रांची: झारखंड हाइ कोर्ट (Jharkhand High Court) के न्यायाधीश एस चंद्रशेखर और न्यायाधीश रत्नाकर की भेंगरा की अदालत में नक्शा स्वीकृति से संबंधित याचिका पर सुनवाई हुई. मामले की सुनवाई के दौरान रांची नगर निगम (Ranchi Municipal Corporation) के आयुक्त अदालत में हाजिर हुए. कोर्ट ने मौखिक रूप से नाराजगी जताते हुए कहा कि गिफ्ट डीड की जमीन का अधिग्रहण किया जाना चाहिए, गिफ्ट की जमीन किसी से जबरदस्ती नहीं ली जा सकती है. सरकार को उसे अधिग्रहित करना चाहिए, इसके लिए कोई नियम बनाया जाना चाहिए.
डबल बेंच ने नगर आयुक्त से पूछा कि अब तक कोर्ट के आदेश का अनुपालन क्यों नहीं किया गया. सुनवाई के दौरान नगर आयुक्त ने कोर्ट को बताया कि गिफ्ट डीड की जमीन नगर निगम के नाम पर म्यूटेशन करने के बाद ही भवन निर्माण शुरू कर करने से संबंधित उन्होंने कोई आदेश पारित नहीं किया है, इसे लेकर उनकी अध्यक्षता में कोई बैठक भी नहीं हुई है. इस संबंध में नगर विकास विभाग के माध्यम से निर्णय लिया जा रहा है. नगर आयुक्त ने कोर्ट को बताया कि वह जल्द से जल्द लंबित नक्शे को स्वीकृत कर देंगे जिससे आम जनों को परेशानी का सामना नहीं करना पड़े.
हाई कोर्ट से नगर आयुक्त को फटकार: कोर्ट ने नगर आयुक्त (Municipal Commissioner) के जवाब पर असंतुष्टि व्यक्त करते हुए उन्हें फटकार लगाई. पूछा कि 6 माह से क्यों नहीं आदेश का अनुपालन किया गया. अदालत ने कहा कि क्यों नहीं नगर निगम के कार्य शैली का निष्पक्ष एजेंसी से जांच कराई जाए. अदालत ने मुख्य सचिव को 2 सप्ताह में इस बिंदु पर जवाब पेश करने को कहा है. डॉ राजेश कुमार के नक्शा विचलन मामले में दायर नक्शा स्वीकृति से संबंधित राधिका शाहदेव एवं लाल चिंतामणी नाथ शाहदेव की ओर से हस्तक्षेप याचिका दायर की गई.
हस्तक्षेपकर्ता की ओर से अधिवक्ता लाल ज्ञानरंजन नाथ शाहदेव ने पैरवी की. मामले में हस्तक्षेपकर्ता के अधिवक्ता की ओर से कहा गया कि रांची क्षेत्रीय प्राधिकार ने लाल चिंतामणी नाथ शाहदेव जो रांची व्यवहार न्यायालय में अधिवक्ता हैं. उनसे भवन का नक्शा स्वीकृति के लिए 75000 रुपया जमा कर बिल्डर के रूप में निबंधित करते हुए नक्शा जमा करने को कहा था, जो अधिवक्ता अधिनियम के विरुद्ध था. रांची क्षेत्रीय प्राधिकार ने सड़क चौड़ीकरण के लिए निबंधित गिफ्ट डीड जमा करने, नाली निर्माण के लिए 160075 रुपया जमा करने सहित अन्य शर्त पूरा करने के बाद ही नक्शा स्वीकृति करने की बात कही थी. बता दें कि पूर्व की सुनवाई में खंडपीठ ने इसे संविधान के नियम विरुद्ध बताते हुए राज्य सरकार एवं नगर आयुक्त को जवाब दाखिल करने का आदेश दिया था. लेकिन नगर आयुक्त ने कोर्ट में जवाब दाखिल नहीं किया था. Municipal Commissioner reprimanded by Jharkhand High Court