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नरेंद्र मोदी की प्रचंड जीत से राजनीति शास्त्र के एक चैप्टर पर चर्चा तेज

राजनीतिक शास्त्र के चैप्टर के हिसाब से प्रधानमंत्री का चुनाव निर्वाचित सांसद करते हैं लेकिन 17वीं लोकसभा चुनाव के नतीजों पर गौर करें तो भाजपा के सांसदों का चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया. प्रधानमंत्री मोदी का नाम और चेहरा इतना भव्य हो गया कि पार्टी का सिंबल भी पीछे छूट गया.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
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Published : May 24, 2019, 6:18 PM IST

रांची: चर्चा है कि राजनीति शास्त्र के स्टूडेंट 23 मई को आए चुनावी नतीजों के बाद से कंफ्यूज हो गए हैं. उन्हें इस बात की चिंता है कि परीक्षा में अगर यह सवाल आया कि भारत में प्रधानमंत्री का चुनाव कौन करता है तो इसका जवाब कैसे देना है? राजनीतिक शास्त्र के चैप्टर के हिसाब से प्रधानमंत्री का चुनाव निर्वाचित सांसद करते हैं लेकिन 17वीं लोकसभा चुनाव के नतीजों पर गौर करें तो भाजपा के सांसदों का चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया. इसकी झलक तमाम चुनावी सभाओं में दिखी. हर तरफ एक ही नारा गूंज रहा था, अबकी बार फिर मोदी सरकार. बैनर और पोस्टर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर के बारे में जब अशिक्षित बुजुर्गों से पूछा जाता था कि यह कौन हैं, तो जवाब मिलता था मोदी सरकार.

पार्टी से बड़ा चेहरा

आजादी के बाद से 2014 तक 16 बार लोकसभा के चुनाव हुए, तब तक पार्टियों के नाम पर ही वोट मांगे जाते रहे, लेकिन 17वीं लोकसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम और चेहरा इतना भव्य हो गया कि पार्टी का सिंबल पीछे छूट गया. भावनात्मक रूप से कमल की जगह मोदी के चेहरे ने ले ली. ऐसा कहने के पीछे भी वजह है. राजधानी रांची में हरमू चौक के पास एक चाय की दुकान वाले से यह पूछा गया कि ईवीएम में किसी बटन के सामने अगर कमल के अलावा नरेंद्र मोदी का चेहरा अंकित हो तो आप कमल का बटन दबाएंगे या मोदी बटन? झट से जवाब मिला मोदी बटन. अब आपको यह जानकर भी जानकर हैरानी होगी कि आज भी झारखंड में बहुत से लोग नरेंद्र मोदी को मोदी जी के नाम से जानते हैं. चुनाव नतीजों को भले विपक्षी नेता करिश्मा समझें लेकिन सच यह कि इस चुनाव के दौरान एक बड़ा जनमानस नरेंद्र मोदी के पक्ष में खड़ा था. उसे मौका मिला तो उसने नरेंद्र मोदी के नाम पर कमल के बटन को दबाया. यही वजह है कि तमाम भाजपा के निर्वाचित सांसद खुलकर कह रहे हैं कि लोगों ने उन्हें नहीं बल्कि मोदी जी को जिताया है. यानी मोदी जी ने सांसदों को जिताया है.

अब रह गई बात राजनीति शास्त्र के स्टूडेंट्स की तो उन्हें कंफ्यूज होने की जरूरत नहीं. सही जवाब यही है कि इस देश में प्रधानमंत्री का चुनाव सांसद ही करते हैं. नरेंद्र मोदी को भी विधिवत रूप से सांसद ही प्रधानमंत्री के रूप में चुनेंगे. यह अलग बात है कि सांसदों की जीत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वजह से हुई है.

रांची: चर्चा है कि राजनीति शास्त्र के स्टूडेंट 23 मई को आए चुनावी नतीजों के बाद से कंफ्यूज हो गए हैं. उन्हें इस बात की चिंता है कि परीक्षा में अगर यह सवाल आया कि भारत में प्रधानमंत्री का चुनाव कौन करता है तो इसका जवाब कैसे देना है? राजनीतिक शास्त्र के चैप्टर के हिसाब से प्रधानमंत्री का चुनाव निर्वाचित सांसद करते हैं लेकिन 17वीं लोकसभा चुनाव के नतीजों पर गौर करें तो भाजपा के सांसदों का चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया. इसकी झलक तमाम चुनावी सभाओं में दिखी. हर तरफ एक ही नारा गूंज रहा था, अबकी बार फिर मोदी सरकार. बैनर और पोस्टर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर के बारे में जब अशिक्षित बुजुर्गों से पूछा जाता था कि यह कौन हैं, तो जवाब मिलता था मोदी सरकार.

पार्टी से बड़ा चेहरा

आजादी के बाद से 2014 तक 16 बार लोकसभा के चुनाव हुए, तब तक पार्टियों के नाम पर ही वोट मांगे जाते रहे, लेकिन 17वीं लोकसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम और चेहरा इतना भव्य हो गया कि पार्टी का सिंबल पीछे छूट गया. भावनात्मक रूप से कमल की जगह मोदी के चेहरे ने ले ली. ऐसा कहने के पीछे भी वजह है. राजधानी रांची में हरमू चौक के पास एक चाय की दुकान वाले से यह पूछा गया कि ईवीएम में किसी बटन के सामने अगर कमल के अलावा नरेंद्र मोदी का चेहरा अंकित हो तो आप कमल का बटन दबाएंगे या मोदी बटन? झट से जवाब मिला मोदी बटन. अब आपको यह जानकर भी जानकर हैरानी होगी कि आज भी झारखंड में बहुत से लोग नरेंद्र मोदी को मोदी जी के नाम से जानते हैं. चुनाव नतीजों को भले विपक्षी नेता करिश्मा समझें लेकिन सच यह कि इस चुनाव के दौरान एक बड़ा जनमानस नरेंद्र मोदी के पक्ष में खड़ा था. उसे मौका मिला तो उसने नरेंद्र मोदी के नाम पर कमल के बटन को दबाया. यही वजह है कि तमाम भाजपा के निर्वाचित सांसद खुलकर कह रहे हैं कि लोगों ने उन्हें नहीं बल्कि मोदी जी को जिताया है. यानी मोदी जी ने सांसदों को जिताया है.

अब रह गई बात राजनीति शास्त्र के स्टूडेंट्स की तो उन्हें कंफ्यूज होने की जरूरत नहीं. सही जवाब यही है कि इस देश में प्रधानमंत्री का चुनाव सांसद ही करते हैं. नरेंद्र मोदी को भी विधिवत रूप से सांसद ही प्रधानमंत्री के रूप में चुनेंगे. यह अलग बात है कि सांसदों की जीत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वजह से हुई है.

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राजनीतिक शास्त्र के चैप्टर के हिसाब से प्रधानमंत्री का चुनाव निर्वाचित सांसद करते हैं लेकिन 17वीं लोकसभा चुनाव के नतीजों पर गौर करें तो भाजपा के सांसदों का चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया. प्रधानमंत्री मोदी का नाम और चेहरा इतना भव्य हो गया कि पार्टी का सिंबल भी पीछे छूट गया.





रांची: चर्चा है कि राजनीति शास्त्र के स्टूडेंट 23 मई को आए चुनावी नतीजों के बाद से कंफ्यूज हो गए हैं. उन्हें इस बात की चिंता है कि परीक्षा में अगर यह सवाल आया कि भारत में प्रधानमंत्री का चुनाव कौन करता है तो इसका जवाब कैसे देना है? राजनीतिक शास्त्र के चैप्टर के हिसाब से प्रधानमंत्री का चुनाव निर्वाचित सांसद करते हैं लेकिन 17वीं लोकसभा चुनाव के नतीजों पर गौर करें तो भाजपा के सांसदों का चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया. इसकी झलक तमाम चुनावी सभाओं में दिखी. हर तरफ एक ही नारा गूंज रहा था, अबकी बार फिर मोदी सरकार. बैनर और पोस्टर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर के बारे में जब अशिक्षित बुजुर्गों से पूछा जाता था कि यह कौन हैं, तो जवाब मिलता था मोदी सरकार.



पार्टी से बड़ा चेहरा



आजादी के बाद से 2014 तक 16 बार लोकसभा के चुनाव हुए, तब तक पार्टियों के नाम पर ही वोट मांगे जाते रहे, लेकिन 17वीं लोकसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम और चेहरा इतना भव्य हो गया कि पार्टी का सिंबल पीछे छूट गया. भावनात्मक रूप से कमल की जगह मोदी के चेहरे ने ले ली.  ऐसा कहने के पीछे भी वजह है. राजधानी रांची में हरमू चौक के पास एक चाय की दुकान वाले से यह पूछा गया कि ईवीएम में किसी बटन के सामने अगर कमल के अलावा नरेंद्र मोदी का चेहरा अंकित हो तो आप कमल का बटन दबाएंगे या मोदी बटन? झट से जवाब मिला मोदी बटन. अब आपको यह जानकर भी जानकर हैरानी होगी कि आज भी झारखंड में बहुत से लोग नरेंद्र मोदी को मोदी जी के नाम से जानते हैं. चुनाव नतीजों को भले विपक्षी नेता करिश्मा समझें लेकिन सच यह कि इस चुनाव के दौरान एक बड़ा जनमानस नरेंद्र मोदी के पक्ष में खड़ा था. उसे मौका मिला तो उसने नरेंद्र मोदी के नाम पर कमल के बटन को दबाया.। यही वजह है कि तमाम भाजपा के निर्वाचित सांसद खुलकर कह रहे हैं कि लोगों ने उन्हें नहीं बल्कि मोदी जी को जिताया है. यानी मोदी जी ने सांसदों को जिताया है. 



अब रह गई बात राजनीति शास्त्र के स्टूडेंट्स की तो उन्हें कंफ्यूज होने की जरूरत नहीं. सही जवाब यही है कि इस देश में प्रधानमंत्री का चुनाव सांसद ही करते हैं. नरेंद्र मोदी को भी विधिवत रूप से सांसद ही प्रधानमंत्री के रूप में चुनेंगे. यह अलग बात है कि सांसदों की जीत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वजह से हुई है.


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