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जमशेदपुर में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इथनो मेडिसिन की होगी स्थापना, झारखंड में ट्राइबल मेडिसिन में आएगी क्रांति

जंगलों में उगने वाले पेड़-पौधों से दवा बनाई जाती है, झारखंड में ट्राइबल मेडिसिन का इस्तेमाल यहां के आदिवासी समुदाय प्रचुर मात्रा में करते हैं. इसको लेकर झारखंड के जमशेदपुर में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इथनो मेडिसिन की स्थापना की जाएगी. जिससे प्रदेश में होम्योपैथी ट्रीटमेंट को बढ़ावा दिया जाएगा.

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झारखंड
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Published : Apr 26, 2022, 5:32 PM IST

Updated : Apr 26, 2022, 5:47 PM IST

रांची: झारखंड के जंगलों में उगने वाले औषधीय पौधे से दवा बनाने की प्रक्रिया को लेकर नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ इथनो मेडिसिन (NIEM) के स्थापना की जा रही है. इसको लेकर मंगलवार को रांची में पत्रकारों से बात करते हुए होम्योपैथी ऑन एथनो मेडिसिन डॉक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के लोगों ने बताया कि इस संस्थान की स्थापना के बाद स्वास्थ्य क्षेत्र में क्रांति आएगी.

नेशनल बोटैनिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (National Botanical Research Institute) के चीफ वैज्ञानिक डॉ. अनिल गोयल बताते हैं कि जमशेदपुर में खुलने वाला इंस्टीट्यूट ऑफ इथोनो मेडिसिन अपने आप में अनूठा होगा. उन्होंने बताया कि कन्याकुमारी से लेकर कश्मीर तक लगभग हजारों प्रकार के आदिवासी समुदाय के लोग रहते हैं और हजारों एकड़ के जंगलों में ऐसे कई महत्वपूर्ण पौधे हैं जिनकी औषधि बनाकर लोगों का इलाज किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि देश के आदिवासी क्षेत्रों में करीब 29 हजार ऐसे वनस्पति हैं जिसको दवाई के रूप में उपयोग किया जा सकता है.

देखें पूरी खबर

उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में करीब 9 हजार औषधीय वनस्पतियों (medicinal plant) का उपयोग आज भी आदिवासी समुदाय के लोग कर रहे हैं. झारखंड में ट्राइबल मेडिसिन (जंगलों में उगने वाले औषधि प्लांट) को बढ़ावा देने को लेकर समाजसेवी वासवी किड़ो बताती हैं कि जमशेदपुर में बन रहे नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ एथोनो मेडिसिन निश्चित रूप से आदिवासियों के लिए एक क्रांति लाएगा.

उन्होंने कहा कि होम्योपैथी ऑन एथनो मेडिसिन डॉक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (HOMEOPATHY ON ETHNO MEDICINE DOCTORS ASSOCIATION OF INDIA) के 400 सदस्यों के द्वारा मेक इन इंडिया की तर्ज पर यह संस्थान जमशेदपुर में बनाया जा रहा है. जो निश्चित रूप से आदिवासियों के लिए एक विकल्प बनकर आएगा. जंगलों में उगने वाले औषधीय पौधे से बनने वाली दवा से सिर्फ लाइलाज बीमारी का इलाज संभव नहीं होगा. बल्कि झारखंड के सुदूर क्षेत्रों में रह रहे आदिवासी समाज के लोगों का भी विकास संभव हो पाएगा.

नक्सलवाद, उग्रवाद जैसी समस्या को भी समाप्त करने के लिए यह पहल काम करेगी. क्योंकि जब संस्था जंगलों में उगने वाले औषधीय पौधे से दवा बनाकर बाजार में उपलब्ध कराएगी तो उससे मिलने वाले लाभ का एक अंश आदिवासियों के कल्याण के लिए उपयोग में लाया जाएगा. उन्होंने बताया कि इसको लेकर सरकार से भी बातचीत जारी है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और समाज कल्याण मंत्री चंपई सोरेन की तरफ से आश्वासन दिया गया है कि आने वाले समय में जल्द ही होम्योपैथी ट्रीटमेंट को बढ़ावा देने के लिए सरकार भी ठोस कदम उठाएगी.

रांची: झारखंड के जंगलों में उगने वाले औषधीय पौधे से दवा बनाने की प्रक्रिया को लेकर नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ इथनो मेडिसिन (NIEM) के स्थापना की जा रही है. इसको लेकर मंगलवार को रांची में पत्रकारों से बात करते हुए होम्योपैथी ऑन एथनो मेडिसिन डॉक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के लोगों ने बताया कि इस संस्थान की स्थापना के बाद स्वास्थ्य क्षेत्र में क्रांति आएगी.

नेशनल बोटैनिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (National Botanical Research Institute) के चीफ वैज्ञानिक डॉ. अनिल गोयल बताते हैं कि जमशेदपुर में खुलने वाला इंस्टीट्यूट ऑफ इथोनो मेडिसिन अपने आप में अनूठा होगा. उन्होंने बताया कि कन्याकुमारी से लेकर कश्मीर तक लगभग हजारों प्रकार के आदिवासी समुदाय के लोग रहते हैं और हजारों एकड़ के जंगलों में ऐसे कई महत्वपूर्ण पौधे हैं जिनकी औषधि बनाकर लोगों का इलाज किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि देश के आदिवासी क्षेत्रों में करीब 29 हजार ऐसे वनस्पति हैं जिसको दवाई के रूप में उपयोग किया जा सकता है.

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उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में करीब 9 हजार औषधीय वनस्पतियों (medicinal plant) का उपयोग आज भी आदिवासी समुदाय के लोग कर रहे हैं. झारखंड में ट्राइबल मेडिसिन (जंगलों में उगने वाले औषधि प्लांट) को बढ़ावा देने को लेकर समाजसेवी वासवी किड़ो बताती हैं कि जमशेदपुर में बन रहे नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ एथोनो मेडिसिन निश्चित रूप से आदिवासियों के लिए एक क्रांति लाएगा.

उन्होंने कहा कि होम्योपैथी ऑन एथनो मेडिसिन डॉक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (HOMEOPATHY ON ETHNO MEDICINE DOCTORS ASSOCIATION OF INDIA) के 400 सदस्यों के द्वारा मेक इन इंडिया की तर्ज पर यह संस्थान जमशेदपुर में बनाया जा रहा है. जो निश्चित रूप से आदिवासियों के लिए एक विकल्प बनकर आएगा. जंगलों में उगने वाले औषधीय पौधे से बनने वाली दवा से सिर्फ लाइलाज बीमारी का इलाज संभव नहीं होगा. बल्कि झारखंड के सुदूर क्षेत्रों में रह रहे आदिवासी समाज के लोगों का भी विकास संभव हो पाएगा.

नक्सलवाद, उग्रवाद जैसी समस्या को भी समाप्त करने के लिए यह पहल काम करेगी. क्योंकि जब संस्था जंगलों में उगने वाले औषधीय पौधे से दवा बनाकर बाजार में उपलब्ध कराएगी तो उससे मिलने वाले लाभ का एक अंश आदिवासियों के कल्याण के लिए उपयोग में लाया जाएगा. उन्होंने बताया कि इसको लेकर सरकार से भी बातचीत जारी है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और समाज कल्याण मंत्री चंपई सोरेन की तरफ से आश्वासन दिया गया है कि आने वाले समय में जल्द ही होम्योपैथी ट्रीटमेंट को बढ़ावा देने के लिए सरकार भी ठोस कदम उठाएगी.

Last Updated : Apr 26, 2022, 5:47 PM IST

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