रांची: झारखंड सरकार की आत्मसमर्पण एवं पुर्नवास नीति 'नई दिशा एक नई पहल' के तहत खूंटी जिले का कुख्यात 5 लाख का इनामी नक्सली सब जोनल कमांडर बोयदा पाहन ने अपने हथियार और तीन साथियों के साथ आत्मसमर्पण किया है.
पुनर्वास नीति का मिलेगा लाभ
काली वर्दी, दुबला पतला शरीर और साधारण कद काठी वाला यह शख्स कोई साधारण व्यक्ति नहीं बल्कि 5 लाख का इनामी नक्सली सब जोनल कमांडर बोयदा पाहन है. जिसकी पुलिस को लंबे समय से तलाश थी. उसके खिलाफ विभिन्न थानों में 48 मामले दर्ज हैं. सब जोनल कमांडर बोयदा पाहन ने अपने तीन साथियों के साथ करवाइन, कारतूस, पिस्तौल और दो गन भी पुलिस को सौंपा है. मामले में जानकारी देते हुए डीआईजी अखिलेश झा ने बताया कि माओवादी विचारधारा से दिग्भ्रमित होकर इन लोगों ने नक्सली दस्ता ज्वाइन किया था लेकिन पुलिस की बढ़ती तपिश और सरकार की पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर आत्मसमर्पण किया है. वहीं डीआईजी अखिलेश झा ने अन्य बचे नक्सलियों से भी पुनर्वास नीति के तहत सरेंडर करने की अपील की है और जो भी भटके हैं उन्हें सख्त लहजे से चेतावनी भी दी है. मामले को लेकर रांची के उपायुक्त छवि रंजन ने कहा कि आत्मसमर्पण करने वाले सभी माओवादी को सरकार की पुनर्वास नीति के तहत लाभ दिया जाएगा. उन्होंने बताया कि सभी नक्सलियों के बच्चों को मुफ्त शिक्षा एवं स्वस्थ्य सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी साथ सरकारी योजनाओं से आच्छादित किया जाएगा.
महिलाओं का शोषण नहीं
सरकार की आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति नई दिशा एक नई पहल के तहत आत्मसमर्पण करने वाले सब जोनल कमांडर बोयदा पहान ने कहा कि सरकार के आत्मसमर्पण नीति से वह प्रभावित हुए हैं और उन्होंने अपने साथियों के साथ सरेंडर किया है. बोयदा पहान ने बताते हुए कहा कि 2009 में वह कुंदन पाहन के दस्ते में शामिल हुए थे, लेकिन अब संगठन अपनी विचारधारा से भटक गया है. वहीं उन्होंने बताया कि संगठन में महिलाओं को कई तरह का प्रलोभन देकर शामिल किया जाता है लेकिन महिलाओं के शोषण की बात से इनकार किया.
सरेंडर के तौर-तरीके पर सवाल!
झारखंड में नई सरकार के गठन के बाद राजधानी रांची में माओवादियों का यह पहला आत्मसमर्पण है. इसमें कोई शक नहीं है कि किसी जमाने में बोयदा पहान खूंटी और रांची के सीमावर्ती इलाकों में आतंक का पर्याय था. डीआईजी भी कह चुके हैं कि उस पर कई मामले दर्ज हैं लेकिन यह भी सच है कि वह संगठन से अलग-थलग पड़ चुका था. संगठन में उसकी कोई भूमिका नहीं थी. एक तरह से वह लाचार स्थिति में था. लिहाजा सवाल उठ रहे हैं कि सरेंडर के वक्त बोयदा पाहन के पास साफ सुथरा चमकता हुआ माओवादी ड्रेस कहां से आ गया. उसके पास टोपी कहां से आ गई? क्या पुलिस के पास कोई पुरानी ऐसी तस्वीर है जिसमें वह नक्सली ड्रेस में दिखा हो. एक और बड़ा सवाल है कि बोयदा के हाथ में ड्रिप लगा हुआ है, जिसके जरिए मरीज को या तो पानी चढ़ाया जाता है या इंजेक्शन दिया जाता है. इसका मतलब यह माना जाए कि बोयदा पाहन कहीं इलाज करा रहा था और एकदम से उठकर आ गया सरेंडर करने.
बोयदा पाहन खूंटी जिला के सायको थाना क्षेत्र का रहने वाला है. 1 फरवरी 2020 को बोयदा पाहन के दस्ते का कुख्यात नक्सली बिरसा मुंडा उर्फ नैना और बिरसा बिरहोर को अनगड़ा के एक नर्सिंग होम से गिरफ्तार किया गया था. पिछले विधानसभा चुनाव से पहले अक्टूबर 2019 को भी खूंटी पुलिस ने बोयदा पाहन दस्ते के तीन नक्सलियों को मारंगहरदा थाना क्षेत्र के तिलमा गांव से गिरफ्तार किया था. बोयदा पाहन खूंटी और रांची पुलिस के लिए सिरदर्द बना हुआ था. उसके दस्ते से कई बार पुलिस की मुठभेड़ भी हुई थी.