रांचीः झारखंड में लंबे इंतजार के बाद पंचायत चुनाव की प्रक्रिया शुरू की गई है. झारखंड पुलिस ने शांतिपूर्वक पंचायत चुनाव करवाने को लेकर अपनी तैयारी शुरू कर दी है. लेकिन नक्सलियों ने पंचायत चुनाव का बहिष्कार करने का ऐलान किया है. नक्सलियों के इस ऐलान के बाद झारखंड पुलिस अलर्ट मोड में है और नक्सल प्रभावित इलाकों में ऑपरेशन चला रही है.
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नक्सलियों ने ग्रामीणों से अपील की है कि वह पंचायत चुनाव का बहिष्कार करें. लेकिन झारखंड पुलिस की कोशिश है कि लोकतंत्र के इस पर्व में ग्रामीण बढ़ चढ़कर हिस्सा लें. झारखंड पुलिस ने ग्रामीणों से अपील की है कि कोई भी ग्रामीण नक्सलियों से नहीं डरें. पुलिस की टीम प्रत्याशी और मतदाता के सुरक्षा के लिए मुस्तैद है. झारखंड पुलिस के प्रवक्ता सह आईजी अभियान अमोल वी होमकर ने बताया कि विधानसभा चुनाव, लोकसभा चुनाव और पंचायत चुनाव के दौरान नक्सलियों की ओर से बहिष्कार की घोषणा की जाती है. लेकिन हर बार पुलिस उनके मंसूबों को नाकामयाब कर देती है. इस बार के पंचायत चुनाव में भी नक्सलियों के मंसूबों पर पानी फेरने के लिए पुलिस पूरी तरह तैयार है.
आईजी अभियान अमोल वी होमकर ने बताया कि झारखंड में पिछले 3 वर्षों में नक्सलियों के खिलाफ लगातार अभियान चलाया गया, जिसमें पुलिस को सफलता मिली है. इस अभियान के दौरान कई बड़े नक्सली कमांडर मारे गए और कुछ नक्सली गिरफ्तार किए गए. इसके साथ ही कई नक्सलियों ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किये. उन्होंने कहा कि पुलिस के लगातार अभियान की वजह से नक्सली संगठनों में खलबली मची हुई है.
आईजी अभियान ने कहा कि पंचायत चुनाव को लेकर नक्सल प्रभावित इलाकों में अभियान चलाया जा रहा है. सीआरपीएफ जवान नक्सल प्रभावित इलाकों में कैंप कर सर्च ऑपरेशन चला रहे हैं. उन्होंने कहा कि जिन इलाकों में नक्सलियों की ओर से लैंडमाइंस बिछाए गए हैं. उन इलाकों को पूरी तहर सैनेटाइज किया जा रहा है.
भाकपा माओवादी संगठन के दक्षिणी जोन कमेटी के प्रवक्ता अशोक ने एक मई को प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि पंचायत चुनाव की डुगडुगी बज उठी है. इससे प्रत्याशियों के चेहरे पर खुशी की लहर है. पंचायत चुनाव कई बार हो चुके हैं. इससे मुखिया, सरपंच, पंचायत समिति सदस्य और जिला परिषद के सदस्यों की किस्मत बदल गई. लेकिन गरीब जनता को कुछ नहीं मिला. इस स्थिति में पंचायत चुनाव का कोई मतलब नहीं है. इसलिए इसका बहिष्कार जरूरी है.