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महागठबंधन में बन रहा नया समीकरण, JVM और आरजेडी से किया जा सकता है किनारा - झारखंड समाचार

विधानसभा चुनाव को देखते हुए झारखंड में विपक्षी दलों के महागठबंधन में नया समीकरण तैयार हो रहा है. कयास ये लगाया जा रहा है कि इस खेमे से जेवीएम और आरजेडी को दूर रखा जा सकता है.

विपक्षी दल के नेता
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Published : Jun 26, 2019, 5:19 PM IST

रांची: प्रदेश के विपक्षी दलों के महागठबंधन में नया समीकरण तैयार हो रहा है. इस नए समीकरण में झारखंड विकास मोर्चा और राष्ट्रीय जनता दल किनारे किए जा सकते हैं. इसको लेकर झामुमो और कांग्रेस के खेमे में मंथन का दौर जारी है. सूत्रों पर यकीन करें तो आगामी विधानसभा चुनाव में विपक्षी दलों के महागठबंधन से राजद और झाविमो को आउट कर वाम दलों को शामिल किया जा सकता है.

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हालांकि इसे लेकर अभी तक किसी तरह की औपचारिक बैठक नहीं हुई है. लेकिन अंदरखाने इस समीकरण पर गंभीरतापूर्वक चर्चा हो रही है. दरअसल, लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा के अंदर यह बात साफ हो गई कि झाविमो और राजद अब झारखंड में बहुत ज्यादा राजनीतिक प्रभाव नहीं बना सकते हैं.

इस बात को तब और बल मिला जब लोकसभा चुनाव में महागठबंधन के उम्मीदवारों को झाविमो और राजद अपना वोट शिफ्ट नहीं करा पाए. लंबे दावों के बाद राजद के स्टार प्रचारक न तो चतरा संसदीय इलाके में अपना इंपैक्ट दिखा पाए और न झाविमो कोडरमा और गोड्डा में अपनी शक्ति प्रदर्शित कर पाया. इसी के बाद झामुमो और कांग्रेस की नजदीकियां बढ़ी है और आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर इस स्ट्रेटजी बन रही है.

ये भी पढ़ें- रांचीः सुधा डेयरी प्लांट में हादसा, पैन ब्लास्ट होने से दो मजदूर घायल

राजद की टूट और झाविमो की कमजोरी भी बन रही है वजह दरअसल राज्य में विधानसभा चुनाव को लेकर झामुमो ने स्पष्ट कर दिया है कि चीफ मिनिस्टीरियल कैंडिडेट झामुमो के कार्यवाहक अध्यक्ष हेमंत सोरेन होंगे. वहीं राजद और झाविमो के खेमे में अभी भी इस बात को लेकर स्वीकार्यता पूरी तरह नहीं बनी है. रही बात राजनीतिक ताकत की तो झारखंड विधानसभा में झाविमो के दोनों विधायकों ने फिलहाल पार्टी से भी दूरी बना रखी है. वहीं, राजद का एक भी विधायक झारखंड विधानसभा में नहीं है.

क्यों बढ़ रही है कांग्रेस और झामुमो की नजदीकियां ?
प्रदेश में कांग्रेस और झामुमो की नज़दीकियों की एक वाजिब वजह है. झामुमो का प्रभाव संथाल और कोल्हान इलाके में अधिक है. वहीं कांग्रेस राज्य के अन्य तीन प्रमंडल दक्षिणी छोटानागपुर, उत्तरी छोटानागपुर और पलामू प्रमंडल में अधिक सक्रिय है. यही वजह है कि दोनों दल एक दूसरे के साथ मिलकर चुनाव लड़ना चाहते हैं.

क्या कहते हैं पार्टी नेता ?
हालांकि इस बाबत पूछे जाने पर झाविमो सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी ने कहा कि चर्चाएं बहुत होती हैं और कार्यकर्ताओं की बातें अक्सर पार्टी फोरम पर आती हैं. इसे अभी फिलहाल सही नहीं माना जा सकता. वहीं, झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मीडिया प्रभारी राजेश ठाकुर ने स्पष्ट किया कि ऐसी कोई बात नहीं है. उन्होंने कहा कि महागठबंधन पूरी तरह से इंटैक्ट है. आगामी विधानसभा चुनाव में नेतृत्व को लेकर अगर किसी दल को कोई समस्या होगी तो फिर उसे देखा जाएगा.

रांची: प्रदेश के विपक्षी दलों के महागठबंधन में नया समीकरण तैयार हो रहा है. इस नए समीकरण में झारखंड विकास मोर्चा और राष्ट्रीय जनता दल किनारे किए जा सकते हैं. इसको लेकर झामुमो और कांग्रेस के खेमे में मंथन का दौर जारी है. सूत्रों पर यकीन करें तो आगामी विधानसभा चुनाव में विपक्षी दलों के महागठबंधन से राजद और झाविमो को आउट कर वाम दलों को शामिल किया जा सकता है.

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हालांकि इसे लेकर अभी तक किसी तरह की औपचारिक बैठक नहीं हुई है. लेकिन अंदरखाने इस समीकरण पर गंभीरतापूर्वक चर्चा हो रही है. दरअसल, लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा के अंदर यह बात साफ हो गई कि झाविमो और राजद अब झारखंड में बहुत ज्यादा राजनीतिक प्रभाव नहीं बना सकते हैं.

इस बात को तब और बल मिला जब लोकसभा चुनाव में महागठबंधन के उम्मीदवारों को झाविमो और राजद अपना वोट शिफ्ट नहीं करा पाए. लंबे दावों के बाद राजद के स्टार प्रचारक न तो चतरा संसदीय इलाके में अपना इंपैक्ट दिखा पाए और न झाविमो कोडरमा और गोड्डा में अपनी शक्ति प्रदर्शित कर पाया. इसी के बाद झामुमो और कांग्रेस की नजदीकियां बढ़ी है और आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर इस स्ट्रेटजी बन रही है.

ये भी पढ़ें- रांचीः सुधा डेयरी प्लांट में हादसा, पैन ब्लास्ट होने से दो मजदूर घायल

राजद की टूट और झाविमो की कमजोरी भी बन रही है वजह दरअसल राज्य में विधानसभा चुनाव को लेकर झामुमो ने स्पष्ट कर दिया है कि चीफ मिनिस्टीरियल कैंडिडेट झामुमो के कार्यवाहक अध्यक्ष हेमंत सोरेन होंगे. वहीं राजद और झाविमो के खेमे में अभी भी इस बात को लेकर स्वीकार्यता पूरी तरह नहीं बनी है. रही बात राजनीतिक ताकत की तो झारखंड विधानसभा में झाविमो के दोनों विधायकों ने फिलहाल पार्टी से भी दूरी बना रखी है. वहीं, राजद का एक भी विधायक झारखंड विधानसभा में नहीं है.

क्यों बढ़ रही है कांग्रेस और झामुमो की नजदीकियां ?
प्रदेश में कांग्रेस और झामुमो की नज़दीकियों की एक वाजिब वजह है. झामुमो का प्रभाव संथाल और कोल्हान इलाके में अधिक है. वहीं कांग्रेस राज्य के अन्य तीन प्रमंडल दक्षिणी छोटानागपुर, उत्तरी छोटानागपुर और पलामू प्रमंडल में अधिक सक्रिय है. यही वजह है कि दोनों दल एक दूसरे के साथ मिलकर चुनाव लड़ना चाहते हैं.

क्या कहते हैं पार्टी नेता ?
हालांकि इस बाबत पूछे जाने पर झाविमो सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी ने कहा कि चर्चाएं बहुत होती हैं और कार्यकर्ताओं की बातें अक्सर पार्टी फोरम पर आती हैं. इसे अभी फिलहाल सही नहीं माना जा सकता. वहीं, झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मीडिया प्रभारी राजेश ठाकुर ने स्पष्ट किया कि ऐसी कोई बात नहीं है. उन्होंने कहा कि महागठबंधन पूरी तरह से इंटैक्ट है. आगामी विधानसभा चुनाव में नेतृत्व को लेकर अगर किसी दल को कोई समस्या होगी तो फिर उसे देखा जाएगा.

Intro:बाइट1- बाबूलाल मरांडी झाविमो सुप्रीमो
बाइट 2- राजेश ठाकुर मीडिया प्रभारी जेपीसीसी

रांची। प्रदेश के विपक्षी दलों के महागठबंधन में नया समीकरण तैयार हो रहा है। इस नए समीकरण में झारखंड विकास मोर्चा और राष्ट्रीय जनता दल किनारे किए जा सकते हैं। इसको लेकर झामुमो और कांग्रेस के खेमे में मंथन का दौर जारी है। सूत्रों का यकीन करें तो आगामी विधानसभा चुनाव में विपक्षी दलों के महागठबंधन से राजद और झाविमो को आउट कर लेफ्ट पार्टीज को एकोमोडेट किया जा सकता है। हालांकि इसको लेकर अभी तक किसी तरह की औपचारिक बैठक नहीं हुई है लेकिन अंदरखाने इस समीकरण पर गंभीरता पूर्वक चर्चा हो रही है।


Body:क्यों जरूरत पड़ी ऐसे समीकरण की
दरअसल लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा के अंदर यह बात साफ हो गई कि झाविमो और राजद अब झारखंड में बहुत ज्यादा राजनीतिक प्रभाव नहीं बना सकते हैं
इस बात को तब और बल मिला जब लोकसभा चुनाव में महागठबंधन के उम्मीदवारों को झाविमो और राजद अपना वोट शिफ्ट नहीं करा पाए। लंबे दावों के बाद राजद का स्टार प्रचारक ना तो चतरा संसदीय इलाके में अपना इंपैक्ट दिखा पाए और न झाविमो कोडरमा और गोड्डा में अपनी शक्ति प्रदर्शित कर पाया। इसी के बाद झामुमो और कांग्रेस की नजदीकियां बढ़ी है और आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर इस स्ट्रेटजी बन रही है।


Conclusion:
राजद की टूट और झाविमो की कमजोरी भी बन रही है वजह दरअसल राज्य में विधानसभा चुनाव को लेकर झामुमो ने स्पष्ट कर दिया है कि चीफ मिनिस्टीरियल कैंडिडेट झामुमो के कार्यवाहक अध्यक्ष हेमंत सोरेन होंगे। वहीं राजद और झाविमो के खेमे में अभी भी इस बात को लेकर स्वीकार्यता पूरी तरह नहीं बनी है। रही बात राजनीतिक ताकत की तो झारखंड विधानसभा में झाविमो के दोनों विधायको ने फिलहाल पार्टी से भी दूरी बना रखी है। वही राजद का एक भी विधायक झारखंड विधानसभा में नहीं है।

क्यों बढ़ रही है कांग्रेस और झामुमो की नज़दीकियां
प्रदेश में कांग्रेस और झामुमो की नज़दीकियों की एक वाजिब वजह है। दरअसल झामुमो का प्रभाव संथाल और कोल्हान इलाके में अधिक है। वहीं कांग्रेस राज्य के अन्य तीन प्रमंडल दक्षिणी छोटानागपुर, उत्तरी छोटानागपुर और पलामू प्रमंडल में अधिक सक्रिय है। यही वजह है कि दोनों दल एक दूसरे के साथ मिलकर चुनाव लड़ना चाहते हैं।

क्या कहते है पार्टी नेता
हालांकि इस बाबत पूछे जाने पर झाविमो सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी ने कहा कि चर्चाएं बहुत होती हैं और कार्यकर्ताओं की बातें अक्सर पार्टी फोरम पर आती हैं। इसे अभी फिलहाल सही नहीं माना जा सकता। वहीं झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मीडिया प्रभारी राजेश ठाकुर ने स्पष्ट किया कि ऐसी कोई बात नहीं है। उन्होंने कहा कि महागठबंधन पूरी तरह से इंटैक्ट है। आगामी विधानसभा चुनाव में नेतृत्व को लेकर अगर किसी दल को कोई समस्या होगी तो फिर उसे देखा जाएगा।
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