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Pitra visarjan amavasya: पितर लौट जाएंगे अपने लोक, ऐसे करें प्रसन्न, अगले दिन से शुरू होगी नवरात्रि पूजा - घट स्थापना का मुहूर्त

अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या यानी पितृ विसर्जन अमावस्या (Pitra visarjan amavasya) बुधवार छह अक्टूबर को है. इस दिन की पूजा के बाद पितर अपने लोक लौट जाएंगे. इसके अगले दिन से नवरात्रि पूजा 2021 (Navratri 2021 puja) शुरू होगी, जिसमें नौ दिन तक देश भर में मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा होगी.

Pitra Visarjan Amavasya
पितृ विसर्जन अमावस्या
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Published : Oct 5, 2021, 5:13 PM IST

Updated : Oct 5, 2021, 6:58 PM IST

रांचीः पितृ विसर्जन अमावस्या पर पितर अपने लोक लौट जाएंगे. हिंदू पंचांग के अनुसार अश्विन मास (क्वार माह) के कृष्ण पक्ष की अमावस्या यानी पितृ विसर्जन अमावस्या बुधवार 6 अक्टूबर को है. हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन पितृपक्ष का समापन होता है और पूर्वज अपने लोक चले जाते हैं.

पितरों को प्रसन्न करने के लिए ग्रंथों में सफेद फूल, सफेद चंदन, तिल और जौ से पूजा करने के विधान बताए गए हैं. साथ ही जल समर्पण की भी रीति है. इसके अगले दिन से नवरात्रि 2021 शुरू होगी, जिसमें देश भर में मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा होगी.

जानें पूरी खबर

ये भी पढ़ें-पितृ पक्ष में बेटियां भी तर्पण कर निभा रही हैं अपना धर्म, चार साल से पूर्वजों को दे रहीं जल

रांची के पंडित जितेंद्र महाराज का कहना है कि अश्विन अमावस्या (ashwin krishna amavashya) का हिंदू धर्म के मानने वालों के लिए बड़ा महत्व है. जितेंद्र महाराज का कहना है कि इस दिन पितृपक्ष समाप्त होता है और इसके बाद देवी-देवताओं का पूजन शुरू होता है.

जितेंद्र महाराज का कहना है कि धार्मिक ग्रंथों में जो विधान बताए गए हैं, उसके अनुसार अमावस्या के दिन पितरों को खुश करने के लिए सफेद फूल, सफेद चंदन, तिल और जौ से उनकी पूजा करनी चाहिए. साथ ही उन्हें याद कर जल समर्पण करना चाहिए. इससे पितृजन तृप्त होते हैं और जाते समय अपने पुत्र-पौत्रों और परिवार के अन्य सदस्यों को आशीर्वाद देते हैं.

ऐसे करें तर्पण

पंडित जितेंद्र महाराज ने कहा कि अश्विन अमावस्या के दिन जलाशय, नदी या कुंड में स्नान कर सूर्यदेव को अर्घ्य देना चाहिए, उसके बाद पितरों के निमित्त तर्पण करें. जितेंद्र महाराज ने बताया कि जिन लोगों को अपने पूर्वजों के श्राद्ध की तिथि याद नहीं है वैसे व्यक्ति भी इस दिन तर्पण कर सकते हैं.

जितेंद्र महाराज ने बताया कि इस दिन ब्राह्मणों को भोजन कराने का विधान है. यह दिन ज्ञात और अज्ञात पितरों के पूजन के लिए बड़ा महत्व रखता है. इसलिए इसे सर्व पितृ अमावस्या या महालय विसर्जन भी कहा जाता है.

सर्व पितृ अमावस्या 2021 का मुहूर्त

पुजारियों के मुताबिक सर्व पितृ अमावस्या 2021 की तिथि की शुरुआत 5 अक्टूबर 2021 को शाम 7.04 बजे होगी. जबकि यह तिथि अगले दिन छह अक्टूबर को शाम 4.34 बजे तक रहेगी. हिंदू धर्म में उदया तिथि की मान्यता है, इससे छह अक्टूबर को ही सर्व पितृ अमावस्या मनाई जाएगी.

अमावस्या के अगले दिन शुरू होगी नवरात्रि

पंडित जितेंद्र महाराज ने बताया कि अश्विन अमावस्या की समाप्ति के अगले दिन ही नवरात्रि प्रारंभ हो जाती है. इसमें मां दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा अगले नौ दिनों तक की जाती है.

आठ दिन की होगी नवरात्रि, ये है घट स्थापना का मुहूर्त

अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होने वाली नवरात्रि, महानवमी पर संपन्न होती है. इसके अगले दिन दशहरा मनाया जाता है. पुरोहितों के मुताबिक शारदीय नवरात्रि 7 अक्टूबर से शुरू होगी. तृतीया और चतुर्थी तिथि एक साथ पड़ रही है, इसके कारण इस बार नवरात्रि 8 दिन की ही होगी. नवरात्रि व्रत का समापन 14 अक्टूबर को होगा. इस बार कलश स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त केवल 50 मिनट का है. पंचांग के अनुसार घटस्थापना के लिए शुभ समय सुबह 06 बजकर 17 मिनट से सुबह 07 बजकर 07 मिनट तक ही है.

रांचीः पितृ विसर्जन अमावस्या पर पितर अपने लोक लौट जाएंगे. हिंदू पंचांग के अनुसार अश्विन मास (क्वार माह) के कृष्ण पक्ष की अमावस्या यानी पितृ विसर्जन अमावस्या बुधवार 6 अक्टूबर को है. हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन पितृपक्ष का समापन होता है और पूर्वज अपने लोक चले जाते हैं.

पितरों को प्रसन्न करने के लिए ग्रंथों में सफेद फूल, सफेद चंदन, तिल और जौ से पूजा करने के विधान बताए गए हैं. साथ ही जल समर्पण की भी रीति है. इसके अगले दिन से नवरात्रि 2021 शुरू होगी, जिसमें देश भर में मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा होगी.

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ये भी पढ़ें-पितृ पक्ष में बेटियां भी तर्पण कर निभा रही हैं अपना धर्म, चार साल से पूर्वजों को दे रहीं जल

रांची के पंडित जितेंद्र महाराज का कहना है कि अश्विन अमावस्या (ashwin krishna amavashya) का हिंदू धर्म के मानने वालों के लिए बड़ा महत्व है. जितेंद्र महाराज का कहना है कि इस दिन पितृपक्ष समाप्त होता है और इसके बाद देवी-देवताओं का पूजन शुरू होता है.

जितेंद्र महाराज का कहना है कि धार्मिक ग्रंथों में जो विधान बताए गए हैं, उसके अनुसार अमावस्या के दिन पितरों को खुश करने के लिए सफेद फूल, सफेद चंदन, तिल और जौ से उनकी पूजा करनी चाहिए. साथ ही उन्हें याद कर जल समर्पण करना चाहिए. इससे पितृजन तृप्त होते हैं और जाते समय अपने पुत्र-पौत्रों और परिवार के अन्य सदस्यों को आशीर्वाद देते हैं.

ऐसे करें तर्पण

पंडित जितेंद्र महाराज ने कहा कि अश्विन अमावस्या के दिन जलाशय, नदी या कुंड में स्नान कर सूर्यदेव को अर्घ्य देना चाहिए, उसके बाद पितरों के निमित्त तर्पण करें. जितेंद्र महाराज ने बताया कि जिन लोगों को अपने पूर्वजों के श्राद्ध की तिथि याद नहीं है वैसे व्यक्ति भी इस दिन तर्पण कर सकते हैं.

जितेंद्र महाराज ने बताया कि इस दिन ब्राह्मणों को भोजन कराने का विधान है. यह दिन ज्ञात और अज्ञात पितरों के पूजन के लिए बड़ा महत्व रखता है. इसलिए इसे सर्व पितृ अमावस्या या महालय विसर्जन भी कहा जाता है.

सर्व पितृ अमावस्या 2021 का मुहूर्त

पुजारियों के मुताबिक सर्व पितृ अमावस्या 2021 की तिथि की शुरुआत 5 अक्टूबर 2021 को शाम 7.04 बजे होगी. जबकि यह तिथि अगले दिन छह अक्टूबर को शाम 4.34 बजे तक रहेगी. हिंदू धर्म में उदया तिथि की मान्यता है, इससे छह अक्टूबर को ही सर्व पितृ अमावस्या मनाई जाएगी.

अमावस्या के अगले दिन शुरू होगी नवरात्रि

पंडित जितेंद्र महाराज ने बताया कि अश्विन अमावस्या की समाप्ति के अगले दिन ही नवरात्रि प्रारंभ हो जाती है. इसमें मां दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा अगले नौ दिनों तक की जाती है.

आठ दिन की होगी नवरात्रि, ये है घट स्थापना का मुहूर्त

अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होने वाली नवरात्रि, महानवमी पर संपन्न होती है. इसके अगले दिन दशहरा मनाया जाता है. पुरोहितों के मुताबिक शारदीय नवरात्रि 7 अक्टूबर से शुरू होगी. तृतीया और चतुर्थी तिथि एक साथ पड़ रही है, इसके कारण इस बार नवरात्रि 8 दिन की ही होगी. नवरात्रि व्रत का समापन 14 अक्टूबर को होगा. इस बार कलश स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त केवल 50 मिनट का है. पंचांग के अनुसार घटस्थापना के लिए शुभ समय सुबह 06 बजकर 17 मिनट से सुबह 07 बजकर 07 मिनट तक ही है.

Last Updated : Oct 5, 2021, 6:58 PM IST
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