रा को इस केस में क्लीन चिट दे दिया था. जबकि शेष आठ के खिलाफ 11 नवंबर 2020 को चार्जशीट फाइल कर दी थी. इसी को शंभु भगत र ने हाई कोर्ट में चुनौती देते हुए सीबीआई जांच की मांग की थी. इसी बीच अवैध खनन मामले की जांच के क्रम में ईडी ने बड़हरवा केस को 8 मार्च 2022 को टेकअप कर लिया था. बाद में शंभु भगत की याचिका पर 6 दिसंबर को सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा था कि मंत्री और पंकज मिश्रा का नाम चार्जशीट में नहीं देना उन्हें बचाने जैसा प्रतीत होता है. इस दौरान मंत्री आलमगीर आलम और पंकज मिश्रा के अलावा सरकार के पक्ष को दरकिनार करते हुए हाई कोर्ट ने ईडी को भी पार्टी बनाने का निर्देश दिया था. कोर्ट ने ईडी और सीबीआई से इसपर एफिडेविट देने को कहा था.

Last Updated : Dec 22, 2022, 2:04 PM IST
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