रांची: झारखंड सरकार ने गांव और शहर की दूरी को कम करने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में परिवहन व्यवस्था दुरुस्त करने की भारी भरकम योजना बनाई है. इस योजना का नाम मुख्यमंत्री ग्राम गाड़ी योजना है (Mukhyamantri Gram Gaadi Yojana in Jharkhand). कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद इसे धरातल पर उतारने की तैयारी जोरों पर है. सबकुछ ठीक रहा तो झारखंड स्थापना दिवस यानी 15 नवंबर से इसे शुरू किये जाने की संभावना है.
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मुख्यमंत्री ग्राम गाड़ी योजना के जरिए गांव और शहर की दूरी कम करने की कवायाद की जाएगी लेकिन, इसे संचालित करना किसी चुनौती से कम नहीं. जिसे सरकार भी मान रही है. निजी ट्रांसपोर्टर के भरोसे मुख्यमंत्री ग्राम गाड़ी योजना को चलाने की तैयारी में जुटे विभागीय मंत्री चंपई सोरेन कहते हैं कि यह सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है. जिसका उद्देश्य गांवों से प्रखंड, जिला मुख्यालय और शहर तक आवागमन की सुविधा बहाल करना है. इससे गांव के किसान, मजदूर, छात्र-छात्राओं को शहर तक आने में सुविधा होगी. छात्रों के लिए स्कूल-कॉलेज, किसानों के लिए बाजार और मरीजों के लिए अस्पताल तक पहुंचना सुलभ होगा. योजना में शामिल होने वाले वाहन मालिकों को भी सरकारी टैक्स में बड़ी राहत दी गई है, जिससे निबंधन और परमिट के भारी आर्थिक बोझ से छुटकारा मिल जाएगा.
ग्राम गाड़ी का रूट तय करने में जुटा परिवहन विभाग: कैबिनेट से पास होने के बाद परिवहन विभाग ग्राम गाड़ी योजना का रूट तय करने में जुटा है. प्रथम चरण में पूरे झारखंड में 500 वाहनों को चलाने की तैयारी है. योजना में स्थानीय निवासी के साथ-साथ एससी, एसटी और पिछड़े वर्ग के लोगों को प्राथमिकता दी जाएगी. सरकार पहले साल इस योजना में 4 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता दे रही है. जिला स्तर पर कमिटी बनाये जा रहे हैं, जिसके अध्यक्ष जिला के डीसी होंगे. इसके अलावा ग्राम गाड़ी योजना को लेकर राज्य, जिला और प्रखंड स्तर पर समिति का गठन किया गया है. जिला स्तर पर डीसी को अध्यक्ष बनाया गया है, जबकि डीडीसी, डीटीओ, एलडीएम, बस एसोसिएशन के प्रतिनिधि, पंचायती राज पदाधिकारी एवं सभी बीडीओ को सदस्य बनाया गया है. वहीं प्रखंड स्तर पर बीडीओ को समिति का अध्यक्ष बनाया गया है. गांव में लोगों की सुविधा के लिए स्टैंड भी बनाए जाएंगे. वहीं, इस योजना के तहत संचालित वाहनों का रंग भी अलग होगा, ताकि लोग इसे पहचान सके.