रांची: झारखंड की जनता को इमरजेंसी की स्थिति में इलाज कराने में कोई मुश्किल ना हो, इसके लिए 206 नए 108 एंबुलेंस की खरीददारी की गई. इसे खुद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने हरी झंडी दिखा कर राज्य की जनता के लिए रवाना किया था. लेकिन इनमें से कई एंबुलेंस जनता की सेवा के बजाए स्वास्थ्य मुख्यालय में ही पड़ी हुई हैं.
यह भी पढ़ें: रांची में जल्द खुलेगा एक और मेडिकल कॉलेज, प्रदेश को 206 एंबुलेंस की सौगात देते हुए सीएम हेमंत सोरेन ने किया एलान
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 05 जुलाई 2023 को नामकुम के स्वास्थ्य मुख्यालय से हरी झंडी दिखा कर 206 नए 108 एम्बुलेंस को जनता की सेवा में समर्पित किया था. उस समय एम्बुलेंस स्वास्थ्य मुख्यालय से बाहर भी निकला था. लेकिन फिर एंबुलेंस वापस लौट आया. आज की तारीख में भी कई एंबुलेंस बीमार जनता की सेवा की जगह स्वास्थ्य मुख्यालय पर ही पड़ा हुआ है.
50 करोड़ की लागत से एंबुलेंस की हुई थी खरीद: झारखंड में 2017 से ही 337 108 एंबुलेंस पहले से चलाए जा रहे थे. इनमें से ज्यादा एंबुलेंस पुराने पड़ चुके थे. ऐसे 206 नए एंबुलेंस की खरीद हुई. लेकिन पहले तो यह खरीद विवादों में पड़ गयी और मामला विधानसभा तक में उठा. वहीं फिर एंबुलेंस के संचालन को लेकर मामला फंस गया. उलझन ये था कि पहले से 108 का संचालन कर रही कंपनी द्वारा इसका संचालन किया जाएगा या नई एजेंसी को यह जिम्मा देना है, इस पर फैसला नहीं हो पा रहा था. बाद में जब नई एजेंसी का चयन हो गया. तब मामला नए एंबुलेंस के स्थायी निबंधन और ड्राइवर की कमी की वजह से एंबुलेंस मरीजों की सेवा करने की जगह नामकुम स्थित स्वास्थ्य मुख्यालय परिसर में पड़ा रहा.
क्या कहते हैं NHM के निदेशक: रांची के नामकुम स्थित स्वास्थ्य मुख्यालय में पड़े नए एंबुलेंस के सवाल के जवाब में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के झारखंड हेड आलोक त्रिवेदी कहते हैं कि पहले जिकित्सा 108 एंबुलेंस का संचालन करती थी, वहीं अब EVRI ग्रीन नाम की एजेंसी को एंबुलेंस संचालन का जिम्मा दिया गया है. NHM निदेशक ने कहा कि 16 अगस्त को सभी प्रक्रियाएं पूरी कर ली गयी हैं और अब एंबुलेंस अपने अपने गंतव्य पर चला जायेगा. NHM निदेशक ने कहा कि पहले से चल रही 337 और नई 206 यानी कुल मिलाकर 543 एंबुलेंस के परिचालन से राज्य के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिलेगी. अभी भी स्वास्थ्य मुख्यालय में बड़ी संख्या एंबुलेंस खड़ी पड़ी हैं. इस सवाल के जवाब में NHM निदेशक ने कहा कि ज्यादातर रांची जिले का एंबुलेंस अभी परिसर में है, जबकि 24 प्रोटोटाइप एंबुलेंस रखा गया है. उन्होंने कहा कि जब जरूरत पड़ेगी तो इसको भी सेवा में लगा दिया जाएगा.
सवाल यह भी: झारखंड स्वास्थ्य विभाग द्वारा मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री से लोकार्पण करा लेने के एक महीने बाद भी एंबुलेंस जनता की सेवा की जगह स्वास्थ्य मुख्यालय में पड़ी रही. नए एंबुलेंस के संचालन में देरी की वजह को लेकर अगर NHM निदेशक की बात सही भी हो, तो फिर यह सवाल उठता है कि क्या बिना पूरी तैयारी के मुख्यमंत्री से किसी भी योजना का लोकार्पण करा दिया जाता है. यह सवाल इसलिए भी जायज हैं क्योंकि कोरोना काल में भी मुख्यमंत्री से आयुष किट वितरण का शुभारंभ करा दिया गया था, लेकिन उस किट को जनता तक पहुंचने में महीनों लग गए थे. उम्मीद की जानी चाहिए कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के स्टेट हेड के बयान के अनुरूप ही सभी नए 206 एंबुलेंस जनता की सेवा में लगी दिखेगी, ताकि जरूरतमंदों को निशुल्क एंबुलेंस सेवा उपलब्ध हो सके.