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झारखंड में नक्सलियों को सबसे ज्यादा नुकसान, पुलिस का दावा- जल्द होगा लाल आतंक का THE END - झारखंड न्यूज

झारखंड में नक्सलियों को बहुत नुकसान झेलना पड़ा है. बड़े बड़े नक्सली कैडर या ता मारे गए हैं या फिर उन्होंने हथियार डाल दिए हैं. बुलबुल पहाड़ और बूढ़ा पहाड़ को पुलिस ने नक्सलमुक्त घोषित कर दिया है. पुलिस का दावा है कि जल्द ही झारखंड से नक्सलियों का खात्मा हो जाएगा.

Anti Naxal Campaign in Jharkhand
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Published : Jul 26, 2023, 10:03 PM IST

Updated : Jul 27, 2023, 7:04 PM IST

रांची: नक्सलियों के खिलाफ अभियान में पिछले दो सालों के दौरान झारखंड पुलिस ने जबरदस्त कामयाबी हासिल की है. पुलिस के इस दावे को अब नक्सली संगठन भी स्वीकार करने लगे हैं. माओवादियों के सेंट्रल कमेटी के द्वारा जारी किए गए पत्र में इस बात का जिक्र है कि भाकपा माओवादियों को सबसे ज्यादा नुकसान झारखंड में उठाना पड़ा है.

ये भी पढ़ें- झारखंड में अपनी खोई जमीन फिर से पाने की कोशिश में नक्सली, गोरिल्ला वार तेज करने का आह्वान, जानिए और क्या है प्लान

पत्र में जारी किया गया है मृत कैडरों के आंकड़े: माओवादियों के सेंट्रल कमेटी के द्वारा शहीद सप्ताह को लेकर एक लंबा चौड़ा पत्र जारी किया गया है. 23 पन्नों के उस पत्र में पिछले एक साल के दौरान जिन जिन नक्सलियों की मौत एनकाउंटर में हुई है या फिर बीमारी से सभी की जानकारी साझा की गई है. सेंट्रल कमेटी के पत्र में स्पष्ट लिखा गया है कि उन्हें सामरिक रूप से सबसे ज्यादा नुकसान झारखंड में हुआ है.

पत्र में इस बात का जिक्र है कि सबसे ज्यादा जान का नुकसान दण्डकारण्य में हुआ है. एक साल के भीतर देशभर में कुल 120 के करीब कैडर मारे गए हैं. जिसमें झारखंड में 14, तेलंगाना में 09, दंडकारण्य में 58, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ स्पेशल जोन में पांच, आंध्र प्रदेश-ओडिशा सीमा पर 3, ओडिशा में 09 आंध्र प्रदेश में 01, पश्चिमी घाटियों में एक और पश्चिम बंगाल में एक कैडर शामिल हैं. नक्सलियों के पत्र में एक चौंकाने वाली जानकारी भी दी गई है पत्र के अनुसार सबसे ज्यादा शहीद होने वाली महिला कॉमरेड हैं इनकी संख्या 28 है.

Anti Naxal Campaign in Jharkhand
नक्सलियों पर अटैक


झारखंड सामरिक रूप से महत्वपूर्ण था: नक्सलियों के पत्र में इस बात का भी जिक्र है कि झारखंड-बिहार सामरिक रूप से उनके लिए बेहद महत्वपूर्ण था. छत्तीसगढ़, ओडिशा, पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों से सीमाएं सटने की वजह से कॉमरेडों को आंदोलन में सहूलियत होती थी. हालांकि नक्सलियों के द्वारा यह बताया गया है कि पुलिस ने उनके साथियों को छल पूर्वक मारा है. भाकपा माओवादियों के अनुसार झारखंड में एक वर्ष के भीतर उनके 300 से ज्यादा कमांडर, कैडर और समर्थकों को जेल में भी डाला गया है.

Anti Naxal Campaign in Jharkhand
बड़े नक्सलियों की गिरफ्तारी


गरुण कमांडो और हवाई हमले के इस्तेमाल का आरोप: माओवादियों ने पुलिस पर यह आरोप लगाया है कि दण्डकारण्य स्पेशल जोन के गढ़चिरौली डिवीजन में एक कार्बेट ऑपरेशन के दौरान कई वरिष्ठ कॉमरेडों को सुरक्षा बलों के द्वारा मार डाला गया. आरोप यह भी है कि बस्तर इलाके में हमारे खिलाफ लड़ाई के लिए ड्रोन और हेलीकॉप्टर के जरिए हमले किए जा रहे हैं, यहां तक कि गरुड़ कमांडो का भी इस्तेमाल हो रहा है. पत्र में इस बात का भी जिक्र है कि माओवादी कैडरों ने बस्तर में सुरक्षा बलों का जमकर मुकाबला किया है. इस मुकाबले में सुरक्षाबलों के दो हेलीकॉप्टर को नुकसान पहुंचाया गया जबकि पुलिस के 6 कमांडो भी मारे गए. बस्तर इलाके में कब-कब पुलिस पर हमला हुआ इसकी पूरी जानकारी भी माओवादियों के पत्र में दिया गया है.

Anti Naxal Campaign in Jharkhand
बड़े नक्सलियों का सरेंडर


सबसे ज्यादा गिरफ्तारी से हुआ नुकसान: पिछले एक साल में झारखंड में पांच इनामी नक्सलियों सहित एक दर्जन नक्सली कमांडर एनकाउंटर में मारे जा चुके हैं, लेकिन सबसे ज्यादा नुकसान बड़े कैडरों की गिरफ्तारी और उनके सरेंडर करने से हुआ है. संगठन ने सरेंडर करने वाले को गद्दार घोषित कर रखा है. झारखंड पुलिस मुख्यालय से मिले आंकड़ों के अनुसार साल 2020 से लेकर 2023 के जून महीने तक कुल 1390 नक्सली गिरफ्तार हुए. इनमें कई बड़े नाम भी शामिल हैं, जिनकी गिरफ्तारी से संगठन को बड़ा झटका लगा. बड़े नक्सलियों को टारगेट कर अभियान चलाने की शुरुआत 2020 से शुरू हुई थी. इस दौरान कई बड़े और इनामी नक्सली गिरफ्तार किए गए. वही दूसरी तरफ माओवादियों से बूढ़ापहाड़, बुलबुल छिनने के बाद, पुलिस और केंद्रीय बलों ने चाईबासा, सरायकेला और खूंटी के ट्राइजंक्शन पर एक करोड़ के माओवादी पतिराम मांझी के दस्ते को खदेड़ने में कामयाबी पाई थी.

Anti Naxal Campaign in Jharkhand
बूढ़ा पहाड़ के कमांडर


अरविंद जी की मौत के बाद स्थिति हुई खराब: पुलिस के द्वारा की गई तबाड़तोड़ कर्रवाई की वजह से झारखंड के सबसे बड़े नक्सली संगठन भाकपा माओवादियों को अब उनके प्रभाव वाले इलाकों में ही बिखरने पर मजबूर कर दिया है. झारखंड में भाकपा माओवादियों के प्रभाव का बड़ा इलाका नेतृत्वविहीन हो गया है. झारखंड, छतीसगढ़ और बिहार तक बिस्तार वाला बूढ़ापहाड़ का इलाका माओवादियों के सुरक्षित गढ़ के तौर पर जाना जाता था, लेकिन अब बूढ़ापहाड़ के इलाके में पड़ने वाले पलामू, गढ़वा, लातेहार से लेकर लोहरदगा तक के इलाके में माओवादियों के लिए नेतृत्व का संकट हो गया है.

ये भी पढ़ें- बूढ़ा पहाड़ से निकल कर भागे नक्सलियों ने यहां बनाया अपना नया ठिकाना, सुरक्षा बलों के सामने कई चुनौतियां

गौरतलब है कि साल 2018 के पूर्व सीसी मेंबर देवकुमार सिंह उर्फ अरविंद जी बूढ़ापहाड़ इलाके का प्रमुख था. देवकुमार सिंह की बीमारी से मौत के बाद तेलगांना के सुधाकरण को यहां का प्रमुख बनाया गया था, लेकिन साल 2019 में तेलंगाना पुलिस के समक्ष सुधाकरण ने सरेंडर कर दिया था. इसके बाद बूढ़ा इलाके की कमान विमल यादव को दी गई थी. विमल यादव ने फरवरी 2020 तक बूढ़ापहाड़ के इलाके को संभाला, इसके बाद बिहार के जेल से छूटने के बाद मिथलेश महतो को बूढ़ापहाड़ भेजा गया था. तब से वह ही यहां का प्रमुख था, लेकिन मिथिलेश को भी बिहार में गिरफ्तार कर लिया गया नतीजा अब सिर्फ और सिर्फ कोल्हान इलाके में ही नक्सलियों का शीर्ष नेतृत्व बचा हुआ है.


क्या है पुलिस का कहना: झारखंड पुलिस के आईजी अभियान जिनके कार्यकाल में झारखंड में नक्सलियों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा है, वे नक्सलियों के पत्र को लेकर ज्यादा आश्चर्य में नहीं है. झारखंड पुलिस के आईजी ऑपरेशन होमकर के अनुसार झारखंड में चाईबासा को छोड़ पूरे राज्य में नक्सलियों का अस्तित्व ना के बराबर है. चाईबासा में भी नक्सलियों के सफाए के लिए अभियान चल रहा है. आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली और नक्सली के द्वारा जारी किए गए प्रेस रिलीज में इस बात का साफ साफ जिक्र है कि उन्हें सबसे ज्यादा नुकसान झारखंड में झेलना पड़ा है.

ये भी पढ़ें- अर्थतंत्र पर प्रहार से बौखलाहट में झारखंड के नक्सली, रविंद्र और छोटू खेरवार के खिलाफ होगा बड़ा अभियान

रांची: नक्सलियों के खिलाफ अभियान में पिछले दो सालों के दौरान झारखंड पुलिस ने जबरदस्त कामयाबी हासिल की है. पुलिस के इस दावे को अब नक्सली संगठन भी स्वीकार करने लगे हैं. माओवादियों के सेंट्रल कमेटी के द्वारा जारी किए गए पत्र में इस बात का जिक्र है कि भाकपा माओवादियों को सबसे ज्यादा नुकसान झारखंड में उठाना पड़ा है.

ये भी पढ़ें- झारखंड में अपनी खोई जमीन फिर से पाने की कोशिश में नक्सली, गोरिल्ला वार तेज करने का आह्वान, जानिए और क्या है प्लान

पत्र में जारी किया गया है मृत कैडरों के आंकड़े: माओवादियों के सेंट्रल कमेटी के द्वारा शहीद सप्ताह को लेकर एक लंबा चौड़ा पत्र जारी किया गया है. 23 पन्नों के उस पत्र में पिछले एक साल के दौरान जिन जिन नक्सलियों की मौत एनकाउंटर में हुई है या फिर बीमारी से सभी की जानकारी साझा की गई है. सेंट्रल कमेटी के पत्र में स्पष्ट लिखा गया है कि उन्हें सामरिक रूप से सबसे ज्यादा नुकसान झारखंड में हुआ है.

पत्र में इस बात का जिक्र है कि सबसे ज्यादा जान का नुकसान दण्डकारण्य में हुआ है. एक साल के भीतर देशभर में कुल 120 के करीब कैडर मारे गए हैं. जिसमें झारखंड में 14, तेलंगाना में 09, दंडकारण्य में 58, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ स्पेशल जोन में पांच, आंध्र प्रदेश-ओडिशा सीमा पर 3, ओडिशा में 09 आंध्र प्रदेश में 01, पश्चिमी घाटियों में एक और पश्चिम बंगाल में एक कैडर शामिल हैं. नक्सलियों के पत्र में एक चौंकाने वाली जानकारी भी दी गई है पत्र के अनुसार सबसे ज्यादा शहीद होने वाली महिला कॉमरेड हैं इनकी संख्या 28 है.

Anti Naxal Campaign in Jharkhand
नक्सलियों पर अटैक


झारखंड सामरिक रूप से महत्वपूर्ण था: नक्सलियों के पत्र में इस बात का भी जिक्र है कि झारखंड-बिहार सामरिक रूप से उनके लिए बेहद महत्वपूर्ण था. छत्तीसगढ़, ओडिशा, पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों से सीमाएं सटने की वजह से कॉमरेडों को आंदोलन में सहूलियत होती थी. हालांकि नक्सलियों के द्वारा यह बताया गया है कि पुलिस ने उनके साथियों को छल पूर्वक मारा है. भाकपा माओवादियों के अनुसार झारखंड में एक वर्ष के भीतर उनके 300 से ज्यादा कमांडर, कैडर और समर्थकों को जेल में भी डाला गया है.

Anti Naxal Campaign in Jharkhand
बड़े नक्सलियों की गिरफ्तारी


गरुण कमांडो और हवाई हमले के इस्तेमाल का आरोप: माओवादियों ने पुलिस पर यह आरोप लगाया है कि दण्डकारण्य स्पेशल जोन के गढ़चिरौली डिवीजन में एक कार्बेट ऑपरेशन के दौरान कई वरिष्ठ कॉमरेडों को सुरक्षा बलों के द्वारा मार डाला गया. आरोप यह भी है कि बस्तर इलाके में हमारे खिलाफ लड़ाई के लिए ड्रोन और हेलीकॉप्टर के जरिए हमले किए जा रहे हैं, यहां तक कि गरुड़ कमांडो का भी इस्तेमाल हो रहा है. पत्र में इस बात का भी जिक्र है कि माओवादी कैडरों ने बस्तर में सुरक्षा बलों का जमकर मुकाबला किया है. इस मुकाबले में सुरक्षाबलों के दो हेलीकॉप्टर को नुकसान पहुंचाया गया जबकि पुलिस के 6 कमांडो भी मारे गए. बस्तर इलाके में कब-कब पुलिस पर हमला हुआ इसकी पूरी जानकारी भी माओवादियों के पत्र में दिया गया है.

Anti Naxal Campaign in Jharkhand
बड़े नक्सलियों का सरेंडर


सबसे ज्यादा गिरफ्तारी से हुआ नुकसान: पिछले एक साल में झारखंड में पांच इनामी नक्सलियों सहित एक दर्जन नक्सली कमांडर एनकाउंटर में मारे जा चुके हैं, लेकिन सबसे ज्यादा नुकसान बड़े कैडरों की गिरफ्तारी और उनके सरेंडर करने से हुआ है. संगठन ने सरेंडर करने वाले को गद्दार घोषित कर रखा है. झारखंड पुलिस मुख्यालय से मिले आंकड़ों के अनुसार साल 2020 से लेकर 2023 के जून महीने तक कुल 1390 नक्सली गिरफ्तार हुए. इनमें कई बड़े नाम भी शामिल हैं, जिनकी गिरफ्तारी से संगठन को बड़ा झटका लगा. बड़े नक्सलियों को टारगेट कर अभियान चलाने की शुरुआत 2020 से शुरू हुई थी. इस दौरान कई बड़े और इनामी नक्सली गिरफ्तार किए गए. वही दूसरी तरफ माओवादियों से बूढ़ापहाड़, बुलबुल छिनने के बाद, पुलिस और केंद्रीय बलों ने चाईबासा, सरायकेला और खूंटी के ट्राइजंक्शन पर एक करोड़ के माओवादी पतिराम मांझी के दस्ते को खदेड़ने में कामयाबी पाई थी.

Anti Naxal Campaign in Jharkhand
बूढ़ा पहाड़ के कमांडर


अरविंद जी की मौत के बाद स्थिति हुई खराब: पुलिस के द्वारा की गई तबाड़तोड़ कर्रवाई की वजह से झारखंड के सबसे बड़े नक्सली संगठन भाकपा माओवादियों को अब उनके प्रभाव वाले इलाकों में ही बिखरने पर मजबूर कर दिया है. झारखंड में भाकपा माओवादियों के प्रभाव का बड़ा इलाका नेतृत्वविहीन हो गया है. झारखंड, छतीसगढ़ और बिहार तक बिस्तार वाला बूढ़ापहाड़ का इलाका माओवादियों के सुरक्षित गढ़ के तौर पर जाना जाता था, लेकिन अब बूढ़ापहाड़ के इलाके में पड़ने वाले पलामू, गढ़वा, लातेहार से लेकर लोहरदगा तक के इलाके में माओवादियों के लिए नेतृत्व का संकट हो गया है.

ये भी पढ़ें- बूढ़ा पहाड़ से निकल कर भागे नक्सलियों ने यहां बनाया अपना नया ठिकाना, सुरक्षा बलों के सामने कई चुनौतियां

गौरतलब है कि साल 2018 के पूर्व सीसी मेंबर देवकुमार सिंह उर्फ अरविंद जी बूढ़ापहाड़ इलाके का प्रमुख था. देवकुमार सिंह की बीमारी से मौत के बाद तेलगांना के सुधाकरण को यहां का प्रमुख बनाया गया था, लेकिन साल 2019 में तेलंगाना पुलिस के समक्ष सुधाकरण ने सरेंडर कर दिया था. इसके बाद बूढ़ा इलाके की कमान विमल यादव को दी गई थी. विमल यादव ने फरवरी 2020 तक बूढ़ापहाड़ के इलाके को संभाला, इसके बाद बिहार के जेल से छूटने के बाद मिथलेश महतो को बूढ़ापहाड़ भेजा गया था. तब से वह ही यहां का प्रमुख था, लेकिन मिथिलेश को भी बिहार में गिरफ्तार कर लिया गया नतीजा अब सिर्फ और सिर्फ कोल्हान इलाके में ही नक्सलियों का शीर्ष नेतृत्व बचा हुआ है.


क्या है पुलिस का कहना: झारखंड पुलिस के आईजी अभियान जिनके कार्यकाल में झारखंड में नक्सलियों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा है, वे नक्सलियों के पत्र को लेकर ज्यादा आश्चर्य में नहीं है. झारखंड पुलिस के आईजी ऑपरेशन होमकर के अनुसार झारखंड में चाईबासा को छोड़ पूरे राज्य में नक्सलियों का अस्तित्व ना के बराबर है. चाईबासा में भी नक्सलियों के सफाए के लिए अभियान चल रहा है. आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली और नक्सली के द्वारा जारी किए गए प्रेस रिलीज में इस बात का साफ साफ जिक्र है कि उन्हें सबसे ज्यादा नुकसान झारखंड में झेलना पड़ा है.

ये भी पढ़ें- अर्थतंत्र पर प्रहार से बौखलाहट में झारखंड के नक्सली, रविंद्र और छोटू खेरवार के खिलाफ होगा बड़ा अभियान

Last Updated : Jul 27, 2023, 7:04 PM IST
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