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Drugs Disposal Program: थानों में जब्त ड्रग्स नष्ट करने का काम शुरू, खूंटी से हुआ विनष्टीकरण आरंभ

झारखंड के विभिन्न थानों में रखे मादक पदार्थों के विनष्टीकरण का काम शुरू कर दिया गया (seized drugs destruction started) है. खूंटी जिला से विनष्टीकरण का काम आरंभ किया गया है. एक अरसे से प्रदेश के विभिन्न थानों में जब्त मादक पदार्थ पुलिस के लिए मुसीबत बनते जा रहे थे.

narcotic substances destruction started kept in different police stations of Jharkhand
रांची
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Published : Sep 17, 2022, 12:53 PM IST

Updated : Sep 18, 2022, 9:37 AM IST

रांचीः राजधानी रांची के थानों में करोड़ों की अफीम, डोडा और दूसरे मादक पदार्थ परेशानी का सबब बने हुए हैं. पुलिस अगर ड्रग्स ना पकड़े तो परेशानी है और ड्रग्स को जब्त कर उसे मालखाने में रखना उससे भी बड़ी मुसीबत है. एक लंबे इंतजार के बाद अब मादक पदार्थों के विनष्टीकरण का काम (seized drugs destruction started) शुरू किया गया है. विनष्टीकरण की शुरुआत झारखंड के खूंटी जिला से शुरू किया गया है.

इसे भी पढ़ें- कोल्हान से ड्रग्स के खात्मे के लिए तीनों जिला प्रशासन ने कसी कमर, बनाई रणनीति

पुलिस के लिए बड़ी मुसीबत है जब्त मादक पदार्थः राजधानी रांची सहित झारखंड के कई जिलों के पुलिस थानों के मालखाने मादक पदार्थों से भरे पड़े (Drugs kept in different police stations) हैं. वर्षों से इन्हें नष्ट नहीं किया गया है. अब हालात ऐसे हैं कि, इनमें ब्राउन शुगर, गांजा और स्मैक जैसे सामान रखने की जगह तक नहीं बची है. रांची डीआईजी अनीश गुप्ता (Ranchi DIG Anish Gupta) के अनुसार थानों में जब्त मादक पदार्थों का समय के साथ अगर डिस्पोजल नहीं किया जाता है तो वह एक बड़ी मुसीबत बन जाते हैं. एक तो उनके चोरी होने का भय बना रहता है और दूसरा सबसे बड़ी मुसीबत यह है कि थानों के मालखाने में इतनी जगह नहीं है कितने बड़े पैमाने पर मादक पदार्थों को सुरक्षित रखा जा सके. रांची डीआईजी के अनुसार रांची रेंज के सभी जिलों में थानों के मालखाने में जब मादक पदार्थों के डिस्पोजल का काम (narcotic substances destruction) शुरू कर दिया गया है. खूंटी से इसकी शुरूआत की गयी है.

देखें पूरी खबर

खूंटी में शुरू हुआ डिस्पोजल का कामः
वैसे तो झारखंड के सभी जिलों के हर एक थाने में कम या ज्यादा मादक पदार्थ जब्त कर मालखानों में रखे गए हैं, इनकी कीमत करोड़ों में हैं. वैसे तो सुप्रीम कोर्ट का यह गाइडलाइंस है कि मादक पदार्थों के जब्त होने के 30 दिनों के भीतर ही उन्हें नष्ट कर देना है. लेकिन लंबी प्रक्रिया होने की वजह से यह काम सही समय पर शुरू नहीं हो पाता है. हालांकि झारखंड का खूंटी जिला राज्य का पहला जिला है, जहां मादक पदार्थों के डिस्पोजल का काम शुरू कर दिया गया है. पिछले 1 महीने में खूंटी से जब्त लगभग साढ़े 300 किलो अफीम और डोडा को डिस्पोज कर दिया गया है. वहीं रांची रेंज के बाकी सभी जिलों जिनमें रांची, सिमडेगा, गुमला और लोहरदगा में भी जब मादक पदार्थों को जल्द से जल्द नष्ट करने के लिए बोर्ड का गठन करने का आदेश जारी किया गया है.


क्या है ड्रग्स डिस्पोजल की प्रक्रियाः जब्त मादक पदार्थ कोर्ट के आदेश पर ही नष्ट किए जा सकते हैं. नष्ट किए जाने वाले माल को मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जाता है, मजिस्ट्रेट उसे प्रमाणित करता है. आदेश के बाद पुलिस के डीआईजी स्तर के अधिकारियों की 3 या 5 सदस्यीय टीम दस्तावेजी प्रक्रिया पूरी कर मादक पदार्थों को भट्टी में जलाने का फैसला करता है या फिर सुरक्षित स्थान पर नष्ट किए जाते हैं.



डिस्पोजल में लगेगा लंबा समयः झारखंड में ड्रग्स का डिस्पोजल का काम शुरू कर दिया गया है. इसमें लंबा वक्त लगने की बात कही जा रही है क्योंकि झारखंड के नक्सल प्रभावित जिलों से बड़े पैमाने पर अफीम और डोडा बरामद किया गया है. इसके अलावा दूसरे तरह के मादक पदार्थ भी जब्त किए गए हैं जो मालखानों में पड़े हुए हैं. राज्यभर में थानों में दर्ज केस के आधार पर जो आंकड़े जुटाए गए हैं. इन आंकड़ों के मुताबिक, राज्य पुलिस ने साल 2021 से लेकर अबतक 1252 किलोग्राम गांजा बरामद किया है. पुलिस ने विभिन्न जिलों में अभियान के दौरान 21687.320 किलोग्राम डोडा, 456 किलो अफीम, 50 ग्राम ब्राउन शुगर, 40 ग्राम हेरोइन भी जब्त किया है. पुलिस ने अभियान के दौरान 21 अलग अलग ब्रांड की दवाइयां भी जब्त की थीं, जिनका इस्तेमाल नशे के लिए किया जा रहा था. आंकड़े देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि इन मादक पदार्थों के डिस्पोजल में पुलिस को कितना समय लगेगा. लेकिन राहत की बात यह है कि आखिरकार लंबे समय के बाद मादक पदार्थों के डिस्पोजल का काम शुरू हो चुका है, जो थानों के मालखानों को बड़ी राहत देगा.

रांचीः राजधानी रांची के थानों में करोड़ों की अफीम, डोडा और दूसरे मादक पदार्थ परेशानी का सबब बने हुए हैं. पुलिस अगर ड्रग्स ना पकड़े तो परेशानी है और ड्रग्स को जब्त कर उसे मालखाने में रखना उससे भी बड़ी मुसीबत है. एक लंबे इंतजार के बाद अब मादक पदार्थों के विनष्टीकरण का काम (seized drugs destruction started) शुरू किया गया है. विनष्टीकरण की शुरुआत झारखंड के खूंटी जिला से शुरू किया गया है.

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पुलिस के लिए बड़ी मुसीबत है जब्त मादक पदार्थः राजधानी रांची सहित झारखंड के कई जिलों के पुलिस थानों के मालखाने मादक पदार्थों से भरे पड़े (Drugs kept in different police stations) हैं. वर्षों से इन्हें नष्ट नहीं किया गया है. अब हालात ऐसे हैं कि, इनमें ब्राउन शुगर, गांजा और स्मैक जैसे सामान रखने की जगह तक नहीं बची है. रांची डीआईजी अनीश गुप्ता (Ranchi DIG Anish Gupta) के अनुसार थानों में जब्त मादक पदार्थों का समय के साथ अगर डिस्पोजल नहीं किया जाता है तो वह एक बड़ी मुसीबत बन जाते हैं. एक तो उनके चोरी होने का भय बना रहता है और दूसरा सबसे बड़ी मुसीबत यह है कि थानों के मालखाने में इतनी जगह नहीं है कितने बड़े पैमाने पर मादक पदार्थों को सुरक्षित रखा जा सके. रांची डीआईजी के अनुसार रांची रेंज के सभी जिलों में थानों के मालखाने में जब मादक पदार्थों के डिस्पोजल का काम (narcotic substances destruction) शुरू कर दिया गया है. खूंटी से इसकी शुरूआत की गयी है.

देखें पूरी खबर

खूंटी में शुरू हुआ डिस्पोजल का कामः
वैसे तो झारखंड के सभी जिलों के हर एक थाने में कम या ज्यादा मादक पदार्थ जब्त कर मालखानों में रखे गए हैं, इनकी कीमत करोड़ों में हैं. वैसे तो सुप्रीम कोर्ट का यह गाइडलाइंस है कि मादक पदार्थों के जब्त होने के 30 दिनों के भीतर ही उन्हें नष्ट कर देना है. लेकिन लंबी प्रक्रिया होने की वजह से यह काम सही समय पर शुरू नहीं हो पाता है. हालांकि झारखंड का खूंटी जिला राज्य का पहला जिला है, जहां मादक पदार्थों के डिस्पोजल का काम शुरू कर दिया गया है. पिछले 1 महीने में खूंटी से जब्त लगभग साढ़े 300 किलो अफीम और डोडा को डिस्पोज कर दिया गया है. वहीं रांची रेंज के बाकी सभी जिलों जिनमें रांची, सिमडेगा, गुमला और लोहरदगा में भी जब मादक पदार्थों को जल्द से जल्द नष्ट करने के लिए बोर्ड का गठन करने का आदेश जारी किया गया है.


क्या है ड्रग्स डिस्पोजल की प्रक्रियाः जब्त मादक पदार्थ कोर्ट के आदेश पर ही नष्ट किए जा सकते हैं. नष्ट किए जाने वाले माल को मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जाता है, मजिस्ट्रेट उसे प्रमाणित करता है. आदेश के बाद पुलिस के डीआईजी स्तर के अधिकारियों की 3 या 5 सदस्यीय टीम दस्तावेजी प्रक्रिया पूरी कर मादक पदार्थों को भट्टी में जलाने का फैसला करता है या फिर सुरक्षित स्थान पर नष्ट किए जाते हैं.



डिस्पोजल में लगेगा लंबा समयः झारखंड में ड्रग्स का डिस्पोजल का काम शुरू कर दिया गया है. इसमें लंबा वक्त लगने की बात कही जा रही है क्योंकि झारखंड के नक्सल प्रभावित जिलों से बड़े पैमाने पर अफीम और डोडा बरामद किया गया है. इसके अलावा दूसरे तरह के मादक पदार्थ भी जब्त किए गए हैं जो मालखानों में पड़े हुए हैं. राज्यभर में थानों में दर्ज केस के आधार पर जो आंकड़े जुटाए गए हैं. इन आंकड़ों के मुताबिक, राज्य पुलिस ने साल 2021 से लेकर अबतक 1252 किलोग्राम गांजा बरामद किया है. पुलिस ने विभिन्न जिलों में अभियान के दौरान 21687.320 किलोग्राम डोडा, 456 किलो अफीम, 50 ग्राम ब्राउन शुगर, 40 ग्राम हेरोइन भी जब्त किया है. पुलिस ने अभियान के दौरान 21 अलग अलग ब्रांड की दवाइयां भी जब्त की थीं, जिनका इस्तेमाल नशे के लिए किया जा रहा था. आंकड़े देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि इन मादक पदार्थों के डिस्पोजल में पुलिस को कितना समय लगेगा. लेकिन राहत की बात यह है कि आखिरकार लंबे समय के बाद मादक पदार्थों के डिस्पोजल का काम शुरू हो चुका है, जो थानों के मालखानों को बड़ी राहत देगा.

Last Updated : Sep 18, 2022, 9:37 AM IST
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