रांची: बीजेपी में झारखंड विकास मोर्चा के विलय के बाद अब एक नई बहस छिड़ गई है. यह बहस झाविमो के 'असली विलय' को लेकर है. जिसकी दावेदारी एक तरफ बीजेपी कर रही है, वहीं दूसरी तरफ पार्टी से निकाले गए दो विधायकों को शामिल कराने वाली कांग्रेस भी कर रही है.
2 विधायक हुए कांग्रेस में शामिल
दरअसल, बाबूलाल मरांडी ने पार्टी के 2 विधायकों प्रदीप यादव और बंधु तिर्की को झाविमो से निकालने के बाद बीजेपी में विलय किया. वहीं दूसरी तरफ यादव और तिर्की ने कांग्रेस का दामन थाम लिया. कांग्रेस का दावा है के झाविमो का असली विलय उसने कराया. झारखंड प्रदेश कांग्रेस पार्टी ने इस बाबत साफ तौर पर कहा कि बीजेपी दोहरा चरित्र अपना रही है. विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी ने झारखंड विकास मोर्चा के चुनाव चिन्ह को रद्द करने के लिए आयोग का दरवाजा खटखटाया था. झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता लाल किशोर नाथ शाहदेव ने कहा कि 2014 में जब जेवीएम के छह विधायक बीजेपी में शामिल हुए तो उसे विलय करार दिया गया. फिर दोबारा मरांडी के बीजेपी में जाने को विलय कहा जा रहा है. उन्होंने कहा कि यह समझ नहीं आता कि बीजेपी, जेवीएम का कितनी बार खुद में विलय कराएगी. शाहदेव ने कहा कि चुनाव आयोग के शर्तों के अनुसार 3 में से 2 विधायक कांग्रेस में शामिल हुए हैं. ऐसे में जेवीएम का असली विलय कांग्रेस में हुआ है.
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बीजेपी के अपने दावे
इस बाबत राज्यसभा में बीजेपी के सांसद समीर उरांव ने कहा कि झंडा-बैनर के साथ जेवीएम का आधिकारिक विलय बीजेपी में हुआ है. इस बात के कई लोग प्रमाण बने हैं, सब लोगों ने देखा है कि जेवीएम का बीजेपी में विलय हुआ. अब असली और नकली का सवाल करने वाले लोग केवल बाल की खाल निकाल रहे हैं.
मरांडी समर्थकों का दावा
हालांकि, मरांडी खेमे के समर्थकों का दावा है कि उनका विलय तकनीकी रूप से सही है. इस बाबत झाविमो के पूर्व केंद्रीय महासचिव संतोष कुमार ने कहा कि अब वे लोग आगे की ओर देखना चाहते है. रही बात विलय की तो तकनीकी मामलों के आधार पर कोई भी टिप्पणी करना अब सही नहीं हैं. जब जेवीएम का विलय बीजेपी में हो गया तब जेवीएम से जुड़े सवाल मायने नहीं रखते हैं.
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क्या है तकनीकी अड़चन
दरअसल, किसी भी दल के दूसरे दल में विलय के लिए दो स्थितियां होती हैं. जिसके तहत एक तरफ जहां पार्टी के दो तिहाई पदाधिकारियों की सहमति चाहिए होती है. वहीं दूसरी तरफ पार्टी के चुने हुए दो तिहाई जनप्रतिनिधियों का भी साथ जरूरी होता है. झाविमो के मामले में बीजेपी में झाविमो के विलय को लेकर तत्कालीन पदाधिकारियों का दो तिहाई बहुमत है. जबकि इससे पहले पार्टी ने 3 में से 2 विधायकों को बाहर का रास्ता दिखा दिया है.
स्पीकर के पाले में गेंद, तय करेंगे 'असली विलय' किसमें
दरअसल, इस मामले को लेकर झारखंड विधानसभा के स्पीकर रवींद्रनाथ महतो किसी तरह का निर्णय लेंगे क्योंकि मामला चुने हुए जनप्रतिनिधियों से जुड़ा है. ऐसे में उन्हें तय करना होगा कि झाविमो के किस विलय को वैधानिकता दी जाए. सूत्रों के मुताबिक इस बाबत झाविमो से निष्कासित विधायक प्रदीप यादव ने स्पीकर के यहां जानकारी दी है.
बीजेपी में जेवीएम के पूर्व में हुए विलय को मिली थी मान्यता
दरअसल, 2014 के विधानसभा चुनाव के बाद झाविमो के 8 में से 6 विधायकों के बीजेपी में शमिल होने के साथ पार्टी का कथित तौर पर विलय हो गया था. इसको लेकर बाबूलाल मरांडी ने स्पीकर का दरवाजा खटखटाया और लंबी सुनवाई के बाद 6 विधायकों के बीजेपी में विलय को सही ठहराया गया था.