रांची: कहते हैं मरने के बाद आत्मा को शांति तब तक नहीं मिलती, जब तक उसके मृत शरीर का अंतिम संस्कार न कर दिया जाए. लेकिन कई ऐसे लावारिस शव हैं, जिनकी पहचान नहीं हो पाती है. कई बार लंबे समय तक उनके शव का अंतिम संस्कार नहीं हो पाता है. ऐसे 37 लावारिस शवों का रविवार को मुक्ति संस्थान की ओर से राजधानी के जुमार नदी के किनारे पूरी विधि विधान के साथ अंतिम संस्कार किया गया.
37 लावारिस शव का अंतिम संस्कार
इंसानी शरीर का अंतिम संस्कार किया जाना मानव जाति में एक परंपरा है, चाहे वह व्यक्ति किसी भी धर्म से ताल्लुक रखता हो. मरने के बाद उसके परिवार वाले अपने मृत परिजन के शरीर को ससम्मान अंतिम संस्कार करते हैं, लेकिन वैसे भी परिवार को दुखी होने की जरूरत नहीं है, जिनके परिजन नहीं मिल पाते हैं और उनकी शव अज्ञात लावारिस शव के तौर पर मानी जाती है. ऐसे सभी शव का अंतिम संस्कार करने का बीड़ा मुक्ति संस्थान ने उठाया है. इसी क्रम में मुक्ति संस्थान ने रविवार को रिम्स में पड़े 37 लावारिस शव का अंतिम संस्कार कराया. झारखंड के अलग-अलग जगहों से आए लावारिस शव जो रिम्स में रखे जाते हैं. उनका सम्मान के साथ मुखाग्नि देकर अंतिम संस्कार कराया गया.
मुक्ति संस्थान के अध्यक्ष प्रवीण लोहिया ने शव को मुखाग्नि देने के बाद बताया कि वह संस्थान लगातार 6 वर्षों से यह पुण्य कार्य में लगा है. अब तक संस्थान की ओर से 1079 शवों का अंतिम संस्कार कराया जा चुका है और आगे भी संस्थान यह पुण्य काम इसी गति से करता रहेगा.