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Naxal bandh in Jharkhand: झारखंड समेत चार राज्यों में नक्सली बंद, पुलिस अलर्ट - झारखंड पुलिस

भाकपा माओवादी कामरेड कंचन दा की गिरफ्तारी के विरोध में नक्सलियों ने आज 4 राज्यों में बंद बुलाया है. बंद को लेकर झारखंड पुलिस अलर्ट पर है.

Naxal bandh in Jharkhand
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Published : Apr 5, 2022, 7:31 AM IST

रांचीः भाकपा माओवादियों के केंद्रीय कमेटी और पूर्वी रीजनल ब्यूरो के सदस्य कामरेड अरुण कुमार भट्टाचार्य उर्फ कबीर उर्फ कंचन दा की गिरफ्तारी के विरोध में नक्सलियों ने आज बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और असम बंद का बुलाया है. भाकपा माओवादियों के सेंट्रल कमेटी के प्रवक्ता अभय और संकेत ने बंद को लेकर पत्र भी जारी किया है. बंद को देखते हुए झारखंड पुलिस हाई अलर्ट मोड पर है.

ये भी पढ़ेंः Naxal Bandh In Jharkhand: नक्सलियों के चार राज्य के बंद को लेकर झारखंड पुलिस अलर्ट


सुरक्षा कड़ी, अलर्ट पर पुलिसः झारखंड पुलिस के आईजी अभियान अमोल होमकर के अनुसार नक्सली बंद को लेकर रेलवे और झारखंड पुलिस सर्तक हो गयी है. झारखंड पुलिस मुख्यालय के द्वारा सभी जिलों के एसपी को सर्तकता के लिए दिशा-निर्देश दिया गया है. पुलिस मुख्यालय ने जिला के सभी एसपी को अलर्ट रहने और अति संवेदनशील क्षेत्रों में गश्ती बढ़ाने का निर्देश दिया है. इस निर्देश के बाद जिलों के एसपी ने सभी जवानों को चौकस रहने और अति संवेदनशील इलाकों में दिनभर गश्ती तेज करने का निर्देश दिया है.

नक्सली बंद के दौरान उनका मुख्य फोकस नक्सलियों के वैसे इलाके हैं, जहां उनकी सक्रियता है. इनमें पारसनाथ, झुमरा, रांची के नक्सल प्रभावित क्षेत्र लातेहार, गढ़वा, पलामू कोल्हान, सरायकेला, गुमला जैसे जिलों पर विशेष ध्यान रखा जा रहा है.

रेल रूट पर विशेष ध्यानः साल 2022 में नक्सलियों के द्वारा पूर्व में बुलाए गए बंद के दौरान रेलवे ट्रैक को निशाना बनाया गया था. जिसे देखते हुए पुलिस मुख्यालय ने रेलवे ट्रैक की सुरक्षा को लेकर विशेष रणनीति बनाई है. रेलवे ट्रैक्स की निगरानी के लिए रेल पुलिस के साथ केंद्रीय बल भी सहयोग कर रहे हैं. आईजी अभियान के अनुसार झारखंड में कई स्थानों पर नक्सलियों के खिलाफ बड़ा अभियान चल रहा है. बंद को देखते हुए इन अभियानों को और तेज कर दिया गया है, खासकर वैसे इलाके जहां नक्सलियों का मूवमेंट है उस इलाके में पुलिस की गतिविधि में तेजी दिख रही है.

क्या है पत्र मेंः माओवादियों ने अपने पत्र में लिखा है कि उनके नेता कामरेड कंचन दा के साथ पुलिस अमानवीय व्यवहार कर रही है. हिरासत में पूछताछ के नाम पर मानसिक यातना, शारीरिक दुर्बलता के बावजूद बेहतर इलाज के लिए समुचित व्यवस्था नहीं दी जा रही है. संगठन यह मांग करता है कि उनका उचित इलाज करवाया जाए. साथ ही उन्हें राजनीतिक बंदी का दर्जा देकर बिना शर्त रिहा किया जाए.

कौन है कंचन दाः भाकपा माओवादियों के शीर्ष नेतृत्वकर्ताओं में शामिल कामरेड कंचन दा को झारखंड पुलिस की निशानदेही पर असम से इसी महीने गिरफ्तार किया गया था. वह मुलत: पश्चिम बंगाल के हावड़ा जिले के शिवपुर, शालीमार रोड का रहने वाला है. साल 2004 तक अरूण कुमार भट्टाचार्या उर्फ कबीर उर्फ कंचन उर्फ कंचन दा को सैक सदस्य से सेंट्रल कमिटी सदस्य के तौर पर प्रोन्नति दी गई थी. साल 2019 तक सारंडा इलाके में रह कर कंचन ने कैडरों को जोड़ने का काम किया था. वह पार्टी की विचारधारा से लोगों को जोड़ने का काम करता था. बीते दो सालों से असम और नार्थ ईस्ट रीजन का प्रभारी बनाया गया था. बंगाल, असम के साथ साथ वह झारखंड और बिहार में भी काफी प्रभावी रहा था.


कई सालों तक सारंडा में रहा सक्रियः कंचन दा भाकपा माओवादियों का काफी गुप्त चेहरा रहा था. पुलिस को कंचन के बारे में सिर्फ इतनी ही जानकारी मिली थी कि वह माओवादी संगठन का बड़ा रणनीतिकार है. पार्टी में नए कैडरों को कैसे जोड़ा जाए, माओवादी पार्टी की दशा- दिशा क्या होगी, इन नीतिगत चीजों में रंजीत की दखल थी. सारंडा में प्रशांत बोस के साथ रंजीत की काफी अच्छी पैठ थी.

रांचीः भाकपा माओवादियों के केंद्रीय कमेटी और पूर्वी रीजनल ब्यूरो के सदस्य कामरेड अरुण कुमार भट्टाचार्य उर्फ कबीर उर्फ कंचन दा की गिरफ्तारी के विरोध में नक्सलियों ने आज बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और असम बंद का बुलाया है. भाकपा माओवादियों के सेंट्रल कमेटी के प्रवक्ता अभय और संकेत ने बंद को लेकर पत्र भी जारी किया है. बंद को देखते हुए झारखंड पुलिस हाई अलर्ट मोड पर है.

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सुरक्षा कड़ी, अलर्ट पर पुलिसः झारखंड पुलिस के आईजी अभियान अमोल होमकर के अनुसार नक्सली बंद को लेकर रेलवे और झारखंड पुलिस सर्तक हो गयी है. झारखंड पुलिस मुख्यालय के द्वारा सभी जिलों के एसपी को सर्तकता के लिए दिशा-निर्देश दिया गया है. पुलिस मुख्यालय ने जिला के सभी एसपी को अलर्ट रहने और अति संवेदनशील क्षेत्रों में गश्ती बढ़ाने का निर्देश दिया है. इस निर्देश के बाद जिलों के एसपी ने सभी जवानों को चौकस रहने और अति संवेदनशील इलाकों में दिनभर गश्ती तेज करने का निर्देश दिया है.

नक्सली बंद के दौरान उनका मुख्य फोकस नक्सलियों के वैसे इलाके हैं, जहां उनकी सक्रियता है. इनमें पारसनाथ, झुमरा, रांची के नक्सल प्रभावित क्षेत्र लातेहार, गढ़वा, पलामू कोल्हान, सरायकेला, गुमला जैसे जिलों पर विशेष ध्यान रखा जा रहा है.

रेल रूट पर विशेष ध्यानः साल 2022 में नक्सलियों के द्वारा पूर्व में बुलाए गए बंद के दौरान रेलवे ट्रैक को निशाना बनाया गया था. जिसे देखते हुए पुलिस मुख्यालय ने रेलवे ट्रैक की सुरक्षा को लेकर विशेष रणनीति बनाई है. रेलवे ट्रैक्स की निगरानी के लिए रेल पुलिस के साथ केंद्रीय बल भी सहयोग कर रहे हैं. आईजी अभियान के अनुसार झारखंड में कई स्थानों पर नक्सलियों के खिलाफ बड़ा अभियान चल रहा है. बंद को देखते हुए इन अभियानों को और तेज कर दिया गया है, खासकर वैसे इलाके जहां नक्सलियों का मूवमेंट है उस इलाके में पुलिस की गतिविधि में तेजी दिख रही है.

क्या है पत्र मेंः माओवादियों ने अपने पत्र में लिखा है कि उनके नेता कामरेड कंचन दा के साथ पुलिस अमानवीय व्यवहार कर रही है. हिरासत में पूछताछ के नाम पर मानसिक यातना, शारीरिक दुर्बलता के बावजूद बेहतर इलाज के लिए समुचित व्यवस्था नहीं दी जा रही है. संगठन यह मांग करता है कि उनका उचित इलाज करवाया जाए. साथ ही उन्हें राजनीतिक बंदी का दर्जा देकर बिना शर्त रिहा किया जाए.

कौन है कंचन दाः भाकपा माओवादियों के शीर्ष नेतृत्वकर्ताओं में शामिल कामरेड कंचन दा को झारखंड पुलिस की निशानदेही पर असम से इसी महीने गिरफ्तार किया गया था. वह मुलत: पश्चिम बंगाल के हावड़ा जिले के शिवपुर, शालीमार रोड का रहने वाला है. साल 2004 तक अरूण कुमार भट्टाचार्या उर्फ कबीर उर्फ कंचन उर्फ कंचन दा को सैक सदस्य से सेंट्रल कमिटी सदस्य के तौर पर प्रोन्नति दी गई थी. साल 2019 तक सारंडा इलाके में रह कर कंचन ने कैडरों को जोड़ने का काम किया था. वह पार्टी की विचारधारा से लोगों को जोड़ने का काम करता था. बीते दो सालों से असम और नार्थ ईस्ट रीजन का प्रभारी बनाया गया था. बंगाल, असम के साथ साथ वह झारखंड और बिहार में भी काफी प्रभावी रहा था.


कई सालों तक सारंडा में रहा सक्रियः कंचन दा भाकपा माओवादियों का काफी गुप्त चेहरा रहा था. पुलिस को कंचन के बारे में सिर्फ इतनी ही जानकारी मिली थी कि वह माओवादी संगठन का बड़ा रणनीतिकार है. पार्टी में नए कैडरों को कैसे जोड़ा जाए, माओवादी पार्टी की दशा- दिशा क्या होगी, इन नीतिगत चीजों में रंजीत की दखल थी. सारंडा में प्रशांत बोस के साथ रंजीत की काफी अच्छी पैठ थी.

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