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साइबर क्रिमिनल का नया हथियार बना "ट्रेसलेस" लग्जरी वाहन बन रहे मददगार

साइबर अपराध पर ब्रेक के साथ-साथ लोगों को जागरूक करने के लिए सरकार हर साल करोड़ों रुपए पानी की तरह बहा रही है. उन्हें गिरफ्तार करने के लिए नए-नए प्लानिंग की जा रही है. लेकिन दूसरी तरफ साइबर अपराधी तू डाल डाल तो मैं पात पात को चरितार्थ करते हुए, पुलिस को झांसा देने के लिए हर दिन नई तकनीकों का इस्तेमाल करने लगे हुए हैं. झारखंड के साइबर अपराधी (Cyber criminals of Jharkhand) अब लग्जरी वाहनों में घूम-घूम कर ठगी की वारदातों को अंजाम दे रहे हैं, ताकि पुलिस उन्हें ट्रेस न कर पाए.

new weapon of cyber criminals of Jharkhand
new weapon of cyber criminals of Jharkhand
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Published : Nov 1, 2022, 7:56 PM IST

रांची: जामताड़ा के खेतों और कस्बों से निकल कर साइबर अपराध के नेटवर्क को अब लग्जरी कारों में बैठ कर ऑपरेट किया जाने लगा है. पुलिस के ट्रैकिंग सिस्टम से बचने के लिए झारखंड के साइबर अपराधी (Cyber criminals of Jharkhand) अब नायाब तरीका अपना रहे हैं. लग्जरी वाहनों में बैठ कर साइबर अपराधी अपने शिकार को फंसा रहे हैं. लग्जरी वाहनों में बैठकर एक शहर से दूसरे शहर घूम कर पुलिस को चकमा देते हुए उसी लग्जरी वाहन से साइबर अपराधी अपने शिकार को फंसा रहे हैं. जब शिकार फंस जाता है तब वह उसी शहर के एटीएम से उनका पैसा गायब कर दूसरे शहर का रुख कर लेते हैं. ऐसे में जब पुलिस ट्रेस करती है तब उनके वास्तविक लोकेशन का पता नहीं चल पाता है. पुलिस को साइबर अपराधियों के आगे वाले स्थान का लोकेशन हासिल होता है, लेकिन जब तक पुलिस वहां पहुंचती है वह वहां से अपने शहर पहुंच चुके होते हैं. जहां से उन्हें ढूंढ पाना पुलिस के लिए काफी मुश्किल भरा काम होता है.

ये भी पढ़ें- झारखंड में डेटा लीक का सनसनीखेज मामला: ठगों के पास मिली SBI कस्टमर, व्यापारियों समेत 4 लाख लोगों की फाइनेंशियल डिटेल्स


ट्रेस न हो इसके लिए हुई नई प्लानिंग: दरअसल, पिछले एक साल में झारखंड पुलिस ने अपने साइबर सेल और टेक्निकल सेल की मदद से 1000 से अधिक साइबर अपराधियों को सलाखों के पीछे पहुंचाने में कामयाबी पाई है. यहां तक कि टेक्निकल सेल की मदद से बिहार, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और केरल जैसे राज्यों से झारखंड के साइबर अपराधी पकड़े गए थे. समय के साथ पुलिस का भी नेटवर्क सिस्टम काफी मजबूत हुआ है. ट्रैकिंग सिस्टम भी बेहद कारगर हो गया, ऐसे में साइबर अपराधियों तक पहुंचना पुलिस के लिए थोड़ा आसान हो गया था. यह सब इसलिए संभव हो रहा था क्योंकि मोबाइल फोन के जरिए साइबर अपराधियों को प्रवेश कर लिया जा रहा था. लेकिन अब तो साइबर अपराधियों ने इसका भी काट ढूंढ लिया है और मोमेंट में रहते हुए साइबर ठगी की वारदातों को अंजाम दे रहे हैं.

गिरिडीह में हुआ खुलासा: पिछले महीने गिरिडीह पुलिस ने छापेमारी कर दो शातिर साइबर अपराधियों को दबोचा था. पूछताछ करने पर यह जानकारी मिली की सभी साइबर क्रिमिनल्स लग्जरी वाहनों में बैठकर घूम-घूमकर ठगी की वारदातों को अंजाम देते हैं. गिरिडीह से गिरफ्तार दो साइबर अपराधियों की खबर राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बनी थी, जो कि गिरफ्तार साइबर अपराधियों के पास से एक लाख लोगों के नंबर सुरक्षित थे. इनमें से 10 हजार नंबर तो साउथ के बड़े कारोबारियों का था. गिरिडीह के मुख्यालय डीएसपी संजय कुमार राणा ने बताया कि गिरफ्तार सभी साइबर अपराधी बेहद शातिर है और ठगी के नए तरीकों को जानते हैं. यह लोग लग्जरी वाहनों का प्रयोग सिर्फ इसलिए कर रहे थे कि इसके जरिए वे पुलिस को चकमा दे सकें. इनके गिरोह में दर्जनों लोग हैं जो फिलहाल लग्जरी वाहनों से ही ट्रेसलैस रहकर ठगी की वारदातों को अंजाम दे रहे हैं.

घटने के बजाय बढ़ रहे मामले: राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के अनुसार, 2016 में झारखंड साइबर अपराध (Cyber crime in Jharkhand) में 13वें स्थान पर था और साइबर कांड मात्र 180 थे. लेकिन 2021 आते आते झारखंड में साइबर क्रिमिनल्स की बाढ़ सी आ गई. 2021 में ये आंकड़ा 1153 पहुंच गया. यानी झारखंड में साइबर मामले 43.98℅ की औसत वार्षिक दर से बढ़ रहे हैं.


1930 बेहतर साबित हो रहा साइबर कांडों में: साइबर वित्तिय धोखाधड़ी के मामले में टोल फ्री नंबर 1930 काफी कारगर साबित हो रहा. गृह मंत्रालय की प्रोजेक्ट सिटीजन साइबर फ्रॉड रिपोर्टिंग एंड मैनेजमेंट सिस्ट के तहत 1930 की शुरूआत की गई थी. झारखंड में जामताड़ा के साइबर अपराधियों के कारण राज्य की बदनामी होती रही है. वहीं झारखंड में साइबर अपराध पर लगाम कसने और साइबर अपराधियों पर कार्रवाई को लेकर जबरदस्त तरीके से काम भी हो रहा. राज्य में इस बात अबतक साइबर अपराध की त्वरित शिकारत के कारण साइबर अपराधियों के खाते में सवा करोड़ से अधिक की राशि फ्रीज की गई है. खातों में पैसा फ्रीज होने के बाद इसे वापस पीड़ितों के खाते में कराने की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है.

क्या कहती है पुलिस: झारखंड सीआईडी के आईजी असीम विक्रांत मिंज के अनुसार यह सही है कि साइबर अपराधी हर दिन नई तकनीक और योजनाओं के बल पर साइबर ठगी की घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं. वाहनों में घूम-घूमकर ठगी एक नया तरीका प्रतीत होता है (New weapon of cyber criminals). हालांकि सीआईडी की साइबर टीम बेहतरीन काम कर रही है.

त्वरित एक्शन और जागरूकता ही बचाव: साइबर ठगी होने पर त्वरित कार्रवाई ही पैसे गायब होने से बचा सकती है. राज्य सीआईडी के द्वारा अपील की गई है कि यदि नागरिक साइबर ठगी के शिकार होते हैं तो तत्काल कार्रवाई के लिए डब्लूडब्लूडब्लू डाट साइबर क्राइम डॉट गॉव डाट इन या टोल फ्री नंबर 1930 पर संपर्क करें. ठगी संबंधी डिटेल्स अविलंब साझा करने पर ठगी की रकम वापसी के लिए अविलंब कार्रवाई की जा रही है. साइबर ठगी पीड़ित की शिकायत के बाद सीआईडी का साइबर सेल तत्काल पैसे के ट्रांजेक्शन के सारे ट्रेल देखता है. इसके बाद जिन बैंक के खातों में साइबर ठगी के पैसे का ट्रांजेक्शन हुआ है, उससे संपर्क कर तत्काल खातों को फ्रीज कर लिया जाता है. लेकिन इसके लिए जरूरी है कि पीड़ित के द्वारा त्वरित शिकायत की जाए.

रांची: जामताड़ा के खेतों और कस्बों से निकल कर साइबर अपराध के नेटवर्क को अब लग्जरी कारों में बैठ कर ऑपरेट किया जाने लगा है. पुलिस के ट्रैकिंग सिस्टम से बचने के लिए झारखंड के साइबर अपराधी (Cyber criminals of Jharkhand) अब नायाब तरीका अपना रहे हैं. लग्जरी वाहनों में बैठ कर साइबर अपराधी अपने शिकार को फंसा रहे हैं. लग्जरी वाहनों में बैठकर एक शहर से दूसरे शहर घूम कर पुलिस को चकमा देते हुए उसी लग्जरी वाहन से साइबर अपराधी अपने शिकार को फंसा रहे हैं. जब शिकार फंस जाता है तब वह उसी शहर के एटीएम से उनका पैसा गायब कर दूसरे शहर का रुख कर लेते हैं. ऐसे में जब पुलिस ट्रेस करती है तब उनके वास्तविक लोकेशन का पता नहीं चल पाता है. पुलिस को साइबर अपराधियों के आगे वाले स्थान का लोकेशन हासिल होता है, लेकिन जब तक पुलिस वहां पहुंचती है वह वहां से अपने शहर पहुंच चुके होते हैं. जहां से उन्हें ढूंढ पाना पुलिस के लिए काफी मुश्किल भरा काम होता है.

ये भी पढ़ें- झारखंड में डेटा लीक का सनसनीखेज मामला: ठगों के पास मिली SBI कस्टमर, व्यापारियों समेत 4 लाख लोगों की फाइनेंशियल डिटेल्स


ट्रेस न हो इसके लिए हुई नई प्लानिंग: दरअसल, पिछले एक साल में झारखंड पुलिस ने अपने साइबर सेल और टेक्निकल सेल की मदद से 1000 से अधिक साइबर अपराधियों को सलाखों के पीछे पहुंचाने में कामयाबी पाई है. यहां तक कि टेक्निकल सेल की मदद से बिहार, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और केरल जैसे राज्यों से झारखंड के साइबर अपराधी पकड़े गए थे. समय के साथ पुलिस का भी नेटवर्क सिस्टम काफी मजबूत हुआ है. ट्रैकिंग सिस्टम भी बेहद कारगर हो गया, ऐसे में साइबर अपराधियों तक पहुंचना पुलिस के लिए थोड़ा आसान हो गया था. यह सब इसलिए संभव हो रहा था क्योंकि मोबाइल फोन के जरिए साइबर अपराधियों को प्रवेश कर लिया जा रहा था. लेकिन अब तो साइबर अपराधियों ने इसका भी काट ढूंढ लिया है और मोमेंट में रहते हुए साइबर ठगी की वारदातों को अंजाम दे रहे हैं.

गिरिडीह में हुआ खुलासा: पिछले महीने गिरिडीह पुलिस ने छापेमारी कर दो शातिर साइबर अपराधियों को दबोचा था. पूछताछ करने पर यह जानकारी मिली की सभी साइबर क्रिमिनल्स लग्जरी वाहनों में बैठकर घूम-घूमकर ठगी की वारदातों को अंजाम देते हैं. गिरिडीह से गिरफ्तार दो साइबर अपराधियों की खबर राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बनी थी, जो कि गिरफ्तार साइबर अपराधियों के पास से एक लाख लोगों के नंबर सुरक्षित थे. इनमें से 10 हजार नंबर तो साउथ के बड़े कारोबारियों का था. गिरिडीह के मुख्यालय डीएसपी संजय कुमार राणा ने बताया कि गिरफ्तार सभी साइबर अपराधी बेहद शातिर है और ठगी के नए तरीकों को जानते हैं. यह लोग लग्जरी वाहनों का प्रयोग सिर्फ इसलिए कर रहे थे कि इसके जरिए वे पुलिस को चकमा दे सकें. इनके गिरोह में दर्जनों लोग हैं जो फिलहाल लग्जरी वाहनों से ही ट्रेसलैस रहकर ठगी की वारदातों को अंजाम दे रहे हैं.

घटने के बजाय बढ़ रहे मामले: राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के अनुसार, 2016 में झारखंड साइबर अपराध (Cyber crime in Jharkhand) में 13वें स्थान पर था और साइबर कांड मात्र 180 थे. लेकिन 2021 आते आते झारखंड में साइबर क्रिमिनल्स की बाढ़ सी आ गई. 2021 में ये आंकड़ा 1153 पहुंच गया. यानी झारखंड में साइबर मामले 43.98℅ की औसत वार्षिक दर से बढ़ रहे हैं.


1930 बेहतर साबित हो रहा साइबर कांडों में: साइबर वित्तिय धोखाधड़ी के मामले में टोल फ्री नंबर 1930 काफी कारगर साबित हो रहा. गृह मंत्रालय की प्रोजेक्ट सिटीजन साइबर फ्रॉड रिपोर्टिंग एंड मैनेजमेंट सिस्ट के तहत 1930 की शुरूआत की गई थी. झारखंड में जामताड़ा के साइबर अपराधियों के कारण राज्य की बदनामी होती रही है. वहीं झारखंड में साइबर अपराध पर लगाम कसने और साइबर अपराधियों पर कार्रवाई को लेकर जबरदस्त तरीके से काम भी हो रहा. राज्य में इस बात अबतक साइबर अपराध की त्वरित शिकारत के कारण साइबर अपराधियों के खाते में सवा करोड़ से अधिक की राशि फ्रीज की गई है. खातों में पैसा फ्रीज होने के बाद इसे वापस पीड़ितों के खाते में कराने की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है.

क्या कहती है पुलिस: झारखंड सीआईडी के आईजी असीम विक्रांत मिंज के अनुसार यह सही है कि साइबर अपराधी हर दिन नई तकनीक और योजनाओं के बल पर साइबर ठगी की घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं. वाहनों में घूम-घूमकर ठगी एक नया तरीका प्रतीत होता है (New weapon of cyber criminals). हालांकि सीआईडी की साइबर टीम बेहतरीन काम कर रही है.

त्वरित एक्शन और जागरूकता ही बचाव: साइबर ठगी होने पर त्वरित कार्रवाई ही पैसे गायब होने से बचा सकती है. राज्य सीआईडी के द्वारा अपील की गई है कि यदि नागरिक साइबर ठगी के शिकार होते हैं तो तत्काल कार्रवाई के लिए डब्लूडब्लूडब्लू डाट साइबर क्राइम डॉट गॉव डाट इन या टोल फ्री नंबर 1930 पर संपर्क करें. ठगी संबंधी डिटेल्स अविलंब साझा करने पर ठगी की रकम वापसी के लिए अविलंब कार्रवाई की जा रही है. साइबर ठगी पीड़ित की शिकायत के बाद सीआईडी का साइबर सेल तत्काल पैसे के ट्रांजेक्शन के सारे ट्रेल देखता है. इसके बाद जिन बैंक के खातों में साइबर ठगी के पैसे का ट्रांजेक्शन हुआ है, उससे संपर्क कर तत्काल खातों को फ्रीज कर लिया जाता है. लेकिन इसके लिए जरूरी है कि पीड़ित के द्वारा त्वरित शिकायत की जाए.

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