रांची: झारखंड पुलिस का सूचना तंत्र सबसे बड़े नक्सली संगठन भाकपा माओवादियों के निशाने पर आ गया है. झारखंड के लोहरदगा, पश्चिमी सिंहभूम के चाईबासा, गिरिडीह, रांची समेत कई माओवादी प्रभाव वाले जिलों में लगातार ही पोस्टर चस्पा कर भाकपा माओवादियों ने पुलिस के लिए मुखबिरी करने वाले एसपीओ की हत्या का फरमान जारी किया है.
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सरकारी आंकड़ों से अलग है हत्या की वारदातों का दावा
राज्य पुलिस के सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, इस साल अब तक महज दो एसपीओ की हत्या हुई है. चाईबासा में सुंदर स्वरूप दास महतो और लोहरदगा के जागीर भगत को एसपीओ माना गया है. वहीं पुलिसिया आंकड़ों के मुताबिक, साल 2019 में एक भी एसपीओ की हत्या नहीं हुई, वहीं 2018 व 2017 में एक- एक एसपीओ की हत्या हुई है. वहीं साल 2020 में अब तक 24, साल 2019 में 23 और 2018 में 27 आमलोगों की नक्सलियों की ओर हत्या की गई है. सूत्रों का कहना है कि इन मृतकों में अधिकांश एसपीओ ही थे. नक्सलियों ने प्रत्येक साल एक दर्जन से अधिक हत्या मामले की वजह मुखबिरी कबूली है. इस साल भी एक दर्जन से अधिक ऐसे लोगों की हत्या हुई है, जिसमें नक्सलियों ने मुखबिर बता कर ही हत्या की है.लेकिन अधिकांश मामलों में एसपीओ की हत्या के बाद पुलिस उसे अपना गुप्तचर मानने से इंकार करती रही है.
बैंक खातों ने बढ़ाया खतरा
पुलिस के एसपीओ को पूर्व में कैश भुगतान होता था, यानी जिले के एसपी की ओर से सीधे भुगतान किया जाता था. इससे एसपीओ की गोपनीयता बनी रहती थी. अब स्थितियां बदल गईं हैं. पुलिस के आला अधिकारियों के मुताबिक, एसपीओ को अब खातों में पैसा मिलता है, जहां एसपीओ की पूरी डिटेल, केवाईसी तक की जानकारी दी जाती है. यही वजह है कि एसपीओ के नाम और सारी सूचनाएं लीक होने की आशंका बढ़ गई है. राज्य के कई जिलों के एसपी बैंक खाते के जरिए भुगतान पर आपत्ति भी जता चुके हैं.
अभियान में ले जाना भी लापरवाही
राज्य में एसपीओ के लिए काम करने वालों की गोपनीयता भंग होने की बड़ी वजह उन्हें अभियान में ले जाना भी रहा है. अभियान में ले जाने की वजह से एसपीओ की पहचान सार्वजनिक हो जा रही है. इस साल अभियान के दौरान एसपीओ सुंदर स्वरूप दास को नक्सलियों ने मुठभेड़ में मार गिराया था.
कब-कब एसपीओ बने निशाना
16 नवंबर को लोहरदगा के सेरेंगदाग में जागीर भगत की हत्या, कोयलशंख जोन ने पर्चा जारी कर मुखबिरी के आरोप में जागीर की हत्या की बात कबूली.
जून में चाईबासा के कराईकेला में अभियान के दौरान नक्सली लोडरो मुंडा के दस्ते ने पोड़ाहाट के तत्कालीन एसडीपीओ नाथू सिंह मीणा के बॉडीगार्ड लखींद्र मुंडा व एसपीओ सुंदर स्वरूप दास महतो को मार डाला था.
29 जून को तमाड़ के एदेलपीड़ी में देवन मुंडा हत्या हुई थी. देवन भी पुलिस के लिए एसपीओ का काम कर चुका था. हत्याकांड के बाद माओवादियों ने पुडीदीरी इलाके में पोस्टर चस्पा कर एसपीओ होने की वजह से हत्या करने की बात स्वीकारी थी.